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अनिद्वित
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अनिदस्सन
अनिट्ठरसो, ध. स. अट्ठ, 353; - रूप नपुं., कर्म. स., अनचाही वस्तु, अप्रिय पदार्थ - यं किञ्चि चक्खुना रूपं पस्सति, अनिट्ठरूपयेव पस्सति, स. नि. 2(2).129-130; - ट्ठाकन्तविपाकत्त नपुं.. भाव. [अनिष्टाकान्तविपाकत्व]. अनिष्ट एवं अप्रिय विपाक की अवस्था - ... विपाककाले अनिट्ठाकन्तविपाकत्ता, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).200; - ढङ्गत/वागत त्रि., उप. स. [अनिष्ठागत], अनिश्चय से भरा, शङ्कालु, सन्देहग्रस्त, विचिकित्सा से पीड़ित - अपि च खो की होति विचिकिच्छी अनिट्ठङ्गतो सद्धम्मे, स. नि. 2(1).91; अ. नि. 1(2).202; अनिट्ठङ्गतो विचिकिच्छावसेन तिद्वति, महानि. 18; अनिट्ठङ्गतोति विचिकिच्छावसेन, महानि. अट्ठ. 192; - ता स्त्री॰, भाव. [अनिष्टता], शङ्कालुता, विचिकित्सायुक्त मनोदशा - या खो पन सा, भिक्खवे, कविता विचिकिच्छिता अनिट्ठङ्गतता सद्धम्मे सङ्घारो सो, स. नि. 2(1).91; - भाव पु., भाव. [अनिष्टभाव], उपरिवत् - .... काळारिकानं कणेरुकानं पदं भविस्सतीति अनिद्वङ्गतभावो विय योगिनो ..., म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).101. अनिहित त्रि., निट्ठित का निषे., तत्पु. स. [अनिष्ठित], पूर्ण न किया हुआ, समाप्त न किया हुआ, अपूर्णीकृत, अपूर्ण - तस्स विदत्थिमत्तं अनिहितं, ध. प. अट्ठ. 2.98; - छदन त्रि., ब. स. [अनिष्ठितछदन], ऐसा घर, जिसकी छत । अपूर्ण रह गयी है - ... रओ उय्याने वासागारं विप्पकतं होति, अनिहितच्छदनं ..., जा. अट्ठ. 3.279. अनिद्री त्रि., निदुरी का निषे०, तत्पु. स. [अनिष्ठुरिन्], वह, जो कठोर स्वभाव का न हो, कोमल प्रकृति वाला, ईर्ष्या एवं अहंकार से रहित - अनिट्वरी अननुगिद्धो, सु. नि. 958; तत्थ अनिदुरीति अनिस्सुकी, सु. नि. अट्ठ. 2.260; यस्सेतं निवरियं पहीनं ... आणग्गिना दर्द, सो वुच्चति अनिव्वरीति, महानि. 330. अनिण/अणण त्रि., इण या अण का निषे., ब. स. [अनृण], ऋण से मुक्त, वह, जिसके पास किसी का कोई ऋण शेष न हो - अणणो भुजामि भोजनं, म. नि. 2.315; इध किलेसइणानं अभावं सन्धाय अणणो ति वृत्तं, अनिणो तिपि पाठो, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.244. अनित्तर त्रि., इत्तर का निषे., तत्पु. स. [अनित्वर]. वह, जो विनश्वर अथवा अनित्य न हो, स्थिर, चिरस्थायी, अक्रूर, अकठोर, प्रधान, श्रेष्ठ - अनित्तरा इत्तरसम्पयुत्ता, जा. अट्ठ. 7.46; अनित्तराति सुभोग इमस्मिं लोके या च वेदा च अनित्तरा... ते इत्तरेहि ब्राह्मणेहि सम्पयुत्ता, जा. अट्ठ. 7.47.
अनित्थी स्त्री., इत्थी का निषे., तत्पु. स. [अस्त्री], क. अनारी, नारी से भिन्न कुछ और - अनित्थी इत्थिपण्डका, पारा. 223; ... अञ्जन सद्धिं संवासं गता नेव अनित्थी होति, जा. अठ्ठ. 2.104; ख. व्याकरण के विशेष सन्दर्भ में स्त्री. से भिन्न, पु. अथवा नपुं. शब्द - करतो इत्थियमनित्थियं वा अभिधेय्यायं रिरियप्पच्चयो होति वा, क. व्या. 556; - गन्ध 1. पु. एक राजकुमार का नाम - अनित्थिगन्धोत्वेव सञ्जानिस सु. नि. अट्ठ. 1.55; अनित्थिगन्धकुमारं नाम आरब्भ कथेसि, ध. प. अट्ठ. 2.164; जा. अट्ठ2.272; 2. स्त्री से कोई भी सम्बन्ध न रखने वाला, नारी के प्रभाव से मुक्त - ... हिमवति पञ्चसततापसा अनिस्थिगन्धा ..., म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.47; - न्धकुमारवत्थु नपुं.. ध. प. अट्ठ. की एक कथा का शीर्षक, ध. प. अट्ठ. 2.164-166; - गन्धवनसण्ड पु., स्त्री प्रभाव से मुक्त वनप्रदेश - पन दानि अहं अनित्थिगन्धवनसण्डमेव गमिस्सामि, जा. अट्ठ. 3.443; - भूत त्रि., इत्थिभूत का निषे., तत्पु. स. [अस्त्रीभूत], वह, जो स्त्रीत्वभाव वाला नहीं है, स्त्रीलिङ्ग का नही है - तथाहि अनित्थिभूतोपि समानो 'मातुलाति इथिलिङ्गवसेन रुक्खोपि नाम लभति, सद्द. 243. अनिस्थिण्ण/अनतिण्ण त्रि., नित्थिण्ण या अतिण्ण का निषे०, तत्पु. स. [अनिष्तीर्ण]. वह, जिसे पार न किया गया हो, वह, जिसका उद्धार न हुआ हो, अमुक्त, अरक्षित - सिया च नेसं कन्तारावसेसो अनतिण्णो, स. नि. 1(2).87. अनिदस्सन त्रि., निदस्सन का निषे०, ब. स. [अनिदर्शन], क. शा. अ. वह, जिसे लक्षणों द्वारा व्याख्यात न किया जा सके, वह, जिसे दृष्टान्तों आदि के सहारे दिखलाया न जा सके, ख, ला. अ. अदृश्य, अतर्कावचर, वह, जिसे चक्षुविज्ञान द्वारा ग्रहण न किया जा सके, निर्वाण - विआणं अनिदस्सनं. दी. नि. 1.203; .... निब्बानस्सेतं नाम, तदेतं निदस्सनाभावतो अनिदस्सनं, दी. नि. अट्ठ. 1.294; अनिदस्सनन्ति चक्खुविज्ञाणस्स आपाथं अनुपगमनतो अनिदस्सनं नाम, ... निब्बानमेव वुत्तं, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).306; अनिदस्सनोति दस्सनस्स चक्खुविणस्स अनापाथो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).7; यं चक्खु ... पसादो अत्तभावपरियापन्नो अनिदस्सनो.... विभ. 78; यं तं रूपं बाहिरं तं अस्थि सनिदस्सनं, अस्थि अनिदस्सनं, ध. स. 585; ग. नपुं., निर्वाण के पर्यायवाचक शब्द के रूप में - अनासवं, धुवमनिदस्सनाकतापलोकितं..., अभि. प. 7; - गामी त्रि., अनिदर्शन अर्थात निर्वाण की ओर ले जाने वाला
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