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अत्थरस
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अत्थविचारणा
331; - रापेसि प्रेर., अद्य०, प्र. पु., ए. व. - सब्बथा 360; अत्थववत्थानतोति यथावुत्तस्स पञ्चविधस्स अत्थस्स मण्डयित्वा तं अत्थरापेसि तत्थ सो, म. वं. 3.20; - रस्सु ववत्थापनवसेन, पटि. म. अट्ठ. 2.230. अनु. म. पु., ए. व., आत्मने. - ... अत्थरस्सु पलासानि, जा. अत्थवस नपुं, अर्थ, तात्पर्य अथवा अभिप्राय का कारण, अट्ठ. 3.159; - रितुं निमि. कृ. - कथिनं अत्थरितुं ..... विशिष्ट कारण, विशेष अभिप्राय, तार्किक आधार - कथञ्च, महाव. 331; - रित्वा पू. का. कृ. - ... चङ्कोटके कप्पासपिचुं भिक्खवे, भिक्खु अत्थवसं पटिच्च .... चूळव. 342; दस अत्थरित्वा, जा. अट्ठ. 5.105; - रितब्बं सं. कृ. - ... कठिनं अत्थवसे पटिच्च, पारा. 22; इमे खो, भिक्खवे, तयो अत्थरितब्ब.... महाव. 331; - रीयति कर्म. वा., वर्त, प्र. अत्थवसे सम्पस्समानेन, अ. नि. 1(1).176. पु., ए. व., फैलाया जाता है, बिछाया जाता है - सक्कस्स अत्थवसवग्ग पु., परि. के एक वर्ग का नाम, परि. देवरओ आसनं अत्थरीयति, अ. नि. अट्ठ. 3.230(रो.), 411-412. अत्थरस पु., तत्पु. स. [अर्थरस], मूल आशय, अर्थ का रस, अत्थवसिक त्रि., [अर्थवशिक], सही एवं यथार्थ अभिप्राय पर अर्थ का वास्तविक अथवा मूल आशय, अर्थ की मधुरता निर्भर रहने वाला, तर्कसङ्गत दृष्टिकोण वाला, कारण के अथवा प्रायोगिक स्वरूप - भागी वा भगवा अत्थरसस्स आधार पर विचारने वाला - ... कुलपत्ता उपेन्ति अत्थवसिका, धम्मरसस्स विमुत्तिरसस्स, महानि. 104; अत्थरसस्साति अत्थवसं पटिच्च, इतिवु. 64; ... अत्थवसिका कारणवसिका हेतुफलसम्पत्तिसङ्घातस्स अत्थरसस्स, महानि. अट्ठ.212; हुत्वा, इतिवु. अट्ठ. 256. .... बुद्धवचनं उग्गण्हित्वा अत्थरसं विदित्वा वत्तब् होति. म. अत्थवसी त्रि., [अर्थवशी], किसी विशेष लक्ष्य अथवा उद्देश्य नि. अट्ठ. (मू. प.) 1(2).258; पच्चेकबुद्धा ... अत्थरसमेव के प्रति समर्पित, विशिष्ट उद्देश्य की प्राप्ति में लगा हुआ, पटिविज्झन्ति, न धम्मरस सु. नि. अट्ठ. 1.43.
श्रमण-धर्म की प्राप्ति में पूरी तरह रत - एको अत्थवसी अत्थलाभ पु.. ष. तत्पु. स. [अर्थलाभ], धन-संपत्ति की खिप्पं पविसिस्सामि काननं, थेरगा. 539; अत्थवसीति इध प्राप्ति - अहासो अत्थलाभेसु जा. अट्ठ. 3.411; अत्थलाभेसूति अत्थोति समणधम्मो अधिप्पेतो, थेरगा. अट्ठ. 2.149, पाठा. महन्ते इस्सरिये उप्पन्ने ..., तदे..
अत्तवसी. अत्थवटि स्त्री., [अर्थवृद्धि], धन-सम्पत्ति की वृद्धि, कल्याण अत्थवसपकरणं नपुं., परि. के एक भाग का नाम, परि. अथवा हित की वृद्धि - अहं भोगवडिं, अत्थवडिं, धम्मवड्डि 274-75. नाम ते कथेस्सामि, जा. अट्ठ. 3.202.
अत्थवाचक त्रि., [अर्थवाचक], अर्थ को कहने वाला, अर्थ अत्थवन्तु त्रि., [अर्थवत्], क. सार्थक, महत्त्वपूर्ण, उपयोगी, स्पष्ट करने वाला - अत्थवाचक-निपातो..., सद्द. 1.43, 159. हितसाधक, लाभप्रद, तर्कसंगत - यथा, महाराज, पितुवचनं अत्थवादी त्रि., [अर्थवादी], हितकारक एवं कल्याणकारक पुत्तानं अत्थवन्तं होति ... एवमेव ... तथागतरस वाचा बात कहने वाला, ऐहलौकिक एवं पारलौकिक कल्याण अत्थवती, मि. प. 168; भासेमत्थवतिं वाचं, जा. अट्ठ. 5.3693; प्राप्त करने के लिए सदा सार्थक, मङ्गलकारी एवं गम्भीर ख. बुद्धिमान, अर्थ का ज्ञाता - सो अथवा सो धम्मट्ठो, बातें बोलने वाला, (सदैव कालवादी, भूतवादी एवं धम्मवादी थेरगा. 740; 746.
शब्दों के साथ-साथ प्रयुक्त)- द्विट्ठधम्मिकसम्परायिकत्थअत्थवण्णना स्त्री., तत्पु. स. [अर्थवर्णना], ऐसी व्याख्या, सन्निस्सितमेव कत्वा वदतीति अत्थवादी, दी. नि. अट्ठ. जिसमें प्रत्येक पद के अर्थ को स्पष्ट किया गया हो - 1.71; महानि. अट्ठ. 261, स्त्री. अत्थवादिनी. जातकस्स अत्थवण्णना दूरेनिदानं. .., जा. अट्ठ. 1.3; ... अत्थविकप्प पु., कर्म./तत्पु. स. [अर्थविकल्प]. वैकल्पिक पच्छा अथवण्णनं करिस्सामि, खु. पा. अट्ठ. 2; .... अर्थ, अर्थ-सम्बन्धी विकल्प - दुतिये अत्थविकप्पे, जा. अट्ठ. मङ्गलसुत्तस्स अत्थवण्णनाक्कमो अनुप्पत्तो, खु. पा. अट्ठ. 3.459; ... इमस्मि अत्थविकप्पे .... सु. नि. अट्ठ. 2.141. 72; - टि. यह पदवण्णना के पश्चात रहती है तथा अत्थविचारणा स्त्री., ष. तत्पु. स. [अर्थविचारणा], अर्थ के अधिपेतत्थवण्णना से भी इसका स्वरूप भिन्न रहता है. विषय में विचार, अर्थ-विषयक विवेचन, नौ अङ्गों वाले अत्थववत्थान नपुं.. तत्पु. स. [अर्थव्यवस्थान], पदार्थ- बुद्धशासन के अर्थ का विचार - सासनस्स परियेट्ठीति विशेष का निर्धारण, अर्थ का विनिश्चय - तस्सा सासनस्स अत्थपरियेसना, ... सासनस्स अत्थविचारणाति अत्थववत्थानतो अत्थपटिसम्भिदा अधिगता होति.... पटि.म. अत्थो, नेत्ति. अट्ठ. 143.
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