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अधिमान-सच्च
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अधिमुत्ति अधिमान-सच्च त्रि., भ्रमात्मक-ज्ञान को अथवा प्रतीति को - अधिमुच्चिता होति, अ. नि. 2(1).155; अधिमुच्चिता होतीति सत्य समझने वाला - अधिमानिको खो अयमायस्मा सद्धाता होति, पु. प. अट्ठ. 93. अधिमानसच्चो , अ. नि. 3(2).137.
अधिमुच्छित त्रि., अधि + (मूर्छ का भू. का. कृ.. अधिमानिक त्रि., [अभिमानिक], अभिमानी, घमण्डी, भ्रमजाल [अधिमूच्छित], लोभ अथवा शोक में डूबा हुआ, क्लेशों के में फंसा हुआ - अनधिगते अधिगतमानेन समन्नागतो प्रभाव से संज्ञा शून्य - गन्धेसु अधिमुच्छितो, थेरगा. 732; अधिमानिको ति, अ. नि. अट्ठ. 3.322; सद्धम्मेसु वा अगिद्धा नाधिमुच्छिता, थेरगा. 923; एत्थ लोकोधिमुच्छितो, अधिमानिको होति, अ. नि. 3(2).144; न हि अधिमानिकस्स विमुच्छितो, स. नि. 1(1).135; पाठा. विमुच्छितो; भिक्षुनो झानं ... वा होति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) अधिमुच्छिताति किलेसमुच्छाय अतिविय मुच्छिता, जा. अट्ठ. 1(1).194.
2.362. अधिमुच्चति अधि + vमुच, कर्म. वा. का वर्त., प्र. पु., ए. अधिमुत्त' त्रि., अधि + (मुच् का भू. क. कृ. [बौ. सं. व., [बौ. सं. अधिमुच्यते], क. छुटकारा दिया जाता है, अधिमुक्त], स्वयं को किसी ओर अथवा किसी में पूरी तरह ढीला किया जाता है, स्वतन्त्र या मुक्त हो जाता है - लगाया हुआ, कठोर प्रयास कर रहा, किसी को अपना
आणेन अधिमुच्चति, अप. 1.163; ख. किसी के प्रति दृढ़ अभिप्रेत अथवा अध्याशय बनाया हुआ, दृढ़ विश्वास वाला, विश्वास रखता है अथवा उसके बारे मे पूर्णतया सुनिश्चित अधिमुक्ति-युक्त-निब्बानं अधिमत्तानं, अत्थं गच्छन्ति आसवा, होता है - द्वीसु महापुरिसलक्खणेसु ... नाधिमुच्चति, सु. ध. प. 226; अधिमुत्तानन्ति निब्बानज्झासयानं, ध. प. अट्ठ. नि. (पृ.) 167; अधिमुच्यतीति अधिमोक्खं लभति, म. नि. 2.188; सो छ ठानानि अधिमत्तो होति, अ. नि. 2(2)87; अट्ठ. (मू.प.) 1(2).125; ग. किसी में आनन्द लेता है, किसी अधिमुत्तो होतीति पटिविज्झित्वा पच्चक्खं कत्वा ठितो, अ. की ओर प्रवृत्त होता है, किसी के प्रति लोभी होता है - त्तो नि. अट्ठ. 3.126; स. उ. प. के रूप में अव्यापज्झा ., भू. क. कृ., पु., प्र. वि., ए. व. - किलेसवसेन अधिमत्तो असम्मोहा., आकिञ्चज्ञा., आणञ्जा., उपादानक्खया., गिद्धो होति, स. नि. अट्ठ, 3.43; - च्चिस्सति भवि., प्र. पु... करुणा., कामा., तण्हक्खया., दाना०, निब्बाना., नेक्खम्मा., ए. व. - लोको ओनमिस्सति, ओकप्पेस्सति, अधिमच्चिस्सतीति. पणीता., पविवेका., ब्रह्मलोका., सद्धा., हीना. के अन्त. मि. प. 219-220; - च्चित्वा पू. का. कृ. - सत्ता द्रष्ट.; - चित्त त्रि., अधिमुक्तचित्त], वह जिसका चित्त दृढ़ अधिमुच्चित्वा, उदा. अट्ठ. 171; घ. धारणा बनाता है, अथवा श्रद्धा से भरा हो, दृढ़ निश्चयी चित्त वाला - एवं में अनुभव करता है, दृढ़ संकल्प लेता है -च्चि अद्य.. प्र. पु.. धारेहि अधिमुत्तचित्तन्ति, सु. नि. 1155. ए. व. - विम्बिसारस्स पासादं सुवण्णन्ति अधिमुच्चि, सो अधिमुत्त पु.. थेरगा., 114; तथा 705-725; गीतियों के अहोसि सब्बसोवण्णमयो, महाव. 285; ङ, बोधिसत्व, मार लेखक दो थेरों का नाम, थेरगा. के 114वें तथा 705-725 आदि की काया में प्रवेश करता है अर्थात् अभिव्याप्त कर तक की गाथाओं के रचयिता स्थविर. देता या भर देता है - च्चि उपरिवत् - तस्सेव कुमारस्स अधिमुत्ति स्त्री., अधि + मुच् से व्यु. [अधिमुक्ति], दृढ़ मातु सरीरे अधिमुच्चि, जा. अट्ठ. 5.426; अञतरस्स धारणा अथवा दृढ़ विश्वास, अभिप्राय, आशय, अभिप्रेत, ब्रह्मपारिसज्जस्स सरीरे अधिमच्चिम. नि. अट्ठ. (म.प.) संकल्प, अभिरुचि - अज्झासयो अधिप्पायो आसयो 2.3083; - च्चित्वा पू. का. कृ. - अधिमुच्चित्वा तत्थ तत्थ चाभिसन्धि च, भावो धिमुत्ति छन्दोथ .... अभि. प. 766, उप्पन्ना उच्छिज्जन्ति, उदा. अट्ठ. 171; सहस्सो ब्रह्मा ... अज्झासयसभावो अधिप्पेतो, यो अधिमुत्तीतिपि वुच्चति, इतिवु. अधिमुच्चित्वा विहरति, म. नि. 3.143.
अट्ठ. 215; तथागतो सत्तानं आसयं, अनुसयं, चरितं, अधिमुच्चन नपुं.. अधि + मुच से व्यु., क्रि. ना., दृढ़ अधिमुत्तिं जानाति, पटि. म. 112; नेसा बुद्धानं विश्वास, सुदृढ़ धारणा, दृढ़ संकल्प - को अयं अधिमुच्चनढो? अधिमुत्ति, मि. प. 159; - पच्चुपट्ठान त्रि., [बौ. सं. ध. स. अट्ठ. 234; अधिमुच्चनं अधिमोक्खो , विसुद्धि. 2.93; अधिमुक्तिप्रत्युपस्थान], अधिमुक्ति के द्वारा अभिव्यक्त, साक्षात् यो चित्तरस अधिमोक्खो अधिमुच्चना, विभ. 187.
रूप में प्रकाशित या उत्पन्न - सद्धा ... अधिमुत्तिपच्चुपट्टाना, अधिमुच्चितु पु.. अधि + (मुच से व्यु. क. ना. सु. नि. अट्ठ 1.114; ओकप्पनलक्खणा सद्धा [अधिमोक्त], श्रद्धावान्, विश्वासी, दृढ़ संकल्प करने वाला अभिमुत्तिपच्चुपट्टाना च, नेत्ति. 25.
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