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अत्थसभाग
अत्यसन्धि व्यञ्जनसन्धि देसनासन्धि निदेससन्धीति नेत्ति.
33; तुल० महाव. अदु. 127. अत्थसमाग त्रि. मूल आशय की दृष्टि से समान, समान तात्पर्य वाला इमं पटिगार्थ अभासि व्यञ्जनसभाग नो अत्थसभाग, सु. नि. अड. 1.25 विलो. व्यञ्जनसभाग. अत्थसम्पत्ति स्त्री. तत्पु स. [ अर्थसम्पत्ति ] अर्थ की सम्पूर्णता, सार्थकता, अर्थ-समृद्धि अत्यसम्पत्तिया सात्थं सु. नि.
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अट्ठ. 2.151.
अत्थसम्बन्ध पु.. [ अर्थसम्बन्ध]. अर्थज्ञान में सहायक शब्दों का परस्पर सम्बन्ध, अर्थज्ञान में उपयोगी शब्दों का उपन्यसनक्रम, अर्थों की सुसंगत योजना एवंमत्थसम्बन्धो वेदितब्बो, जा. अट्ठ. 7.366.
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अत्थसिद्धि स्त्री०, ष० तत्पु० स० [अर्थसिद्धि], अपने उद्देश्य, लक्ष्य अथवा अभीप्सित की प्राप्ति इच्छापूर्ति सफलताधुवत्थसिद्धिं पप्पोन्ति, अप. 2.5; मयं अनन्तरायेन अत्थसिद्धिं पत्चा, जा. अ. 1.170: अत्थसिद्धि उपगता. मि. प. 131. कर त्रि.. अर्थयुक्त, प्रयोजन की सिद्धि करने वाला, उद्देश्य-युक्त पटिच्चसद्दो च पनायं समाने कत्तरि
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म.
अत्थसम्भव पु.. [अर्थसंभव], किसी एक निश्चित अर्थ सम्भावना द्वीसु तिकेसु अत्यसम्भवतो. खु. पा. अड. 198. अत्थसल्लापिका स्त्री० [अर्थसंलापिका], अर्थ को स्पष्ट कर देने वाली तत्थायं अत्यसल्लापिका उपमा नि. अड. ( मू.ए.) 1 (1) 325 (पृथ्वी एवं आकाश के संवाद के रूप में प्रयुक्त एक उपमा के लिए प्रयुक्त शब्द). अत्थसाधक त्रि. [ अर्थसाधक], अपने हित को सिद्ध करने वाला, कल्याणकारी, लाभदायक - तं अत्थसाधक निब्बानष्पटिसंयुक्त्तं ...एकम्पि पदं सेय्योयेवाति ध० प० अट्ट. 1.364; ... उभयलोकत्थसाधकञ्च कल्याणगित्तसंसगं पसंसन्तेन भगवता ... खु. पा. अट्ठ. 100; विलो. अत्थभञ्जक अत्थसाधनता स्त्री, अत्थसाधन का भाव. [ अर्थसाधनता ]. अर्थोपार्जन या धनार्जन का साधन होना आयूहितो अत्थसाधनताय अपचितिं न करोति मि. प. 175. अत्थसालिनी (बर्मी पाण्डुलिपि में सर्वत्र अट्ठसालिनी), स्त्री०, आचार्य बुद्धघोष द्वारा रचित धम्मसङ्गणि-नामक एक अभिधम्म- प्रकरण की अद्ध, सम्भवतः श्रीलंका जाने के पूर्व में ही विरचित धम्मसाणिया कासि कच्छ सो अनुसालिनिं म. वं. 37.225; बुद्धघोसो च आयस्मतो रेवतस्स सन्तिके निसीदन्तो आणोदयं नाम गन्धं अत्थसालिनिञ्च गन्धं अकासि, सा. वं. 29.
अत्थानत्थ
पुब्बकाले पयुज्जमानो अत्यसिद्धिकरो होति. विसुद्धि 2.
148-149.
अत्थसो अ. [अर्थश] विभिन्न उद्देश्यों, अभीप्सितों अथवा तात्पयों की दृष्टि से, अर्थों के अनुसार विसयग्गाहो च उपनिस्सयमत्थसोति, ध. स. अट्ठ. 315. अत्थस्सद्वारजातक नपुं, एक जातक का शीर्षक अथवा नाम, जा. अट्ठ. 1.350-351.
अत्थहेतु अ. [ अर्थहेतु] लाभ अथवा स्वार्थ के कारण बहुज्जनो भजति अत्थहेतु जा. अड. 6.186 सु. नि. अड.
1.201.
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अत्थाचल पु.. अत्थ+अचल, कर्म, स. [अस्ताचल]. वह पर्वत, जहां सूर्य अस्त होता है रणदस्सनभीतो व लीनो अत्थचले रवि, चू. वं. 72.113. अत्थातिसययोग पु. तत्पु० स० [अर्थातिशययोग], अतिरिक्त अथवा विशिष्ट अर्थ के साथ शब्द का सम्बन्ध या प्रयोग - अत्थातिसययोगे एवं उपलक्खेतब, सद. 1.45. अत्थाधिगम पु. तत्पु, स. [ अर्थाधिगम] अर्थ की पकड़ समझ या ज्ञान अत्थपरिग्गाहकानं अत्थाधिगमो अकिच्छो होति. सह. 1.37. अत्थानतिवति स्त्री तत्पु, स. [ अर्थानतिवृत्ति ]. विचाराधीन अथवा प्रसङ्ग प्राप्त विषय का अनुल्लंघन, अर्थ का अनतिक्रमण - अत्थानतिवत्तियं यथासत्ति, मो. व्या. 3.3. तुल. काशिका
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2.1.6.
अत्थानुसिद्धि स्त्री. [ अर्थानुशिष्टि ] अर्थ सम्बन्धी अनुशासन या अर्थों का नियमसंगत निर्धारण अत्थानुसिद्धीसु परिग्गहेसु घ. दी. नि. 3.118 अत्थानुसिद्वीसु परिग्गहेसु चाति ये अत्थानुसासने परिग्गहा अत्थानत्थं परिग्गाहकानि आणानि, तेसूति अत्थो, दी. नि. अट्ठ. 3.104.
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अत्थानत्थ पु०, द्व. स. [ अर्थानर्थ], लाभ एवं हानि, हित एवं अहित ठानेसु गुणदोषं बुद्धिहानि अत्थानत्थं प्रत्याति
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जा. अ. 1.113 सुभासितदुब्भासितं अत्थानत्थं हिताहितं जानितुं जा. अड. 3.206: किं नु मे एत्थ गतेन अत्थो अतिथ नत्थीति अत्थानत्थं परिग्गहित्वा अत्थपरिग्गहणं..... म. नि. अट्ठ. ( मू०प०) 1 (1).264; कुसलता स्त्री०, [अर्थानर्थकुशलता ], हित एवं अहित वृद्धि एवं हानि के ज्ञान के विषय में कुशलता पण्डितता अत्थानत्धकुशलताति एवमादीनि फलानि खु. पा. अड. 24 परिग्गण्हन नपुं., [अर्थानर्थपरिग्रहण], लाभ एवं हानि या हित-अहित का यथार्थ ज्ञान एवं अत्थानत्थपरिग्गहणं
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