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अत्थिक 146
अत्थुपेत अट्ठ 1.206: सोतमोधेसिमस्थिको, थेरगा. 995; ... एको खो, अत्थिराग(सुत्त) नपुं., स. नि. 1(2) के एक सुत्त का नाम, महाराज, अत्थिको, एको अनस्थिको, मि. प. 83; पहन जिसमें अस्तित्व के प्रति चित्त के लगाव का विवेचन है, स. अत्थिको आगतोम्हि, पहं पुच्छितकामो आगतोम्हि, महानि. नि. 1(2).89-91. 349; पाठा. अट्ठिक, अत्थि; ख. पु. - अस्थिकेहि उपञातं अत्थी क. त्रि., [अर्थी], इच्छुक, अभिलाषी - यावतत्थीति मग्गन्ति, महाव. 45; अत्थिको विय आयाति, अतिथी नो वुच्चति, सु. नि. 764; अस्थिपञ्हेन आगम, सु. नि. भविस्सति, जा. अट्ठ. 7.311; पाठा. अद्धिको; - जन पु.. 1049; 1111; ख. पु., भिखारी, याचक - अथ याचनको अत्थिक' + जन कर्म. स. [आर्थिकजन], दरिद्र-जन, अत्थी याचको च वणिब्बको, अभि. प. 740; स. उ. प. के निर्धन लोग, याचक - अत्थिकजनेहि पविवित्तं विरळ दानग्गं रूप में आमिस., चित्तसमाध., भोजन., वाद., सुख. के अहोसि, पे. व. अट्ट, 112; - भाव पु., अत्थिक' + भाव अन्त. द्रष्ट.. [अर्थिकभाव), क. इच्छा, अभीष्टता - अत्तनो अत्थिकभावं अत्थुच्चारणविसेस पु., कर्म. स. [अर्थोच्चारणविशेष], अर्थों .... सुणेय्य, जा. अट्ठ. 5.145; अहिं कत्वाति अत्थिकभावं एवं उच्चारणों में विशिष्टता या अन्तर, विशेष प्रकार के अर्थ कत्वा, अत्थिको हुत्वाति अत्थो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) और उच्चारण - एवं पदविभागाविभागवसेन समानसुतिकानं 1(2).296; ख. उपयोगिता, लाभदायकता - ... इमिना वा अत्युच्चारण - विसेसो वेदितब्बो, सद्द. 1.38. पिण्डपातमत्तेन अस्थिकभावं, पु. प. अट्ठ. 95; ग. आवश्यकता अत्थुति स्त्री., त्थुति का निषे. [अस्तुति], निन्दा, अकीर्ति, की स्थिति, दुर्दशा की स्थिति, दयनीय अवस्था - ... अत्तनो स्तुति का अभाव - असिलोको अकित्ती च असिलाधा च अत्थिकभावं पवेदेन्ता विचरन्ति, पे. व. अट्ठ. 106; - अत्थुति, सद्द. 2.380. वत/वन्तु त्रि., संभवतः अत्थवन्तु के मिथ्या सादृश्य पर अत्थुद्धार पु., ष. तत्पु. स. [अर्थोद्धार], क.ध. स., अट्ठ. व्यु., जरूरतमन्द, जिसे कुछ पाने की अभिलाषा है, चाह के चौथे अध्याय का नाम, जिसमें पुस्तक की विषयवस्तु का करने वाला - अत्थिकवतो खो पन ते अम्बट्ट, इधागमनं संक्षेप है - तदनन्तरं पन तेपिटकस्स बुद्धवचनस्स अत्थुद्धारभूतं अहोसि, दी. नि. 1.79; अत्थिकमस्स अत्थीति अत्थिकवा, ... अट्ठकथाकण्ड नाम, ध. स. अट्ठ.8; 428; 443; दी. वं. दी. नि. अट्ठ. 1(1).206.
5.37; ख. अर्थ अथवा विषयवस्तु का सारांश, संक्षेपण, अत्थिक त्रि., अस्थि से व्यु. [आस्तिक], नैतिक मूल्यों, विशेषरूप में किसी एक शब्द अथवा समानार्थक शब्दों के परलोक, पुनर्जन्म आदि के अस्तित्व में विश्वास रखने अट्ठ. में प्राप्त अर्थों का संक्षेप-सार, अनेक अर्थों के बीच वाला, अत्थिकवाद आदि के स. पू. प. के रूप में ही प्रयुक्त; शब्द के किसी एक अर्थ का विनिश्चायन - ... एकमेकं पदं - वाद पु., अत्थिक + वाद [आस्तिकवाद], क. परलोक अत्थुद्धारपदुद्धारवण्णना - नयेहि विभजित्वा वेदितब्बा, सु. या ऊंची नैतिकता आदि मूल्यों पर विश्वास रखने वाला नि. अट्ठ. 1.201; इति सहस्स अत्थुद्धारो एवं सद्देन सिद्धान्त - तेसं तुच्छं मुसा विलापो ये केचि अत्थिकवादं समानत्थताय ‘एवं मे सुतान्ति एत्थ विय, उदा. अट्ठ. 38; वदन्ति, दी. नि. 1.49; अत्थिकवादन्ति अस्थि दिन्न । स्वायमिधापि अरियसच्चे वत्ततीति एवमेत्थ अत्थुद्धारतो पि दिन्नफलन्ति इमं अत्थिकवादयेव..., म. नि. अट्ठ. (म.प.) विनिच्छयो वेदितब्बो, विभ. अट्ठ. 80. 2.163; ख. त्रि., आस्तिकवाद का प्रतिपादक - सीलवा अत्थुद्धारण पु., तत्पु. स. [अर्थोद्धारण], शब्दार्थों के संक्षेपपुरिसपुग्गलो, सम्मादिट्ठि अत्थिकवादो, म. नि. 2.74. सार अथवा शब्द के अनेक अर्थों मे किसी एक अर्थ के अत्थिय त्रि., [अर्थ्य], अभिलाषी, प्रयोजन वाला, हितकारक, निर्धारण की पद्धति - नय पु., अर्थ निर्धारित पद्धति - लाभकारक, इच्छुक, केवल स. उ. प. में ही प्रयुक्त०, लोकसङ्घातत्ता वा तेसं धम्मानं अत्थुद्धारणनयेनेतं वुत्तं, म. अत्थत्थिय, किमत्थिय, सुखत्थिय के अन्त. द्रष्ट; - त्थिया नि. अट्ठ (मू.प.) 1(1).254. अत्थिय का स्त्री., के निमित्त, के लिए - किमत्थिया, भन्ते अत्थुद्धारभूत त्रि., [अर्थोद्धारभूत], विषयवस्तुओं अथवा नागसेन, तुम्हाकं पब्बज्जा, मि. प. 29; उपमं ते करिस्सामि, शब्दों के अर्थों का संक्षेप-सार - अत्थुद्धारभूतं अट्ठकथाकण्ड महाराज तवत्थिया, जा. अट्ठ. 7.120.
ध. स. अट्ठ. 8; तुल. दी. वं. 5.37.. अस्थिरत्त नपुं., थिर के भाव. का निषे. [अस्थिरत्व], अस्थिरता अत्थुपेत त्रि., तत्पु. स. [अर्थोपेत], त्रिपिटक के वास्तविक - अस्थिरतं कतस्सापि नेकधा सम्पकासयु, चू. वं. 68.18. तात्पर्य निर्णय में निष्णात, अर्थ के सारतत्व को जानने वाला
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