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अतिमानी
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अतिरच्छानकथिक घमण्ड से विनष्ट या पीड़ित - अतिमानहतो बालोति बालो अतिमुत्तक पु., संकिच्च के एक अन्तेवासी सामणेर का नाम .... पत्थरो उस्सितद्धजो, थेरगा. अट्ठ. 2.93.
___ - सो पन तस्सेव भागिनेय्यो अतिमुत्तकसामणेरो नाम, ध. अतिमानी त्रि., [अतिमानी], दूसरे से स्वयं को अधिक श्रेष्ठ प. अट्ठ. 1.385, पाठा. अधिमुत्तसामणेरो. समझकर अभिमान करने वाला व्यक्ति, अहंकारी, घमण्डी- अतिमुत्तकसुसान नपुं., कर्म. स., वाराणसी के समीप में सक्को उजू च सुहुजू च, सूवचो चस्स मुदु अनतिमानी, सु. स्थित एक श्मशान का नाम - ते तत्थ तीणि चत्तारि नि. 143; थद्धो होति अतिमानी, दी. नि. 3.32; अतिमानीति वस्सानि वसित्वा ... बाराणसिं पत्वा अतिमुत्तकसुसाने .... अतिक्कमित्वा मञ्जनलक्खणेन अतिमानेन च समन्नागतो वसिंसु, जा. अट्ठ. 4.26. होति, दी. नि. अट्ठ. 3.21.
अतिमुदुक त्रि., [अतिमृदुक], अतीव कोमल, हल्का, दुर्बल अतिमायावी त्रि., [अतिमायाविना अत्यधिक ___ - राजा अतिमुदुको, जा. अट्ठ. 1.254; इमे द्वेपि अतिमुदुका, धोखेबाज, कूटयुक्ति का प्रयोग करने वाला, अत्यधिक ध. प. अट्ठ. 2.237. जालसाज - ततं मायाविनोति अतिमायाविनो, जा. अठ्ठ अतिमोदति अति + ।मुद का वर्त.. प्र. पु., ए. व. 6.53.
[अतिमोदति], और भी अधिक आनन्दित होता है - अतिमीळ्हज त्रि., अति + मिह का भू. का. कृ. इधलोकेपि मोदति, कालं कत्वा इदानि परलोकपि [अतिमीढज], मल-मूत्र के ढेर से जन्म लेने वाला शिशु. अतिमोदतियेवाति, ध. प. अट्ठ. 1.77. - सचे, दोण, ब्राह्मणो गभिनि गच्छति अतिमीळहजो नाम __ अतिमोह पु., [अतिमोह], प्रबल अज्ञान, घनीभूत व्यामोह सो होति माणवको वा माणविका वा, अ. नि. 2(1).210; - तस्सेसा अतिमोहजालबलता जानम्पि संमुव्हतीति, म. अतिमीळ्हजोति अतिमीळहे महागथरासिम्हि जातो, अ. नि. वं. 20.58; अतिमोहेन अनयं आपज्जति, मि. प. अट्ठ. 3.68.
258. अतिमुखर त्रि., [अतिमुखर], अत्यधिक वाचाल, बातूनी - अतियक्ख पु.. [अतियक्ष], यक्ष का अतिक्रमण कर उनसे भी तस्मिं काले रो पुरोहितो अतिमुखरो होति बहुभाणी, जा. बढ़-चढ़कर मायावी - अतियक्खा वस्सवरा, इत्थागारा च अट्ठ. 1.400; मय्ह पुरोहितो अतिमुखरो आप्पमत्तकेपि वुत्ते राजिनो, जा. अट्ठ. 7.257. बहु भणन्तो मं उपद्दवेति, ध. प. अट्ठ. 1.289; - ता स्त्री.. अतियाचक त्रि., [अतियाचक], अधिक याचना करने वाला अतिमुखर का भाव. [अतिमुखरता], अत्यधिक वाचालता, - तं ते न दस्सं अतियाचकोसि, पारा. 226; जा. अट्ट, 2237. बातूनीपन - आचरिय, तुम्हे अतिमुखरताय नाळिमत्ता अतियाचना स्त्री., [अतियाचना], अधिक मांगना, अत्यधिक अजलण्डिका गिलन्ता किञ्चि न जानित्थ, जा. अट्ठ. याचना - विदेस्सो होति अतियाचनाय, पारा. 227. 1.401.
अतियाति अति + Vया का वर्त, प्र. पु., ए. व., बगल से अतिमुत्त पु.. [अतिमुक्त], अजमोथा, एक प्रकार की लता, होकर निकल जाता है, अतिक्रमण करके या चुपके से वासन्ती-लता, जो आम की प्रिया के रूप में आमवृक्ष से बाहर निकल जाता है - यन्ति ब. व. - अतिक्कमन्तीति लिपटी रहती है - वासन्ति त्थि अतिमुत्तो, अभि. प. 577; भगवतो सवनविसये तं तं मुखारुळ्हं वदन्ता अतियन्ति, अतिमुत्ता असोका च, भगिनीमाला च पुप्फिता, अप. 1.12; उदा. अट्ठ. 260; - तुं निमि. कृ., - ब्राह्मणगहपतिकानम्पि अज्जुना अतिमुत्ता च, महानामा च पुफिता, अप. 1.380; - तस्मिं समये न फासु होति अतियातुं वा निय्यातुं वा, अ. नि. क पु.. [अतिमुक्तक]. उपरिवत्, तिनेश वृक्ष का नाम - 1(1).84; अतियातुन्ति बहिद्धा जनपदचारिक चरित्वा अहञ्च अङ्कोलकमोचिनामि, अतिमुत्तकं सत्तलियोथिकञ्च, इच्छितिच्छितक्खणे अन्तोनगरं पविसितं. अ. नि. अट्ठ. जा. अट्ठ. 4.398; तिनोसो त्वतिमुत्तको, अभि. प. 555; 2.42-43. अतिमुत्तकादिलतामण्डपो, उदा. अट्ठ. 163; - कमाला अतिरच्छानकथिक त्रि., [अतिरश्चीनकथिक], निरर्थक अथवा स्त्री., [अतिमुक्तकमाला], माधवी-लता के फूलों से बनी सांसारिक विषयों से सम्बन्धित बातें न करने वाला - माला - इत्थी वा पुरिसो वा दहरो, युवा ... वस्सिकमालं सङ्घगतो खो पन अनानाकथिको होति अतिरच्छानकथिको, वा अतिमुत्तकमालं वा लभित्वा ... उत्तमङ्गे सिरस्मिं पतिट्ठापेय्य, अ.नि. 3(1).4; अनानाकथिकेन भवितब्बं अतिरच्छानकथिकेन, चूळव. 419.
परि. 311, तिरच्छानकथिक का विलो..
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