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अदुं/अदु
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अदूभ/अदुब्म/अम अव्यापन्नचेतसो, स. नि. 3.90; - सत्त त्रि., ब. स. रहित भिक्षु के अपराध, हलके-फुलके अपराध - अदुदुल्लं [अदीनसत्त्व], मनस्वी, उदात्त चित्त वाला - ... अलीनसत्ते आपत्तिं दुदुल्ला आपत्तीति दीपेति, महाव. 476; चूळव. 345; मम भातुके.... जा. अट्ठ.5.27, पाठा. अलीनसत्त; - सत्तु अ. नि. 1(1).27; - टि. थुल्लच्चय, पाचित्तिय, दुक्कट, पु.. एक राजकुमार का नाम - तत्थ अलीनसत्तुन्ति एवंनामकं पाटिदेसनीय तथा दुब्भासित भिक्षुओं की इन पांच लघु कुमार जा. अट्ठ. 5.24.
आपत्तियों या अनुचित आचरणों को अदुवल्ल-आपत्ति कहा अदुं/अदु सङ्केतवाचक सर्व. अदु का नपुं., प्र. पु., ए. व. गया है, इन्हें लहुका-आपत्ति अथवा देसनागामिनी आपत्ति
वह - अदु चस्स होति तपस्सिताय, दी. नि. 3.35; अदुहि भी कहा गया है; - ल्लापत्तिसञी त्रि., अपराध को गुरु .... अल्लं, कटुं..., म. नि. 1.309; दुस्स अमुस्साति अत्थो, गम्भीर प्रकृति का न मानने वाला - दुवल्लाय आपत्तिया जा. अट्ठ. 3.46; सद्द. 1.278.
अदुदुल्लापत्तिसञ्जी ... आरोचेति .... पाचि. 49. अदुक्ख त्रि., दुक्ख का निषे., ब. स. [अदुःख], दुख से अदुतिय त्रि., दुतिय का निषे. ब. स. [अद्वितीय], अकेला, मुक्त - अदुक्खो एसो धम्मो अनुपघातो, अनुपायासो, अपरिळाहो. वह जिसके साथ दूसरा नहीं है, असहाय, वह जिसके जैसा म. नि. 3.279-80; - मसुखा स्त्री., सुख एवं दुख दोनों कोई दूसरा नहीं है, अप्रतिम, अनुपम, बेजोड़ - एकाकियो से मुक्त उपेक्षा-वेदना, जिसमें चित्त अनुकूल अथवा प्रतिकूल, अदुतियो, थेरगा. 541; अदुतियो, असहायो, अप्पटिमो, दोनों में से किसी का संवेदन करने की स्थिति में नहीं रहता अप्पटिसमो ... अप्पटिपुग्गलो, असमो, असमसमो, द्विपदानं है, उपेक्षावेदना का सङ्केतक - तुपेक्खा च अदुक्खमसुखा अग्गो, अ. नि. 1(1).29; एकोति ... अदुतियटेन एको, सु. सिया, अभि. प. 159; न दुक्खा न सुखाति अदुक्खमसुखा, नि. अट्ठ. 1.52. ध. स. अट्ठ. 89; तिस्सो ... वेदना ... सुखावेदना, अदुप्पयुत्त त्रि०, दुप्पयुत्त का निषे॰ [अदुष्प्रयुक्त], वह जिसे दुक्खावेदना, अदुक्खमसुखा वेदना, इतिवु. 34; - मसुखं शुद्ध रूप में प्रयुक्त किया गया है, वह, जिसका दोषयुक्त नपुं.. संज्ञा के रूप में चतुर्थ रूपध्यानके चित्त की अवस्था प्रयोग नहीं हुआ है - अदुप्पयुत्तं येव दुप्पयुत्तोति, म. नि. - अदुक्खमसुखं उपेक्खासतिपारिसुद्धि, दी. नि. 