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अनासव
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अनाहूत/अनव्हित अनासव शा. अ. नपुं., आसव का निषे०, ब. स. [अनास्रव, असम्भिन्नपायासादीनिपि ... आसित्तानि योजितानेव आस्रवों से मुक्त, चित्त में प्रवहनशील मन को दूषित बनाने मधुरानि ... होन्ति, न एवमयं धम्मो, स. नि. अट्ठ. 1.277. वालों, काम, भव, अविद्या एवं दृष्टि नामक चार आस्रवों से अनासेवना स्त्री., आसेवना का निषे., तत्पु. स. [अनासेवना], मुक्त हो चुका अर्हत् या बुद्ध - ओघतिण्णमनासवं सु. नि. भावना न करना, अव्यवहार, अनभ्यास, अप्रयोग, प्रमाद - 180; 1151; चतुन्नं आसवानं अभावेन अनासवन्ति, स. नि. ..... कुसलानं वा धम्मानं भावनाय ... अनासेवना, अभावना अट्ठ. 1.228; पवुट्ठजातिमखिलं, ओघतिण्णमनासवं, दी. नि. ..... अयं वुच्चति पमादो ति, खु. पा. अट्ठ. 1.115. 2.192; सब्बाकुसलप्पहानवसेन अनासवमुनि, महानि. अट्ट. अनासेवित त्रि., आसेवित का निषे., तत्पु. स. [अनासेवित, 137, द्रष्ट. आसव, ला.अ. निर्वाण, जिसमें सभी आस्रवों का व्यवहार में न उतारा गया, वह, जिसे निजी जीवन में क्षय हो जाता है - अनासवं धुवमनिदस्सनाकतापलोकितं. व्यवहार में अवतरित न किया गया हो - अमतं तेसं अभि. प. 7; - कथा स्त्री., कथा. के तीसरे अध्याय का भिक्खवे, अनासेवितं .... अ. नि. 1(1).61. शीर्षक, कथा. 228-230; - गामी त्रि.. [-गामिन्]. निर्वाण अनाहट त्रि., आहट का निषे., तत्पु. स. [अनाहत], अव्यवहृत,
की ओर जाने वाला या मार्ग- ... अनासवगामिञ्च मग्गं समीप तक नहीं लाया अथवा पहुंचाया गया - न अनाहटे ..... स. नि. 2(2).341; - चित्त त्रि., ब. स. [-चित्त], कबळे मुखद्वारं विवरितब्ब, पाचि. 263; अनाहटेति अनाहरिते आसवों से विमुक्त चित्त वाला - अनासवचित्तस्स मुखद्वारं असम्पापितेति, पाचि. अट्ठ. 154; दिन्नाय पारिसद्धिया अरियमग्गसमङ्गिनो .... म. नि. 3.119.
अन्तरामग्गे पक्कमति, अनाहटा होति पारिसद्धि, महाव. 151. अनाससान/अनासिसान त्रि., आ + संस के वर्त. कृ.. अनाहरणीय त्रि०, आहरणीय का निषे., तत्पु. स.
का निषे. [अनाशंसमान], आशारहित, इच्छा न करने वाला, [अनाहरणीय], नहीं ले आने योग्य - अत्तनो सन्तकं परेहि किसी भी वस्तु के प्रति तृष्णा से रहित, निस्पृह - सो अनाहरणीय कातुं सक्कोसी ति, ध. प. अट्ठ. 2.402. निरासो अनासिसानो .... सु. नि. 371; .... ततो आसाय अनाहरित त्रि., आहरित का निषे., तत्पु. स. [अनाहत], अभावेन कञ्चि रूपादिधम्म नासीसति: तेनाह -'निरासो समीप में नहीं लाया हुआ - अनाहटेति अनाहरिते ... अनासिसानोति. सु. नि. अट्ठ. 2.88; द्रष्ट. आससान, असम्पापितेति अत्थो, पाचि. अट्ठ. 154. अनासा स्त्री., आसा का निषे., तत्पु. स. [अनाशा], आशा अनाहार पु., आहार का निषे., तत्पु. स. [अनाहार], शा. का अभाव, अनिच्छा, निराशा, अकामना - ... अनासञ्चेपि अ. ईंधन का अभाव, अनुपयुक्त आहार, अविषय, अनुपयुक्त करित्वा .... म. नि. 3.178; कालेन आसं कालेन अनासं क्षेत्र - पञ्चन्नञ्च, ... नीवरणानं ... आहाररुच अनाहाररुच ...., म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.1463; निरासं कत्वानाति देसेस्सामि, स. नि. 3(1).123; को च.... अनाहारो अनुप्पन्नस्स अनासं कत्वा .... जा. अट्ठ. 3.86; अनासाय लभति, आसाय वा कामच्छन्दस्स उप्पादाय ..., स. नि. 3(1).126; ला. अ. न लभति, महाव. 341.
त्रि., ब. स., आहार या भोजन न लेने वाला, निराहार, अनासादनीय त्रि., आसादनीय का निषे., तत्पु. स. विषय-भोगों में अलिप्त, ईधन से रहित - उस्सस्सति अनाहारो, [अनासादनीय], नहीं प्राप्त करने योग्य, अभिभूत न करने सोकसल्लसमप्पितो, सु. नि. 991; महागिनि पज्जलितो, योग्य, अकोपनीय - केनचिपि अनासादनीयतो च दुरासदो, अनाहारोपसम्मति, थेरगा. 702; अनाहारोति अनिन्धनो, वि. व. अट्ठ. 180; अनासादनीयमासादयित्वा, मि. प. थेरगा. अट्ठ. 2.223; अनाहाराति निराहारा निरुपादाना, म. 196.
नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).127; - ता स्त्री॰, भाव., भोजन न अनासित्तक त्रि., आसित्तक का निषे., तत्पु. स. [अनासिक्तक], लेने की अथवा भूखे रह जाने की अवस्था - ... तयो वह, जिसमें किसी के आसिञ्चन की आवश्यकता नहीं हो, दिवसे अनाहारताय दुब्बलोपि समानो .... जा. अट्ठ. स्वभाव से ही मधुर, आसिञ्चन की अपेक्षा न रखने वाला 4.213. - असेचनकं अनासित्तकं पकतियाव महारसं, थेरीगा. अट्ठ. अनाहूत/अनव्हित त्रि., आहूत का निषे., तत्पु. स. 67; ... एत्थ पन नास्स सेचनन्ति असेचनको अनासित्तको, [अनाहूत], वह, जिसका आह्वान नहीं किया गया है या ... केचि पन असेचनकोति अनासित्तको ... सभावेनेव जिसे बुलाया नहीं गया है- अनव्हितो ततो आगा, जा. अट्ठ. मधुरोति वदन्ति, पारा. अट्ठ. 2.9; यथा हि बाहिरानि 3.142, पाठा. अनाहूत.
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