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अनद्धनेय्य
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अनधिवासक
अनद्धनेय्य त्रि., [अनध्वनेय्य], उपरिवत् - थले यथा वारि जनिन्द वर्ल्डअनद्धनेय्यं न चिरद्वितीक, जा. अट्ठ. 5.500%;
अनद्धनेय्यन्ति न अद्धानक्खम, तदे.. अनद्धभूत त्रि., अद्धभूत का निषे. [अनर्धभूत], स्वतन्त्र, अविभाजित, अखण्डित, मुक्त, वह, जिसका हिस्सा न बांटा । जा सके, अनभिभूत - अनद्धभूतं अत्तानं दुक्खेन अद्धभावेति म. नि. 3.9; तत्थ अनद्धभूतन्ति अनधिभूतं म. नि. अट्ठ (उप.प.) 36. अनधिक त्रि., अधिक का निषे०, तत्पु. [अनधिक], वह, जो आवश्यकता से अधिक नहीं है अर्थात् संतुलित, सर्वाकारसम्पन्न, असीम, पूर्ण - सब्बाकारसम्पन्न सब्बाकारपरिपूरं अनूनमनधिकं स्वाक्खातं केवलं परिपूर ब्रह्मचरियं सुप्पकासितं, दी. नि. 3.93; तञ्च खो अत्थतो वा ब्यजनतो वा अनूनमनधिक उदा. अट्ठ. 10; तस्मा पञ्चपमाणानि अनूनानि अनधिकानि, पञ्चनङ्गलसतानीति वुत्तं होति, सु. नि. अट्ट, 1.109, विलो. अनून, अन्यून. अनधिकरण त्रि., अधिकरण का निषे., ब. स. [अनधिकरण], विवाद-विषय में रुचि न रखने वाला - अनधिकरणेन भवितब्बं अनवसेसकारिना, मि. प. 351. अनधिगत त्रि., अधिगत का निषे०, तत्पु. [अनधिगत, अप्राप्त, वह, जो प्राप्त नहीं है, अज्ञात, असाक्षात्कृत - अदिढे दिवसचिनो अपत्ते पत्तसझिनो अनधिगते अधिगतसञ्जिनो असच्छिकते सच्छिकतसचिनो अधिमानेन अजं ब्याकरिंस. पारा. 111; योगं करोति अप्पत्तस्स पत्तिया अनधिगतस्स अधिगमाय असच्छिकतस्स सच्छिकिरियाय, मि. प. 33; दी. नि. 3.203; - त्त नपुं., भाव. [अनधिगतत्व], अप्राप्ति की स्थिति, प्राप्त न होना - पटिपत्तिया अधिगन्तब्बस्स अनधिगतत्ता नेव अधिगमो अत्थि, ध. स. अट्ठ. 378; - निद्वत्त त्रि., ब. स. [अनधिगतनिष्ठात्मन], वह, जिसमें चित्तस्थैर्य नहीं है, वह, जिसके चित्त में स्थिरता नहीं है - अब्योसितत्ता हीति अनधिगतनिद्वत्ता, थेरगा. अट्ठ. 2.253; - तारहत्त त्रि., वह, जिसने अर्हत्व को प्राप्त नहीं किया है, अर्हत्व की अवस्था में न पहुंचा हुआ, शैक्ष्य --
अप्पत्तमानसन्ति अनधिगतारहत्तं, स. नि. अट्ठ. 2.182. अनधिगम पु., [अनधिगम], अप्राप्ति, अलाभ, असाक्षात्कार -
इमिस्सायेव अरियाय पञआय अनधिगमा..., म. नि. 1.115. अनधिट्ठान नपुं.. अधिट्ठान का निषे., तत्पु. [अनधिष्ठान], किसी एक आलम्बन पर चित्त की अनवस्थिति, दृढ़ निश्चय या संकल्प का अभाव, चित्त की एकतानता का अभाव - पञ्चसु वा कामगुणेसु चित्तस्स वोसग्गो ... अनहितकिरियता
... अनधिद्वानं अननुयोगो ... अयं वुच्चति पमादो, विभ. 401; अनधिट्ठानन्ति कुसलकरणे पतिट्ठाभावो, विभ. अट्ठ. 443. अनधिहित त्रि., [अनधिष्ठित], 1. अनिर्धारित, वह, जिसका निर्धारण न किया गया हो अथवा जिसके विषय में विकल्पना न की गयी है - अतिरेकचीवरं नाम अनधिद्वितं
अविकप्पितं, पारा. 303; 2. वह, जिसके विषय में दृढ़ निश्चय न किया गया हो, असंकल्पित, अविकल्पित - तस्स चे, भिक्खवे, भिक्खुनो तं चीवरं अनधिष्कृिते अओ भिक्खु आगच्छति, समको दातब्बो भागो, महाव. 391. अनधिमू पु., अधिभू का निषे०, तत्पु. [अनधिभू]. अप्रभु, अस्वामी, अश्रेष्ठ, अप्रधान, अभिभूत न कर सकने वाला - अधिभूतो, अनधिभू अधिभंसु नं पापका अकुसला धम्मा, स. नि. 2(2).186. अनधिभूत त्रि., अधिभूत का निषे., तत्पु. [अनधिभूत], अपराजित, अविजित, अपराभूत - अयं वुच्चतावुसो, भिक्खु रूपाधिभू सद्दाधिभू गन्धाधिभू ... अधिभू अनधिभूतो, स. नि. 2(2).187. अनधिमन त्रि., ब. स. [अनधिमनस्], वह, जिसका मन किसी के प्रति रागयुक्त नहीं है, अन्यमनस्क, उदास मनवाला, अनुत्फुल्ल मन वाला - यस्मा च मे अनधिमनोसि सामि, न चापि मे मनसा अप्पियोसि, जा. अट्ठ. 5.26; यस्मा त्वं अनधिमनोसि, मं अभिभवित्वा अतिक्कमित्वा अझं मनेन न पत्थेसि, जा. अट्ठ. 5.27. अनधिमुच्छित त्रि., अधिमुच्छित का निषे०, तत्पु. [अनभिमूर्छित], अनासक्त, किसी के प्रति रागयुक्त न रहने वाला, क्लेशरहित - तस्मिञ्च सुखे अनधिमुच्छितो होति. म. नि. 3.9. अनधिवर त्रि., ब. स. [अनधिवर], वह, जिससे अधिक अभ्युत्कृष्ट कोई अन्य नहीं है, अतुल, अप्रमेय - इधागता अनधिवरं नमस्सितुं, वि. व. 139; इद्धी च ते अनधिवरा विहङ्गमा वि. व. 140; इध अनधिवरा बुद्धा, अभिसम्बुद्धा विरोचन्ति, जा. अट्ठ. 4.208; अनधिवराति अतुल्या अप्पमेय्या,
जा. अट्ठ. 4.209. अनधिवासक त्रि०, अधिवासक का निषे. [अनधिवासक]. धैर्यहीन, सहनशक्ति से विरहित, कष्टों को सहने में अक्षम, केवल स. प. के पू. प. के रूप में ही प्राप्त; - जातिक त्रि., [अनधिवासकजातिक], धैर्यहीन प्रकृति वाला, कष्ट सहने में अक्षम स्वभाव वाला- ऊनवीसतिवस्सो, भिक्खवे.
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