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अत्तदत्थ
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अत्तनोपद
मि. सा. के आधार पर विरचित शब्दरूप है, द्रष्ट. क. व. अत्तदुक्ख नपुं.. तत्पु. स., [आत्मदुःख], अपना दुख - यो 35.
अत्तदुक्खेन परस्स दुक्खं ... दहाति, जा. अट्ठ. 5.208; अत्तदत्थ पु., एक स्थविर की व्य. सं. - अत्तदत्थथेरं आरब्भ सत्तमे अत्तब्याबाधायाति अत्तदुक्खाय, अ. नि. अट्ठ. 2.86. कथेसि, ध. प. अट्ठ. 2.89; - थेरवत्थु ध. प. में वर्णित ___ अत्तदुतिय त्रि., ब. स., [आत्म-द्वितीय], स्वयं और साथ में अत्तदत्थ नामक एक स्थविर की कथा का शीर्षक, ध. प. एक दूसरा व्यक्ति - ... आयस्मा आनन्दो ... अत्तदतियो अट्ठ. 2.89
कुसिनारंपाविसि, दी. नि. 2.111; आयस्मा सारिपुत्तो गमनकाले अत्तदन्त त्रि., [आत्मदान्त], आत्मसंयमी, आत्मनियन्त्रित, अत्तदुतियो गतो. ध, प. अट्ट, 1.83, तुल. अत्तचतुत्थ. अपने ऊपर नियन्त्रण रखने वाला - अत्तदन्तस्स पोसस्स, अत्तनगलुविहारवंस पु., हत्थवनगल्ल-विहारवंस नामक एक निच्च सञ्जतचारिनो..., ध. प. 104; मनुस्सभूतं सम्बुद्ध अप्रसिद्ध पालि-रचना का सिंहली भाषा का, गद्य एवं गाथाओं अत्तदन्तं समाहित थेरगा. 689; अ. नि. 2(2)60; अत्तदन्तन्ति में निबद्ध संस्क. 1. प्रा. अनु. सहित डी. एल्विस द्वारा संपा. अत्तनायेव दन्तं न अओहि दमथं उपनीतं अ. नि. अट्ठ 3.113. कोलम्बो संस्क., 1887 2. कोलम्बो, 1909, द्रष्ट. जे. पा. अत्तदम पु., नपुं [आत्मदमन], आत्म-संयम, स्वयं अपने टे. सो. 1882, पृ. 145. द्वारा अपनी चित्तवृत्तियों पर नियन्त्रण - अत्तदमत्थाय, अत्तनिपातनपञ्ह पु., मि. प. के एक खण्डविशेष का नाम, अत्तसमत्थाय ..., महानि. 174; अत्तदमत्थायाति मि. प. 187--189. विपस्सनासम्पयुत्ताय पञआय अत्तनो दमनत्थाय महानि. अत्तनिमित्त नपुं., [आत्मनिमित्त], आत्मा से सम्बन्धित चिह्न अट्ठ. 274; तुल. अत्तसमथ, अत्तपरिनिब्बापन.
अथवा लक्षण - विपस्सना हि निच्चनिमित्तं ... अत्तनिमित्तञ्च अत्तदमन नपुं.. [आत्मदमन], उपरिवत् - अत्तदमनसतातो उग्घाटेति, ध. स. अट्ठ. 266; पाठा. अत्थनिमित्त. दमो, जा. अट्ठ. 3.6.
अत्तनिय त्रि., अत्ता से व्यु. [आत्मन्य, बौ. सं. आत्मनीय], अत्तदस्स पु., ब. स., [आत्मदर्श]. दर्पण, जिसमें स्वयं को आत्मीय, निजी, अपना, स्वयं का, आत्मा से सम्बद्ध, आत्मा देखा जाता है.
से युक्त, आत्मा की प्रकृति वाला, आत्मा के स्वभाव से अत्तदिट्ठि स्त्री., कर्म. स. [आत्म-दृष्टि], उच्छेदवाद की समन्वित कोई भी धर्म - निजो सको अत्तनियो, अभि. प. मिथ्यादृष्टि से विप. आत्मा को शाश्वतरूप में ग्रहण करने 736; अत्तनिये सो तिलिङ्गिसो, अभि. प. 808; अत्तनि वा की मिथ्या धारणा - अत्तं पहायाति अत्तदिदि पहाय, महानि. .... सति अत्तनियति अस्सा ति, अत्तनीये वा ... सति अत्ता 77; ... तस्स हि अत्तदिट्टि वा उच्छेददिहि वा नत्थि .... सु. मेति अस्सा ति, म. नि. 1.191; सुमिदं अत्तेन वा नि. अट्ठ. 2.217.
अत्तनियेन वाति, म. नि. 3.47; लोकोति ममकारवत्थु यं अत्तदिट्ठिञ्जह त्रि., [आत्मदृष्टिजह], आत्मदृष्टि से मुक्त अत्तनियन्ति वुच्चति, उदा. अट्ठ. 280; - गाह पु., हो चुका व्यक्ति - अत्तञ्जहोति अत्तदिट्ठिजहो, महानि. 64; [आत्मन्यग्राह], किसी भी धर्मविशेष को आत्मा से सम्बद्ध अत्तदिष्विजहोति 'एसो मे अत्ताति गहितदिद्धिं जहो, महानि. मानने का भ्रमात्मक विचार - ... अत्तत्तनियगाहवसेन च अट्ठ. 172, पाठा. अत्तदिट्ठिजह, द्रष्ट, अत्तदिट्टि के अन्त.. अभिरता, उदा अट्ठ. 173; - भाव पु., [आत्मन्यभाव]. अत्तदीप त्रि., ब. स. [आत्मदीप], स्वयं को ही अपने लिये धर्मविशेष को आत्मा से सम्बद्ध मानने वाली मिथ्या मनोवृत्ति प्रकाश बनाने वाला व्यक्ति, अपना मार्ग स्वयं निर्धारित करने - अत्तभावेन वा अत्तनियभावेन वाति अत्थो, खु. पा. अट्ठ. वाला, आत्मनिर्भर - ये अत्तदीपा विचरन्ति लोके, सु. नि. 142; - सुञता स्त्री॰ [आत्मन्यशून्यता]. आत्म-स्वभाव से 506; अत्तदीपा विहरथ अत्तसरणा, अनञसरणा, दी. नि.. शून्य होने की दशा - केसे ताव अत्तसुञता, अत्तनियसुझता, 2.78; अत्तदीपाति महासमुद्दगतदीपं विय अत्तानं दीपं पतिद्वं निच्चभावसुअताति तिस्सो सुञता होन्ति, विभ. अट्ठ. 247. कत्वा विहरथ, दी. नि. अट्ठ. 2.124; अत्तदीपाति अत्तानं दीपं अत्तनोपद नपुं॰ [आत्मनेपद], धातुओं में जोड़े जाने वाले ताणं लेणं गतिं परायणं पतिट्ठ कत्वा विहरथाति, स. नि. काल-भाव-बोधक दो प्रकार के प्रत्ययों में से, ते, अन्ते, से, अट्ठ. 2.237; - वग्ग स. नि. के एक वग्ग का नाम, स. व्हे, ए. म्हे, इत्यादि - परान्यत्तनोपदानि, कच्चा. व्या. 409, नि. 2(1).39-48; - सुत्त स. नि. के एक सुत्त का नाम, स. रू. सि. 423; भावे च कम्मनि च अत्तनोपदानि होन्ति, क. नि. 2(1).39-41.
व्या. 456, रू. सि. 424; अत्तनोपदानि वज्जेत्वा, सद्द. 2.318.
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