________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अननुमत
191
अननुसोचिय [अननुभूतालम्बन], पूर्व में अनुभव नहीं किया गया इन्द्रिय - अननुच्छविक, मोघपुरिस, अननुलोमिक अप्पतिरूपं एवं अतीन्द्रिय ज्ञान का आलम्बन - सो पनेस असमुदाचारवसेन अस्सामणकं ..., महाव. 66; ... भिक्खु बालो होति अब्यत्तो वा अननुभूतारम्मणवसेन वा अनुप्पन्नो उप्पज्जतीति वेदितब्बो. ... विहरति अननुलोमिकेहि गिहिसंसग्गेहि, महाव. 419; अ. नि. अट्ठ. 1.24; - पुब्ब त्रि.. [अननुभूतपूर्व], पूर्व काल पारा. 21; - त्त नपुं.. [अननुलोमिकत्व], अयोग्यता, अनुचित में अनुभव नहीं किया गया - सुपिनन्तेपि अननुभूतपुब्बं होने की अवस्था - अननुलोमिकत्ता एव च अप्पतिरूपं परमगम्भीर ... अमतं निब्बानं, उदा. अट्ठ. 318.
पारा. अट्ठ. 1.169. अननुमत त्रि., [अननुमत], वह, जिसके लिये अनुमति या अननुवज्ज त्रि., [अननवद्य], अनिन्दनीय, अगर्हय, अनुमोदन प्राप्त नहीं हैं या जो अनुज्ञात नहीं है - नानुजातोति प्रशंसनीय, निन्दामुक्त, प्रशंसा के योग्य - चतूहि, ... अङ्गेहि अननुमतो, पे. व. अट्ठ. 54; तुल. थेरीगा. 129.
समन्नागता वाचा सुभासिता होति, ... अनवज्जा च अननुवज्जा अननुमोदक त्रि., [अननुमोदक], सङ्घकर्म का अनुमोदन न च विझूनं. सु. नि. पृ. 148; अननुवज्जा चाति अनुवादविमुत्ता, करने वाला भिक्ष, धन्यवाद ज्ञापन न करने वाला - द्विन्नं सु. नि. अट्ठ. 2.112; ... अनवज्जो च होति अननुवज्जो च पुग्गलानं अनत्थतं होति कथिनं - अनत्थारकस्स च विझूनं, अ. नि. 1(1).331. अननुमोदकस्स, परि. 326.
अननुवाद त्रि., अनुवाद का निषे. [अननुवाद], उपरिवत् - अननुयुञन नपुं.. [अननुयुञ्जन], किसी में लगाव का न अननुवादो चुदितो भिक्खूति अलं वचनाय, महाव. 243; एवं होना, किसी के साथ जुड़ा हुआ न रहना - अननुयोगेति ओवदन्तो अननुपवादो, ध. प. अट्ठ.2.217, पाठा. अननुपवाद. योगस्स अननुयुञ्जने, अ. नि. अट्ठ. 3.168.
अननुविच्च अ., पू. का. कृ. [अननुविच्य], परीक्षा न करके, अननुयुत्त त्रि., [अननुयुक्त], अव्यात, किसी कार्यविशेष में विवेचन के बिना, बिना विनिश्चय किये हुए, पर्यवगाहन न न जुटा या लगा हुआ - ... अयमायस्मा जागरियं अननुयुत्तोति, करके - ये ते, भन्ते, बाला अब्यत्ता अननुविच्च अपरियोगाहेत्वा म. नि. 2.145; ... ये ते पुग्गला अस्सद्धा ... भोजने परेसं वण्णं वा अवण्णं वा भासन्ति, म. नि. 2.323; अननुविच्च अमत्तञ्जुनो, जागरियं अननयुत्ता .... म. नि. 1.39.
अपरियोगाहेत्वा अवण्णारहस्स वण्णं भासति ..., अ. नि. अननुयोग पु., [अननुयोग], धर्मों के प्रत्यवेक्षण में न 1(2).98. लगना, अलगाव, धर्मविषयक परिपन्थ, धर्मों की धर्मता के अननुवेज्ज त्रि., अनु + विद के सं. कृ. का निषे., न विषय में प्रमाद - पमादे अननुयोगे अपच्चवेक्षणाय तिब्बा खोजने योग्य, न पाए जाने योग्य - तथागतं अननुविज्जोति भयसआ पच्चुपट्टिता होति. अ. नि. 2(2).199; कुसलानं वा वदामि. म. नि. 1.194; अननुविज्जोति असंविज्जमानो वा धम्मानं भावनाय... अनधिट्टानं अननुयोगो पमादो, विभ. 401. अविन्देय्यो वा, म. नि. अट्ठ (मू.प.) 1(1).22. अननुयोगक्खम त्रि.. [अननुयोगक्षम]. प्रश्नों का सामना अननुसन्धिक त्रि., [अननुसन्धिक]. अनुसन्धियों अर्थात् करने में अक्षम, अनुयोग के अयोग्य, सङ्घ के किसी कर्म में जोड़ों से रहित, संयोजक तत्वों से रहित, असम्बद्ध - न लगाये जाने के लिये असमर्थ रुग्ण भिक्षु आदि-गिलानो बुद्धानं अननुसन्धिका नाम कथा अस्थि, सु. नि. अट्ठ. 1.113. च अननुयोगक्खमो वुत्तो भगवता, महाव. 247.
अननुसन्धिकगाथा स्त्री., कर्म. स. [अननुसन्धिकगाथा]. अननुरुद्ध त्रि., अनु + /रुध के भू. क. कृ. का निषे. पूर्वापर क्रम-सम्बन्धों से रहित गाथा, वह गाथा, जिसमें [अननुरुद्ध], अनियन्त्रित, अप्रतिविरुद्ध, अनवरुद्ध, अवरोध- पूर्वापरक्रमसम्बन्ध न हो, - यस्मा चतुबिधा गाथा पुच्छितगाथा, रहित - सा पनातुसो, निट्ठा अनुरुद्धप्पटिविरुद्धस्स उदाहु ... सानुसन्धिकगाथा अननुसन्धिकगाथाति, खु. पा. अट्ठ. 99. अननुरुद्धअप्पटिविरुद्धस्साति? म. नि. 1.95.
अननुसय पु.. अनुसेति से व्यु., अनुसय का निषे. [अननुशय]. अननुरूप त्रि., [अननुरूप], अनुपयुक्त, प्रतिष्ठा के विरुद्ध, अनुशय का अभाव - सो कामनन्दियापि अननुसया ..., अ. अनुचित, अयोग्य, अप्रतिरूप, अस्थानिक - अट्ठानेन अकारणेन नि. 2(1).226. अत्तनो राजभावस्स अननुरूप.... जा. अट्ठ. 3.391; अत्तनो अननुसोचिय त्रि.. [अननुशोच्य], शोक न करने योग्य - अननुरूपमेव मरणं पत्तो, ध. प. अट्ठ. 2.39.
भूतं सेसं दयितब्ब, वीतं अननुसोचियन्ति, जा. अट्ठ. 3.81; अननुलोमिक त्रि., अनुलोमिक का निषे. [अननुलोमिक]. अननुसोचियं न अनुसोचितब्बन्ति, जा. अट्ठ. 3.82; - जातक अनुपयुक्त, प्रतिष्ठा के विरुद्ध, अनुचित, अयोग्य, अप्रतिरूप नपुं.. 328वें जा. का नाम, जा. अट्ठ. 3.79-83.
निनुसन्धिका
कर्म. स.
गाथा, |
For Private and Personal Use Only