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अधिद्विति
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अधिपञ्जा
शासक, अधिपति - इस्सरो नायको सामि पतीसाधिपति पभ अय्याधिपाधिभू नेता .... अभि. प. 725, कोसलरट्ठा., खमा., गणा., गरुड़ा., जना., तारका., दिजा., धम्मा., नरा., भूता., मनुजा., मिगा., यक्खा., रट्टा., लोका., विहगा., सुरा. आदि के अन्त. द्रष्ट... अधिपच्च नपुं., अधिपति का भाव. [आधिपत्य], ईश्वरत्व, अधिपति होने की अवस्था - रज्जञ्च पटिपन्नास्म,
आधिपच्चं सुचीरत, जा. अट्ठ. 5.50; तुल. अधिपतिय, अधिपज्जति अधि + पद का वर्त., प्र. पु., ए. व. [अधिपद्यते]. प्राप्त करता है, आकर गिर जाता है, आपतित होता है - अथो अत्थं गहेत्वान, अनत्थं अधिपज्जति, अ. नि. 2(2).233. अधिपत्ति अव्ययी. अ. [अधिप्रज्ञप्ति], क. निर्वचन अथवा व्याख्या के विषय में, व्याख्यान-विषयक - अथ खो अहमेव तत्थ भिय्यो यदिदं अधिपत्ति , दी. नि. 3.103; ख. स्त्री., उत्कृष्टतम व्याख्यान - ... अधिपत्ति नाम खन्धपत्ति, धातुपञ्जत्ति, आयतनपत्ति, इन्द्रियपत्ति, सच्चपञत्ति, पुग्गलपञत्तीति एवं वुत्ता छ पञत्तियो, दी. नि. अट्ठ.
3.90.
अधिद्वितपत्तं गहेत्वा सन्निपतितब्बं पारा. 369; - सजी त्रि., [अधिष्ठितसंज्ञी], किसी भी अनिश्चित को सुनिश्चित होने की समझ रखने वाला, अगृहीत को गृहीत मानने वाला - ... अनधिट्टिते अधिट्टितसञ्जी, पारा. 376. अधिट्ठिति स्त्री., [बौ. सं. अधिस्थिति], निर्धारण, दृढ़ संकल्प, आधार, स्थान - अधिट्ठितियमाधारे ठानेधिट्ठानमुच्चते, अभि. प. 1032. अधितिद्वति/अधिट्ठाति अधि + Vठा, वर्त. प्र. पु., ए. व. [अधितिष्ठति], क. व्यावहारिक प्रयोग में लाता है, निष्पादित करता है, हाथ में लेता है, देखभाल करता है - चेतसो अधिट्टानं अभिनिवेसानुसयं न उपेति ... नाधिट्ठाति, स. नि. 1(2).17; न सक्कच्चं कम्मन्तं अधिट्टाति, अ. नि. 1(1).138; ख. आग्रह करता है, किसी बात पर बल देता है, डटा रहता है, जमा रहता है - हाय पू. का. कृ. - महाजनो मा पस्सतूति अधिट्ठाय, जा. अट्ठ. 3.244; ग. ध्यान केन्द्रित करता है, किसी पर अपना ध्यान एकाग्र करता है, निश्चय करता है, किसी ओर विचारों को ले जाता है, इच्छा अथवा संकल्प करता है - हासि अद्य., प्र. पु. ए. व. - एवमेवं एता खण्डदन्ता पलितकेसा होन्तुति अधिवासी ति, जा. अट्ट, 1.88. अधित्थि अ., अव्ययी. स. [अधिस्त्रि], स्त्री के विषय में, नारी से सम्बन्धित - ... यथा लोके इत्थीसु कथा अधित्थीति वुच्चति ..., विसुद्धि. 1.340; क. व्या. 345, इत्थीसु एक अधिकिच्च तथा पवत्तति सा कथा अधित्थि, सद्द... 3.749. अधिदेव पु., देवों के मध्य अधिपति, देवों में ऊंचे स्थान वाला देव - अतिरेको देवो अतिदेवो, एवं अधिदेवो, अधिसील, सद्द. 3.752; - आणदस्सन नपुं, देवों से सम्बन्धित विषयों का ग्रहण करने वाला ज्ञान - अट्ठपरिवर्ल्ड अधिदेवत्राणदस्सनं, अ. नि. 3(1).128; - त्तकर पु., अधिदैवत्व की ओर जाने वाला धर्म या कारण - अत्तनो च। परस्स च अधिदेवत्तकरं सब धम्मजातं वेदीति, सु. नि. अट्ठ. 2.298, तुल. अधिदेवकर; - देवे अव्ययी. अ. अधि + देव का सप्त. वि., ए. व. अथवा द्वि. वि., ए. व., देवताओं के विषय में, देव बनाने वाले धर्मों के विषय में - अधिदेवे अभिआय .... सु. नि. 1154; अधिदेवे अभिआयाति अधिदेवकरे धम्मे अत्वा .... सु. नि. अट्ठ. 2.298; अधिदेवे मयं ... भगवन्तं अपच्छिम्ह, अधिदेवे भगवा ब्याकासि. म. नि. 2.340. अधिप पु., केवल स. उ. प. में ही प्रयुक्त [अधिप], राजा,
अधिपज्ञा स्त्री., [अधिप्रज्ञा], उच्चस्तरीय प्रज्ञा, प्रज्ञा का उत्तम स्तर, उत्कृष्टतम् प्रज्ञा, प्रज्ञा के विषय में शिक्षा, शिक्षा के तीन प्रकारों में एक- अधिसील अधिचित्तं अधिपा , पटि. म. 411; किं सिक्खति? अधिसीलं अधिचित्तं अधिपअञ्च ..., उदा. अट्ठ. 295; तुल. अधिचित्तं; - अथ खो अहमेव तत्थ भिय्यो, यदिदं अधिपज दी. नि. 1.157; अट्ठ. की दृष्टि में अधिपज वस्तुतः अधिपा का लिङ्ग-विपर्यास है - अधिपञ्जन्ति एत्थ लिङ्गविपल्लासो वेदितब्बो, दी. नि. अट्ठ. 1.267; इध, भिक्खवे, भिक्खु आसवानं खया अनासवं चेतोविमत्तिं, पञआविमुत्तिं दिद्वेव धम्मे सयं अभिआ सच्छिकत्वा उपसम्पज्ज विहरति, अयं वुच्चति, भिक्खवे, अधिपा सिक्खा , अ. नि. 1(1). 268; - अधिसीले, अधिचित्ते, अधिपआय, महाव. 89; तेपि न सक्खिस्सन्ति विनेतुं अधिसीले अधिचित्ते अधिपाय, अ. नि. 2(1).99; ममं सावका अधिपआय सम्भावेन्ति, म. नि. 2.212; - धम्मविपस्सना स्त्री., कर्म. स., [अधिप्रज्ञधर्मविपश्यना], प्रज्ञा के आलोक में, धर्मों में अनित्य, दुख एवं अनात्म की अनुपश्यना - न लाभी अधिपआधम्मविपस्सनाय, अ. नि. 1(2).107; अधिपाधम्मविपस्सनायाति सङ्घारपरिग्गाहकविपस्स
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