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अनतिचारी
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अनत्त
आचरणीय पांच आचरणों में से एक - पञ्चहि ... ठानेहि सामिकेन पच्छिमा दिसा भरिया पच्चुपट्ठातब्बा- सम्माननाय अनवमाननाय अनतिचरियाय ..., दी. नि. 3.144; अनतिचरियायाति तं अतिक्कमित्वा बहि अआय इत्थिया सद्धिं परिचरन्तो तं अतिचरति नाम, तथा अकरणेन, दी. नि. अट्ठ. 3.125; द्रष्ट. अतिचरिया. अनतिचारी त्रि., [अनतिचारी], खोट-रहित, अनुचित या अप्रिय आचरण न करने वाला, वफादार, सदाचारी, व्यभिचार न करने वाला - ... अनतिचारी च होति..., स. नि. 2(2).239; ... सङ्गहितपरिजना च, अनतिचारिनी च, दी. नि. 3.144. अनतिमान पु., तत्पु. स., अत्यधिक घमण्ड अथवा अहंकार का अभाव, विनम्रभाव - अनतिमानं निस्साय अतिमानो पहातब्बो..., म. नि. 2.28. अनतिमानी त्रि.. [अनतिमानी], अभिमान अथवा अत्यधिक अहंकार से मुक्त, विनम्र - ... अनतिमानिस्स एवंस ते आसवा विधातपरिळाहा न होन्ति, म. नि. 2.28; सूवचो चस्स मुदु अनतिमानी, सु. नि. 143; खु. पा. पृ. 11; अत्थद्धो होति अनतिमानी, दी. नि. 3.34; महोसधो, ... अक्कोधनो, अनतिमानी .... मि. प. 197. अनतिरित्त त्रि., अतिरित्त का निषे. [अनतिरिक्त], भिक्षु द्वारा पूर्वकाल में प्राप्त भोजन के अतिरिक्त नूतन रूप में प्राप्त अन्य भोजन- अनुजानामि, भिक्खवे ... भुत्ताविना पवारितेन अनतिरित्तं परिभुजितुन्ति, महाव. 290-91; अट्ठ अनतिरित्ता, परि. 265; अनतिरित्ते अतिरित्तसआयाति .... मि. प. 248; - टि. वि. पि. के अनुसार पवारित (अपने भोजन ग्रहण की घोषणा कर चुका) भिक्षु भोजन के बचे हुए भाग। (अतिरिक्त भत्त) को कुछ शर्ते पूरी कर लेने पर पुनः ग्रहण कर सकता है, परन्तु वह ताजा भोजन (अनतिरित्त भत्त) का ग्रहण नहीं कर सकता, द्रष्ट. पाचि. आपत्ति 35; पाचि. प. 116; - पच्चया अ., क्रि. वि., अनतिरिक्त अर्थात ताजे भोजन के कारण से - अनतिरित्तभोजनापत्तिया दूरभावो, विसुद्धि. 1.69, पाठा. अनतिरित्तभोजनपच्चया; - भोजन नपुं., पूर्व में प्राप्त भोजन का अवशिष्ट भाग न होकर ताजा भोजन - गामन्तरंगमिस्सामी ति पवारितेन अनतिरित्तभोजनं भुजितुं कप्पतीति अत्थो, सारत्थ. टी. 1.100; - सञी त्रि., अनतिरिक्त भोजन को अनतिरिक्त भी मानने वाला - अनतिरित्ते अनतिरित्तसञी खादनीयं वा भोजनीयं वा खादति ... आपत्ति पाचित्तियस्स, पाचि. 114.
अनतिरेकता स्त्री., अनतिरेक से व्यु. भाव., सुनिश्चित माप-तौल से अधिक अथवा उससे अतिरिक्त न होने की स्थिति-... केवलपरिपुण्णं परिसद्ध ब्रह्मचरियन्ति एवमादीस अनतिरेकता अत्थो, खु. पा. अट्ठ. 93, पाठा. अनवसेसता. अनतिवत्तन नपुं.. [अनतिवर्तन], रोग आदि से : अभिभूत न करते हुए रहना, अनुल्लंघन - जातिआदिदुक्खस्स अनतिक्त्तनतो च दुक्खं दुक्खसभावमेवाति अत्थो, उदा. अट्ठ. 170; युगनद्धस्स अनतिवत्तनट्ठो अभिओय्यो, पटि. म. 15; अनतिसार पु., अतिसार का निषे., तत्पु. स., विनय-नियमों का अनुल्लंघन, अपराध का न रहना, दोष से मुक्ति - ... अप्पणामेन्तो अनतिसारो होति, महाव. 62. विलो., सातिसार, द्रष्ट. आगे. अनतीत त्रि., अतीत का निषे. तत्पु., [अनतीत], वह जिसे पार नहीं किया जा सका है, वह, जिसका विषयीभूत है, वह, जिसे अभी तक पार नहीं किया गया, (द्वितीयान्त के साथ प्रयुक्त तथा 'धम्मो' का निषे. अनुपूरक)- जराधम्मो, जरं अनतीतो, दी. नि. 2.17; सब्बे सत्ता मरणधम्मा, मरणपरियोसाना मरणं अनतीता, स. नि. 1(1).116; - सत्थुक त्रि., अतीतसत्थुक का निषे., शास्ता अथवा भगवान बुद्ध की विद्यमानता वाला, शास्ता के निर्वाण से पूर्व वाला - याव च धम्मविनयो तिट्ठति ताव अनतीतसत्थुकमेव पावचनं होति, पारा. अट्ट, 1.5; खु. पा. अट्ठ. 73. अनत्त पु., अत्त का निषे., ब. स. [अनात्म], वह सभी कुछ, जिसमें आत्मा नहीं होती है अथवा वह, जो अपने आप में आत्मा का स्वरूप नहीं है, जो अपने वश में नहीं है - नत्थि एतेसं अत्ता कारकवेदकसभावो, सयं वा न अत्ताति अनत्ता, नेत्ति. अट्ठ. 176; यदनत्ता, तं नेतं मम, नेसोहमस्मि न मेसो अत्ताति... दट्ठब्बं स. नि. 2(2).2; सब्बे धम्मा अनत्ता, ध. प. 279; - त्तानं द्वि. वि., ए. व. - अत्तनाव अनत्तानं सञ्जानामी ति वा अस्स सच्चतो ... दिट्टि उप्पज्जति, अनत्तनाव अत्तानं .... म. नि. 1.11-12; - तो प. वि., ए. व. - अनत्ततो अनुपस्सन्तो अत्तसञ्ज पजहति, पटि. म., 400; - नि सप्त. वि., ए. व. - अनत्तनि अत्तमानि पस्स लोकं सदेवकं सु. नि. 761; - कत त्रि., अत्तकत का निषे. [अनात्मकृत], स्वयं अपने द्वारा नहीं किया गया, दूसरे द्वारा किया गया - ... अनत्तकतानि कम्मानि कमत्तानं फुसिस्सन्तीति, म. नि. 3.67; - गरही त्रि., उपपद. स. [अनात्मगहीं], आत्मनिन्दा न करने वाला - ... न लिम्पति
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