1.67; अट्ठ. 3.105(रो.). अदुक्खमसुखं ..., ध. स. पृ. 50; अदुक्खमसुखं सन्तं, अदुब्बन नपुं., दुब्बन का निषे. [अद्रोहन], अप्रवञ्चना, इतिवु. 35; अदुक्खमसुखन्तिपि विजानाति, म. नि. 1.371.; - विश्वसनीयता, वफादारी, पूर्ण निष्ठा- एवं मित्तेसु अदुब्भनं टी. यहां अदुक्खं के निग्गहीत के स्थान पर सन्धि के नाम ..., जा. अट्ठ. 7.208; पाठा. अदुमन. कारण 'मदासरे' नियम के आलोक में मकार होने से उक्त अदुरागत त्रि., दुरागत का निषे., वह जिसका आगमन शब्दरूप प्रयुक्त है - मकारो पदसन्धिवसेन वुत्तो, ध. स. सुखद या मङ्गलकारक हो (अभिवादन में स्वागत के साथ अट्ठ. 89; - मसुख-वेदनीय त्रि., दुख अथवा सुख के प्रयुक्त) - स्वागतं ते. महाराज, अथो ते अदुरागतं, जा. अट्ठ. अनुभव से रहित, उपेक्षा-वृत्तियुक्त - अदुक्खमसुख वेदनियं 4.318; तस्सा ते स्वागतं भद्दे ततो ते अदुरागतं, थेरीगा. 338. फस्सं पटिच्च उप्पज्जति अदुक्खमसुखवेदना, स. नि. अदुस्सना स्त्री., [बौ. सं. अदूषणा], द्वेष-वृत्ति का अभाव, 1(2).86; अयं अदुक्खमसुखवेदनीयो फस्सो, महानि. 37. मैत्री भावना; - नाकार पु., मैत्री भावना से भरा व्यवहार - अदुट्ठ त्रि., दुट्ठ का निषे. [अदुष्ट], द्वेष या प्रतिहिंसाभाव से अदुस्सनाति अदुस्सनाकारो, ध. स. अट्ठ. 194. रहित, अदूषित, निर्मल मन वाला - अदुट्ठस्स हि यो दुब्भे, अदुस्सितत्त नपुं., दुस्सित के निषे. का भाव., द्वेषरहितता, इतिवु. 62; अदुट्ठो यो तितिक्खति, सु. नि. 628; यथा तं द्वेषभाव से मुक्त मन की अवस्था - अदुस्सितस्स भावो अदुवस्स, म. नि. 2.390; - चित्त त्रि., ब. स. [अदुष्टचित्त], अदुस्सितत्तं, ध. स. अट्ठ. 194. क्रोध अथवा द्वेष से रहित चित्त वाला - अदुट्ठचित्ता विवदन्ति, अभ/अदुब्म/अद्भ पु., दूभ का निषे. [अद्रोह], अद्रोह, चूळव. 197; एकम्पि चे पाणमदुट्ठचित्तो, अ. नि. 3(1).2; द्रोह अथवा विश्वासघात का अभाव, अहानिकरता - सपथं अट्ठचित्तोति मेत्ताबलेन सह विक्खम्भितब्यापादताय ब्यापादेन च अकंसु अद्भाय, महाव. 469; सपस्सु च मे ... अदुभाय, अदूसितचित्तो, इतिवु. अट्ठ. 81.
स. नि. 1(1).260; अदुब्भाय सपथं कारेत्वा, जा. अट्ठ. अदुवल्ल त्रि., केवल स्त्री. में अदुवल्ला रूप में प्राप्त, 1.180; - पाणि पु., कर्म. स./ब. स., दोषरहित एवं दुट्ठल्ल का निषे. [बौ. सं. अदौष्ठुल्य], गम्भीर दूषण से हितकारी हाथ, प्रवञ्चित न करने वाला मित्र, सच्चा मित्र
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