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अनादिकाल
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अनानुगिद्ध अनादिकाल पु./त्रि., स. प. के पू. प. के रूप में ही प्रायः अनादीनवदस्सावी त्रि, [अनादीनवदर्शी], उपरिवत् - प्रयुक्त [अनादिकाल], क. काल की वैसी स्थिति, जिसके अनादीनवदरसावी, सो दुक्खा न हि मुच्चति, थेरगा. 730प्रारम्भिक छोर का पता न हो, सुदीर्घकालावधि, ख. निषे०, 731; अनादीनवदस्सावीति यो ... इट्ठानिढेसु रूपायतनेसु ब. स., वह, जिसके लिये काल का कोई प्रारम्भिक क्षण .... यथारुचि पवत्तन्तं चक्खुन्द्रियं अनिवारयं ... आदीनवं विद्यमान न हो, आदिरहित, नित्य, शाश्वत, अनादिकाल दोसं न पस्सति, थेरगा. अट्ठ. 2.234. से चला आ रहा, - ता स्त्री., भाव., शाश्वतता, नित्यता, अनादीनवदस्सिता स्त्री., भाव., निषे०, तत्पु. स. चिरन्तनता - तेसं विसयेसु ... सत्ता विपुलविसयताय [अनादीनवदर्शिता], कामसुखों में आनन्द एवं कुशलता को अनादिकालताय च ..., उदा. अट्ठ. 297; - पवत्त त्रि., देखने की मनःस्थिति - ... कामेस अनादीनवदस्सितं अनादिकाल से चला आ रहा, अनादिकाल से प्रवर्तित - सब्बाकारतो विदित्वा ..., उदा. अट्ठ. 297. अनादिकालपवत्तं संसारचक्क, सु. नि. अट्ठ. 2.147; अनादेय्यवाचा स्त्री., कर्म. स., अग्राह्यवाणी, अस्वीकार्य अनादिकालपवत्ते दियड्डसहस्सकिलेसे .... उदा. अट्ठ. वाग्व्यवहार - यो सब्बलहुसो सम्फप्पलापरस विपाको, 273; - भावित त्रि. अनादिकाल से भावित - मनुस्सभूतस्स अनादेय्यवाचासंवत्तनिको होति, अ. नि.
अनादिकालभावितेहि किलेसेहि आहितं, उदा. अट्ठ. 156. 3(1).79. अनादिण्ण त्रि., आदिण्ण का निषे. [अनादीर्ण], नहीं फटा । अनाधानगाही त्रि., आधानगाही का निषे., तत्पु. स. हुआ, अविदीर्ण, अखण्डित - अच्छिन्नं वा अनादिण्णं अनाधानग्राही], अपने किसी विशेष मत पर आग्रह न धारेन्तस्स, तिचीवरं विन. वि. 47.
करने वाला, अनाग्रही- न सन्दिविपरामासी होति न अनादिन्नत्त नपुं॰, भाव., अनादिन्न से व्यु. [अनादत्तत्व], आधानग्गाही, दी. नि. 3.34; पाठा. अनाधानग्गाही; आधानं नहीं ग्रहण करने की स्थिति या अवस्था - विसमं अनादिन्नत्ता वुच्चति दळ्हं सुट्ट ठपितं, तथा कत्वा गण्हातीति समाधि, पटि. म. 44.
आधानग्गाही, दी. नि. अट्ठ. 3.21; भिक्ख असन्दिद्विपरामासी अनादिमन्तु त्रि., [अनादिमत्]. प्रारम्भ-रहित, नित्य, शाश्वत, होति अनाधानग्गाही सुप्पटिनिस्सग्गी, म. नि. 1.137. चिरन्तन - अनादिमतिसंसारे, उदा. अट्ठ. 318.
अनाधार त्रि., आधार का निषे०, ब. स. [अनाधार]. अनादियन नपुं, आदियन का निषे०, तत्पू. स., नहीं लिया आधाररहित, निराधार, आश्रयरहित, बेसहारा - कुम्भो जाना, अस्वीकरण, अग्रहण, तिरस्करण- अनादियनाकारो अनाधारो सुप्पवत्तियो होति, स. नि. 3(1).20; पत्ता अज्झोकासे वा अनादरता, ध. स. अट्ठ. 415; - नाकार पु., परामर्श के अनाधारा निक्खित्ता, चूळव. 231. अस्वीकरण की स्थिति - अनदायनाति अनादियनाकारो, अनानत्तकथिक त्रि.. नानत्तकथिक का निषे., तत्पु. स. विभ. अट्ठ, 471; - ता स्त्री., भाव., अस्वीकरण का भाव, [अनानात्वकथिक], बात को सीधे तौर पर कहने वाला, तिरस्क्रिया, उपेक्षाभाव - बुद्धादीनं वचनं अनादियनताय, घुमा-फिरा कर बात न करने वाला - अनानाकथिकोति सु. नि. अह. 2.212; - ना अनादियन का स्त्री., उपरिवत् अनानत्तकथिको होति. अ. नि. अट्ठ. 3.195... - अनद्दा ति अनादियना, विभ. अट्ठ. 471; - भाव पु., भाव., अनानाकथिक त्रि., निषे., तत्पु. स. [अनानाकथिक], बात उपरिवत् - वन्तोति इदं पुन अनादियनभावदरसनवसेन, को घुमा-फिरा कर न कहने वाला, सीधे रूप में कहने पारा. अट्ठ. 2.81.
वाला, निरर्थक बात न कहने वाला - सजगतो खो पन अनादीनवदस्स त्रि., आदीनवदस्स का निषे०, तत्पु. स. अनानाकथिको होति अतिरच्छानकथिको, अ. नि. 3(1).4; [अनादीनवदर्शक], विपत्ति या संकट को न देखने वाला, अनानाकथिकेनाति नानाविधं तं तं अनत्थकथं अकथेन्तेन, दोषरहितता देखने वाला, किसी तरह का दोष न परि. अट्ठ. 208. समझने वाला - ... अनादीनवदस्सो पुराणदुतियिकाय अनानुगिद्ध त्रि., अनुगिद्ध का निषे०, तत्पु. स. [अनानुगृद्ध तिक्खत्तु मेथुनं धम्म अभिविआपेसि, पारा. 19; या अनानुगिद्ध], लोभरहित, लिप्सारहित, आसक्तिरहित, अनादीनवदस्सोति यं भगवा इदानि सिक्खापदं पञपेन्तो निरासक्त - निब्बानाभिरतो अनानुगिद्धो, सु. नि. 86; आदीनवं दस्सेस्सति, तं अपस्सन्तो अनवज्जसञी हत्वा, अनानुगिद्धोति कञ्चि धम्म तण्हागेधेन अननुगिज्झन्तो, सु. पारा. अट्ठ. 1.164.
नि. अट्ठ. 1.129.
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