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अद्धचन्द(क) 157
अद्धान ठित, नासीनं, न सयानं, न पद्धगुं, जा. अट्ठ. 3.81, द्रष्ट. यज्ञ-पुरोहित - अद्धरो नाम यअविसेसो, तदुपयोगभावतो अष्टा. 6.4.40-41 पर काशिका, तुल. अद्धग,
'अद्धरिया' त्वेव वुच्चन्ति यजूनि, तानि सज्झायन्तीति अद्धचन्द(क) पु.. [चांदवाला] वड्डचन्दक क. आधे चन्द्रमा 'अद्धरिया' यजुब्बेदिनो, लीन. (दी.नि.टी.) 1.355. के आकार वाला एक प्रकार का आभूषण - तथा कलम्बकं अद्धवग्ग पु., स. नि. के देवतासंयुत्त के एक वर्ग का नाम, कातुं अद्धचन्दकमेव वा, विन. वि. 471; 3030; छत्तपण्णकेसु स. नि. 1.45-48. मकरदन्तकं वा अद्धचन्दकं वा छिन्दितुं न वट्टति, पारा. अद्धविहीन त्रि., नाबालिग, अपरिपक्व आयु वाला - अट्ठ 1.232, पाठा. अड्ढचन्दक.
अद्धविहीनो अंगविहीनो, उ. वि. 435, समाना. अद्धानहीन. अद्धत्तय नपुं.. समा., द्व. स., [अध्वत्रय], अतीत, प्रत्युत्पन्न अद्धा अ., निश्चयार्थक निपा. [अद्धा], सचमुच, बिल्कुल, (वर्तमान) एवं अनागत (भविष्य), इन तीन कालों का अवश्य, निस्सन्देह, प्रकटतः, स्पष्ट रूप से - एकसेद्धा समुच्चय, तीन काल - किं अतिक्कमित्वा? अद्धत्तयं, स. व्ययन्तरे, अभि. प. 994; ... अद्धा कामं जातुचे हवे, अभि. नि. अट्ठ. 2.89.
प. 1140; अद्धा, पसंसाम सहायसम्पदं, सु. नि. 47; अद्धाति अद्धद्धमास पु.. [अर्धार्धमास], महीने का आधा-भाग, महीनों एकंसवचनं निस्संसयवचनं निक्कवावचनं अद्वेज्झवचनं
का प्रत्येक पक्ष - अद्धद्धमासे पन्नरसे, चरिया. 379, पाठा. अवेळहकवचनं नियोगवचनं अपण्णकवचनं अवत्थापनवचनं. अन्वद्धमासे.
महानि. 2; अद्धा पटिआतमेतं तदाहु .... पे. व. 528; अद्धनख त्रि., ब. स. [अर्धनख], प्रदूषित अथवा सड़ा गला अद्धाति एकसेन, पे. व. अट्ठ. 193; अन्य निपा. के साथ नाखून - अन्धनखोति पूतिनखो, जा. अट्ठ. 7.320, अपपा. भी प्रयुक्त क. 'खो' के साथ - अद्धा खो, भन्ते, एवं अन्धनख.
सन्ते .... दी. नि. 1.53; अद्धाति एकंसवचनमेतं, दी. नि. अद्धनिय त्रि., अद्ध से व्यु., [बौ. सं. अध्वानीय], शा. अ. अट्ठ. 1.140; ख. 'हवे' के साथ - अद्धा हवे सेवितब्बा यात्रा करने के लिए उपयुक्त (मार्ग) यात्रा करने योग्य - सपा , जा. अट्ठ. 3.268; ग. 'हि' के साथ - अद्धा हि सुखा उतु अद्धनिया .... थेरगा. 529; अद्धनियाति भगवा तथैव एतं, सु. नि. 377; घ. भवि. के क्रि. रू. के अद्धानगमनयोग्गा उतु, थेरगा. अट्ठ. 2.145; ला. अ. साथ - अद्धा गमिस्सामि न मेत्थ कंखा, सु. नि. 1155%; टिकाऊ, देर तक ठहरने योग्य, दीर्घकालिक, चिरस्थितिक अद्धा चरिस्सन्ति बहू च सद्धा, स. नि. 1(1).149. - यथयिदं ब्रह्मचरियं अद्धनियं अस्स चिरहितिक, पारा. 8; अद्धा-कथा स्त्री, कथा., के 15वें अध्याय के तीसरे खण्ड तत्थ अद्धनियन्ति अद्धानक्खमं दीघकालिकं पारा. अट्ठ. का नाम, कथा. 413-15. 1.1463; ... यथयिदं सासनं अद्धनियं अस्स चिरद्वितिकं, खु. अद्धान नपं.. [अध्वन], शा. अ. दीर्घकाल की अवधि अथवा पा. अट्ठ. 73.
लम्बा मार्ग - काले, दीघजसेद्धानं अभि. प. 1100, अद्धानं अद्धभूत त्रि., [अध्वभूत], क. पर-निर्भर, परतन्त्र, अस्वतन्त्र, दीघमञ्जसं, अभि. प. 192, द्रष्ट, अद्धन, ला. अ. प्राणी के
बन्धन में बंधा हुआ, अभिभूत - सब्बं अद्धभूतं... चक्खु द्वारा तीनों कालों में किये जा रहे संसरण का मार्गखण्ड, .... अद्धभूतं ... जातिया जराय ... अद्धभूतं. स. नि. 2(2). प्रतीत्यसमुत्पाद द्वारा वर्णित संसरण की कभी अन्त न होने 19; अद्धभूतन्ति अधिभूतं अज्झोत्थटं उपद्रुतं .... स. नि. वाली यात्रा के तीन खण्ड - एवमिदं दीघमद्धानं सन्धावितं अट्ठ. 3.10; ख. अधिभूत, ग्रस्त - अधिभवीयते सो ति संसरितं, दी. नि. 2.71; एवमेतं दीघमद्धानं सन्धावितं. मि. अधिभूतो, एवं अद्धभूतो, सद्द. 1.79, पाठा. अण्डभूत एवं प. 48; - अतीतस्स अद्धानस्स किं मूलं .... मि. प. 50; अद्दभूत.
- अतीतद्धानन्ति अतीते अद्धाने, जा. अट्ठ. 3.37; - इरियापथ अद्धर पु., [अध्वर], एक प्रकार का यज्ञ-विशेष, सोमयज्ञ, पु., लम्बे समय से चल रही शारीरिक क्रिया; दीर्घकालीन अहिंसकयज्ञ - अद्धरो नाम यज्ञविसेसो, लीन. (दी.नि.टी.) गमन, जाने, खड़े होने, बैठने एवं लेटने की चार शारीरिक 1.355.
चेष्टाएं - अद्धानइरियापथा चिरप्पवत्तिका दीघकालिका अद्धरिया पु., [आध्वरिक, अध्वर्यु], पुरोहित, यज्ञ में होता, इरियापथा, म. नि. टी. (मू.प.) 1(1).323; ... इमस्मिहि उद्गाता एवं ब्रह्मा के अतिरिक्त चौथा पुरोहित, यज्ञ का ठाने अद्धानइरियापथा कथिता, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) सञ्चालक करने वाले ब्राह्मणों का एक वर्गविशेष, यजुर्वेदी 1(1).279; तुल. मज्झिमा-इरियापथ तथा चुण्णिक इरियापथ,
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