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अधिपतति
नात्राणस्स, तहि अधिपज्ञासङ्घातञ्च पञ्चक्बन्धसङ्घातेसु च धम्मेसु विपस्सनाभूतं तस्मा अधिपञ्चाधम्मविपस्सना ति दुच्चतीति अ. नि. अट्ट 2.318: अनिच्चदुक्खादिवसेन सब्बधम्मतीरणं अधिपञ्ञा धम्मविपस्सना, अ. नि. टी. 2.250; - सिक्खा स्त्री, कर्म. स. [बौ. सं. अधिप्रज्ञाशिक्षा ], तीन शिक्षाओं में से एक अभिधर्म की अमला प्रज्ञा विषयिणी शिक्षा तिस्सो सिक्खा अधिसीलसिक्खा, अधिचित्तसिक्खा,
अधिपञ्ञासिक्खा, दी. नि. 3.175; म० नि० 1.407. अधिपतति अधि + पत का वर्त. प्र. पु. ए. व. [अधिपतति ]. क. तेजी से पार कर जाता है, अदृश्य हो जाता है- अतिपतति वयो खणो तथेव, जा. अट्ठ. 4.100; अतिविय पतति सीधे अतिक्कमति, तदे: ख. मर्दन करता है, अभिभूत कर देता है, आक्रमण करता है, किसी के विपरीत आ धमकता है; चढ़ बैठता है: - तित्वा पू. का. कृ. गावी तरुणवच्छा अधिपतित्वा जीविता वोरोपेसि उदा. 78; अधिपतित्वा ति अभिभवित्वा महित्वा उदा. अड
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अधिपतत्त नपुं, 'विदितत्त' के मि. सा. पर अधि + पति से निर्मित भाव. [ अधिपतित्व] अधिपति होने की अवस्था; प्रभुत्व, स्वामित्व, मालिकी, अधिपति-भाव से प्रवृत्त होने की अवस्था नेक्खम्माधिपतत्ता पञ्ञ, पटि म 99; नेक्खम्माधिपतत्ता पज्ञाति नेक्खम्मं अधिकं कत्वा नेक्खम्माधिकभावेन पवत्ता पञ्ञ, पटि. म. अट्ठ. 1.273. अधिपतन नपुं., [ अधिपतन ], किसी का विपरीत दिशा की ओर से उड़ते हुए आ गिरना दीपसिखं अधिपतनतो अधिपातका ति अधिप्पेता, उदा. अट्ठ. 290. अधिपति पु.. [ अधिपति] क शासक, स्वामी, प्रभु इस्सरो - नायको सामि पतीसाधिपति पभु, अभि. प. 725; अधिपति के योग मे ष. वि. अथवा सप्त वि. का प्रयोग - गोणानं अधिपति गोणेसु अधिपति क. व्या. 305 सह. 3.724; गन्धब्बानं अधिपति, ... कुम्भण्डानं अधिपति.... नागानञ्च अधिपति... यक्खानञ्च अधिपति, महाराजा यसस्सिसो दी. नि. 2.188-189; ख. ला. अ. नियन्त्रक, प्रधान तथ्य, महत्त्वपूर्ण तत्त्व सो अत्तानंयेव अधिपति करित्या अकुसलं पजहति अ. नि. 1 (1) 172: एवं अत्ताधिपति हरी नाम होति, ध. स. अट्ठ. 170; अधिपतिवसेन पन मनो सेट्टो एतेसन्ति मनोसेडो, ध. प. अ. 1.14: पच्चय पु.. कर्म. स. [बौ. सं. अधिपतिप्रत्यय ] अभिधर्म का पारिभाषिक शब्द, चौबीस प्रकार के प्रत्ययों में से एक, चित्त एवं चेतसिकों की उत्पत्ति
अधिपात
के लिए प्रमुख अथवा जेष्ठ बनाया हुआ छन्द, वीर्य, चित्त एवं विमर्श में से कोई एक धर्म- जेट्ठकट्ठेन उपकारको धम्मो अधिपतिपच्चयो विसुद्धि. 2.163; छन्दाधिपति... अधिपतिपच्चयेन पच्चयो .... वीमंसाधिपति ...... अधिपतिपच्चयेन पच्चयो, पट्टा. 1.2; अभि. अव., 175 यं नपुं. अधिपति का भाव [आधिपत्य] अधिपति या स्वामी या प्रमुख होने की अवस्था अधिपतिनो भावो अधिपतियं मो. व्या. 4.80; स. उ. प. के रूप में द्रष्ट, अत्ताधि, आरम्भणाधि, उळाराधि चित्ताधि., छद्वाराधि., छन्दाधि०, तारकाधि., तावतिंसा०, तिदसा., दिपदा, धम्माधि.. नागाधि.. मग्गाधि, मग्गाधि, मनुजाधि०, यक्खाधि, रद्वाधि, आदि के अन्त द्रष्ट. आधिपच्च. अधिप्पत्थित त्रि.. [अधिप्रार्थित), इच्छित अभीप्सित, वह जिसकी कामना की गई हो, याचितयं वत नो अहोसि इच्छितं .... यं अभिपत्थितं ... दी. नि. 1.105; 2.173; पाठा. अभिप्पत्थित.
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अधिप्पन्न त्रि. अधि + पद का भू क. कृ. [अधिपन्न ]. क. आपतित आ पड़ा हुआ, अनुचित कार्य किया हुआ, आपत्ति या अपराध में फंसा हुआ - अस्माकं अधिपन्नानं, खमस्सु राजकुञ्जराति जा. अड. 5.376: अधिपन्नानन्ति दोसेन अपराधेन अज्झोत्थटानं तदे ख. त्रि. किसी के आधिपत्य को प्राप्त किया हुआ, अधिगृहीत अन्तकेनाधिपन्नस्स ध. प. 288 अप. 2.228 स. नि. 1.88; अन्तकेनाधिपन्नस्साति मरणेन अज्झोत्थटस्स स. नि. अड्ड 1.23; जीवितन्तकरेन मच्चुना अभिभूतस्स जा. अड. 4.356 ग. नपुं. त्रुटि, भ्रम - यो च अत्तना अधिपन्नं अतिक्कन्तं अञ्ञस्मिं कतदोसं जानाति, जा. अट्ठ. 3.33. अधिपा स्त्री. [ अधिपा] नारी स्वामिनी, अध्यक्षा श्रेष्ठउद्वाय नारियो पमदाधिपा, जा. अड. 5.389: पमदाधिपाति पमदानं उत्तमा तदे..
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अधिपात' पु. अधि + √पत + घञ [ अधिपात], विभाजन, विखण्डन, केवल स. उ. प. के रूप में ही प्रयुक्त, द्रष्ट. मुद्धातिपात के अन्त
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अधिपात' पु० [अधिपतन्ती ति अधिपाता], शलभ, उड़कर प्रकाश पर आ पड़ने वाला कीट-पतंग पतन्ति पज्जोतमिवाधिपातका, उदा. 155; डंसाधिपातानं सरीसपानं, सु. नि. 970; ततो ततो अधिपतित्वा खादन्ति, तस्मा अधिपाताति युध्यन्ति, सु. नि. अड. 2.264 क पु.. पूर्ववत् तेन खो पन समयेन सम्बहुला अघिपातका तेसु आपातपरिपातं अनयं आपज्जन्ति, उदा. 154; दीपसिखं
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