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अनट
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अनतिचरिया
इन तीन नामों से विवेचन हआ है. इनमें "मैं अज्ञात क्लेशादि से मुक्त होने से उत्पन्न सुख - चत्तारिमानि, ... अमृतपद निर्वाण को जानूंगा” इस प्रकार की चेतना वाले सुखानि अधिगमनीयानि ... अस्थिसुखं भोग-सुखं आनण्यसुखं स्रोतापत्तिमार्ग-क्षण में प्राप्त आर्यपुदगल की प्रज्ञा को अनवज्जसुखं, अ. नि. 1(2).80; अनणो स्मीति 'अनञआतअस्सामीतिन्द्रिय' कहा गया है - अनातं उप्पज्जनकसुखं आनण्यसुखं नाम, अ. नि. अट्ठ. 2.3063B अनधिगतं अमतपदं ... जानिस्सामी ति पटिपन्नस्स ... पाठा. आनण्यसुख. इन्द्रिय, सोतापत्तिमग्गपञआयेतं अधिवचनं, इतिवु. अट्ठ. अनटिक त्रि., अट्ठिक का निषे., ब. स. [अनस्थिक], बिना 183; अभि. ध. वि. टी. 197; यस्मिं समये .... अस्थियों वाला, बिना गुठली या आंठी वाला - मोचपानन्ति अनजातञ्जस्सामीतिन्द्रियं होति- इमे धम्मा कुसला, ध.. अनटिकेहि कदलिफलेहि कतपानं, महानि. अट्ठ. 321. स. 277; या तेसं धम्मानं अनातानं ... पञआ ... अनहित-किरियता स्त्री., स्थिरतापूर्वक क्रिया न करने की सम्पजज ... पाओभासो ... इदं तस्मि समये स्थिति, प्रमाद का एक लक्षण, निरन्तर क्रिया न करना - अनआतञस्सामीतिन्द्रियं होति, ध. स. 296.
.... कुसलानं वा धम्मानं भावनाय असक्कच्चकिरियता ... अनट त्रि., अकपटी, पाखण्डरहित, छलरहित, निष्कपट - अनट्टितकिरियता... अयं वुच्चति पमादो, विभ. 401; ... यो .... नानटो नाकुतूहलो, जा. अट्ठ.2.347; लाभं उप्पादेन्तेन पुग्गलो एकदिवसं दानं वा दत्वा... न निरन्तरं पवत्तेति, तस्स नटेन विय भवितब्बं यथा नटो हिरोत्तप्पं पहाय ... धनं सा किरिया, अनहितकिरियताति वच्चति, विभ. अट्ठ. 443. संहरति, एवमेव लाभत्थिकेन ... नानप्पकारं कोळि करोन्तेन अनत त्रि., नत का निषे०, [अनत, 1. नहीं झुका हुआ, विचरितब्बं यो एवं अनटो ..., तदे...
किसी के प्रति झुकाव, अभिरुचि अथवा प्रवृत्ति से रहित, अनजाधीन त्रि., अाधीन का निषे॰ [अनन्याधीन]. तृष्णारहित निब्बान - दुद्दसं अनतं नाम, न हि सच्चं अपराधीन, स्वाधीन, स्वतन्त्र - तस्मि एकस्मिंयेव सुदस्सन, उदा. 164, पाठा. अवनथं; अनतन्ति अनाधीना अस्स, जा. अट्ठ. 4.101.
रूपादिआरम्मणेसु. ... नमनतो तण्हा नता नाम, नत्थि एत्थ अनञपेक्खत्त नपुं., भाव., [अनन्यपेक्षत्व], किसी भी अन्य नताति अनतं, निब्बानन्ति अत्थो, उदा. अट्ठ. 319; 2. नपुं., की अपेक्षा न करने की स्थिति-... लिङ्गविपल्लासो इच्छितब्बो (अनृत) असत्य - भासन नपुं.. [अनृतभाषण], असत्य अनअपेक्खत्ता पुत्तधम्मसद्दादीनं, सद्द. 1.229-30; तत्थ भाषण, झूठ बोलना - कुदि अनतभासने, सद्द. 2.542. अट्टिसत्थिआदीनि पधानलिङ्गानि अनअपेक्खत्ता, सद्द. अनतिक्कन्त त्रि., अतिक्कन्त का निषे., [अनतिक्रान्त], नहीं 1.233, पाठा. अनअपेक्खकत्त.
पार किया हुआ क्षेत्र अथवा काल, पार नहीं करने वाला या अनाय न + आ + vञा, पू. का. कृ. [अनाज्ञाय], नहीं पार न किया हुआ - ... सूरिये नभमज्झं अनतिक्कन्तेयेव, जान कर - सच्चं किर ... थुल्लनन्दा भिक्खुनी ... जा. अट्ठ. 4.191; ... अनोघतिण्णेति कामोघं भवोघं ... कारकसङ्घ अनआय गणस्स छन्दं ओसारेतीति?, पाचि. अतिण्णे अनतिक्कन्ते, चूळनि. 107. 309; द्रष्ट. अज्ञआय, तुल. अजानित्वा.
अनतिक्कमन नपुं., अतिक्कमन का निषे. [अनतिक्रमण]. अनट्ठ त्रि., नट्ठ का निषे. [अनष्ट], वह, जो नष्ट नहीं हुआ। अनुल्लंघन, ऊपर होकर न बहना - ... आणा अनतिक्कमनाय है - अनढे नट्ठसञी, पारा. 376.
..., मि. प. 322; ... पुरिसो महतो तळाकस्स ... आळि अनड्ढ त्रि., अड्ड का निषे., तत्पु. [अनाढ्य], निर्धन, दरिद्र । बन्धेय्य, यावदेव उदकस्स अनतिक्कमनाय, चूळव. 420. - दुग्गते अधने नड्डे, अप. 2.235; पाठा. नटे.
अनतिक्कमनीय त्रि., अतिक्कमनीय का निषे. अनण त्रि., [अनृण], शा. अ. ऋण से मुक्त, ला. अ. पाप [अनतिक्रमणीय], अतिक्रमण न करने योग्य, उल्लंघन से मुक्त, भार से मुक्त, स्वतन्त्र - अनणा दानि ते मयं, थेरगा. नहीं करने योग्य - ... सिक्खापदं... यावजीवं अनतिक्कमनीयं 138; इदानि अग्गमग्गपत्तितो पट्ठाय इणभावकराय पहीनत्ता मि. प. 81; अट्ठ गरुधम्मा ... यावजीवं अनतिक्कमनीया, काम ते अनणा मयं, थेरगा. अट्ठ. 1.278; अनणो भुजामि चूळव. 420. भोजनं, थेरगा. 789, 882; किलेसइणं पहाय अनणा हत्वा अनतिचरिया स्त्री., अतिचरिया का निषे. [अनतिचर्या], ..., थेरीगा. अट्ठ.8; ... अनणा निदोसा अपगतकिलेसा हुत्वा परस्त्रीगमन से विरति, अनुचित आचरणों से विरति, ..., थेरीगा. अट्ठ. 120; - सुख नपुं., ऋणमुक्त होने अथवा अननुमोदित आचरण न करने की अवस्था, पत्नी के प्रति
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