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अनागत
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अनागत
अज्ञात, वह, जिसे वर्तमान क्षण तक सीखा नहीं जा सका है, वह, जो ज्ञान के विषय के रूप में अभी तक उपस्थित नहीं है; 4. अनतिक्रान्त, वह, जो अभी तक पार नहीं कर सका हो- अडरते अनागते पठमयामेयेव जा. अट्ठ. 1.473; अनागतेति परियोसानं अप्पत्ते, अनतिक्कन्तेति अत्थो, जा. अट्ठ. 7.103; 5. केवल नपुं. में संज्ञा-रूप में भी प्रयुक्त; क. भविष्यकाल - अतीतं नान्वागमेय्य, नप्पटिकले अनागतं. म. नि. 3.227; अतीतं खो, आवसो, एको अन्तो, अनागतं दुतियो अन्तो, अ. नि. 2(2).105; ख. केवल व्याकरणों में, किसी क्रिया-पद द्वारा व्यक्त भवि. - अनागते भविस्सन्ती. क. व्या. 423; मो. व्या. 5.68; - तंस पु., कर्म. स. [अनागतांश], वर्तमान क्षण तक अप्राप्त कालखण्ड, वर्तमान समय तक न पहुंचा हुआ कोई भी धर्म या भाग - यं रूपं अजातं ... अनागतंसेन सङ्गहितं ... इदं वच्चति रूपं अनागतं विभ. 2: तीणि जाणानि-अतीतसे आणं, अनागतंसे आणं पच्चुप्पन्नसे आणं दी. नि. 3.221; - तंसाण नपुं.. तत्पु. स., सात अभिज्ञाओं में एक, जो अंश अथवा कालखण्ड वर्तमान क्षण तक अप्राप्त है, उसके विषय में ज्ञान - ... अनागतंसाणं पेसेत्वा ओलोकेन्तो ... समिज्झनभावं अद्दस, अ. नि. अट्ट, 1.123; अनागतंसाणचतुत्थं ... अनागते सङ्घो नाम राजा भविस्सतीति आदिना नयेन ... नवत्तब्बारम्मणं विभ. अट्ठ. 352; अनागतंसाणस्स, यथाकम्मुपगस्स च, अभि. अव. 140; - कालिक त्रि., [अनागतकालिक]. अभी तक नहीं आए हुए भविष्यत्काल से सम्बन्धित -- कत्थचि अतीतकालिका कत्थचि अनागतकालिका, सद्द. 1.49; -- कोट्ठास पु., कर्म. स. [अनागतकोष्ठांश], काल का अभी तक नहीं आया हुआ भाग, भविष्यकाल का कोई अंशअपरन्तं आरम्भाति अनागतकोट्ठासं आरम्मणं करित्वा, ध. स. अट्ठ. 415; - जाणकथा स्त्री.. तत्पु. स., कथा. नामक प्रकरण की पांचवीं कथा के आठवें खण्ड का कुछ संस्करणों में प्राप्त शीर्षक, पृ. 262; - त्त नपुं., भाव. [अनागतत्व], अनधिगमन, अग्रहण या अज्ञान की अवस्था, अज्ञानत्व, अप्राप्तित्व - राजानं निस्साय गन्धेसु अनागतत्ता, सा. वं. 112(ना.); - त्थ त्रि., ब. स. [अनागतार्थ], अर्थ अथवा परियत्ति एवं पटिवेध के ज्ञान को प्राप्त न किया हुआ, सत्यज्ञानविरहित - खुद्दञ्च बालं उपसेवमानो, अनागतत्थञ्च उसूयकञ्च, सु. नि. 320; अनागतत्थन्ति अनधिगतपरियत्तिपटिवेधत्थं सु. नि. अट्ठ. 2.57; - ताधिवचनकुसल त्रि., तत्पु. स., भविष्य के विषय में
कुशल, भविष्यत्कालवाचक शब्द के प्रयोग के सम्बन्ध में कुशल - ... अतीताधिवचनकुसलो, अनागताधिवचनकुसलो .... नेत्ति. 29; - तारम्मण त्रि.. ब. स. [अनागतालम्बन], वे चित्त एवं चैतसिक धर्म, जिनका आलम्बन भविष्य हैं, भविष्य को चिन्तन-विषय बनाने वाले चित्त एवं चैतसिक धर्म -- अनागते धम्मे आरब्भ ये उप्पज्जन्ति चित्त-चेतसिका धम्मा-इमे धम्मा अनागतारम्मणा, ध. स. 1048, 1433; - तारम्मणकथा स्त्री., कथा. के 9.7, अध्याय का शीर्षक, कथा. 328-336; - पुच्छा स्त्री., तत्पु. स. [अनागतपृच्छा], भविष्यत्काल के विषय में पूछताछ - अपरापि तिस्सो पुच्छा - अतीतपुच्छा, अनागतपुच्छा, पच्चुप्पन्नपुच्छा, महानि. 251; -- प्पजप्पा स्त्री.. च. तत्पु. स. संभवतः प्र + जल से व्यु.. भविष्य से सम्बन्धित अनेक प्रकार की मानसिक कामना - अनागतप्पजप्पाय, अतीतस्सानसोचना, स. नि. 1(1).63; जा. अट्ठ. 6.31; अनागतप्पजप्पायाति अनागतरस पत्थनाय, स. नि. अट्ठ. 1.27 (द्रष्ट, पजप्पा, पजप्पना, आगे)- फल त्रि., ब. स. [अनागतफल], वह, जिसने फल को प्राप्त नहीं किया है, अनधिगतफल, फल को अप्राप्त - आगताफलो अनागताफलो च, सद्द. 2.491; - भय नपुं, तत्पु. स. [अनागतभय], भविष्य में आने वाला भय, भविष्य में आशङ्कित सङ्कट या विपत्ति - ... कामेस अनागतभयं सम्पस्समाना ...., म. नि.1.387; पुरा आगच्छते एतं, अनागतं महब्भयं थेरगा. 978; ... देवदत्तो लाभसक्कारगिद्धो हुत्वा अनागतभयं न ओलोकेसि, जा. अट्ठ. 4.144: - मद्धान नपुं., अनागत + अद्धान [अनागताध्वन्], काल का अभी तक न आया हुआ भाग, भविष्यत्काल - अनागतमद्धाने द्विन्नम्पि तेसं चक्खूनं अन्तरधानं दिस्वा.... मि. प. 130, द्रष्ट, अद्धान; - रूप नपुं., कर्म. स. [अनागत-रूप], भविष्यत्कालवाचक कोई शब्दरूप - ... भविस्सती ति आदीनि वदतो अनागतरूपं न समेति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).182; अनागतरूपन्ति अभीते अत्थे अनागतसद्दारोपनं अनागतप्पयोगो न समेति, मू. प. टी. 1(2).196; - वंस पु.. श्रीलङ्का के कस्सप-नामक स्थविर द्वारा रचित भावी बुद्ध मैत्रेय के जीवन-वृत्तान्त से सम्बन्धित एक लघु वंश-ग्रन्थ का नाम: ग. वं. 61, (जॅ. पा. टे. सो. 1886, 33-53 में जे. मिनायेफ द्वारा तथा ई. लूमन द्वारा मैत्रेय समिति, स्ट्रेसबर्ग 1919, 184-191 में संपादित); - वचन नपुं., कर्म. स., भवि. वाचक अथवा उससे सम्बन्धित शब्द - विम्हयत्थवसेन पनेत्थ भविस्सतीति अनागतवचनं कतं, म. नि. अट्ठ. (म.प.)
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