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अत्तमानी
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अत्तसञ्जत मनो नाम होति। इति अत्तनो मनता अत्तमनता, सकमनता, अत्तलाभे उप्पन्नं आणं, सद्द. 3.881; पच्चुप्पन्नेसु च ध. स. अट्ठ. 188; - भाव पु., तत्पु. स., मन की प्रसन्नता, अत्तभावपटिलाभेसु, स. नि. 1(2).256. आनन्दमयता - अत्तमनभावस्स वा युत्तं वाचं निच्छारेसि अत्तवग्ग पु, ध. प. के बारहवें वर्ग का शीर्षक, ध, प. 157-166. उदीरयि, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).161; - वाचा स्त्री., अत्तावञा स्त्री., तत्पु. स. [आत्मावज्ञा], आत्मअवमानना, प्रसन्न अथवा सन्तुष्ट मन से युक्त वाणी, मन के उल्लास अपना तिरस्कार अथवा अवमूल्यन - यो एवरूपो ओमानो को प्रकट कर रही वाणी- अत्तमनो अत्तमनवाचं निच्छारेसि. .... अत्तावना अत्तपरिभवो- अयं वच्चति, हीनोहमस्मीति मानो, म. नि. 1.39.
विभ. 406; अत्तावाति अत्तानं अवजानना, विभ. अट्ठ. 458. अत्तमानी त्रि., [आत्ममानी], आत्मा की सत्ता को वास्तविक अत्तवण्ण पु., आत्मप्रशंसा - न चत्तवण्णं परिसासु व्याहरे, अथवा यथार्थ मानने वाला, नाम और रूप-धर्मों को आत्मा थेरगा. 209. मानने वाला - अनत्तनि अत्तमानि, पस्स लोकं सदेवक, अत्तवध पु.. [आत्मवध], आत्महत्या, अपना विनाश - सु. नि. 761; अनत्तनि नामरूपे अत्तमानिं, स. नि. अट्ठ. अत्तवधाय देवदत्तस्स लाभसक्कारसिलोको उदपादि, चूळव. 2.205.
324-25; स. नि. 1(2).217. अत्तमारणीय त्रि., अपनी मृत्यु स्वयं उत्पन्न करने वाला, अत्तवाद पु.. [आत्मवाद], आत्मा से सम्बन्धित सिद्धान्त - स्वयं अपना हत्यारा, आत्महत्या करने वाला - भूनहच्चानि रूपं अत्ततो समनुपस्सतीतिआदिनयप्पवत्तेन अत्तवादेन कम्मानि, अत्तमारणियानि च, करोन्ता नावबज्झन्ति, अ.नि. पटिसंयुत्ता, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).190; अत्तवादपटिसंयुत्ता 2(2).235.
दिद्धि, पटि. म. 127; - दुपादान नपुं.. तत्पु. स., अत्तमोक्ख पु.. [आत्ममोक्ष], अपना निर्वाण, अपनी पूर्ण [आत्मवादोपादान], चार उपादानों में से एक - चत्तारिमानि, विमुक्ति - बुद्धसासनस्स निय्यानिकत्ते सति मिलक्खो आवुसो, उपादानानि - कामुपादानं दिट्टपादानं, अत्तमोक्खं करिस्सति, सा. सं. 54.
सीलब्बतुपादानं, अत्तवादुपादानं, म. नि. 1.64; ... अत्तनो अत्तरक्खा स्त्री., तत्पु. स. [आत्मरक्षा], अपनी रक्षा - वादुपादानं अत्तवादुपादानं विभ. अट्ठ. 173; - टि. उपादान अत्तगुत्तिया अत्तरक्खाय अत्तपरितं कातुं चूळव. व. 227; चार है, काम-उपा., दृष्टि-उपा., शीलव्रत-उपा. तथा आत्मवादवेस्सन्तरस्स अत्तरक्खा पहीना .... मि. प. 123, विलो. उपा., विशेष द्रष्ट. उपादान के अन्त.. पररक्खा .
अत्तविपत्ति स्त्री., तत्पु. स. [आत्मविपत्ति], अपने ऊपर आ अत्तरक्खित त्रि., तत्पु. स. [आत्मरक्षित], स्वयं अपने द्वारा पड़ी विपत्ति अथवा संकट - भिक्खु कालेन कालं .... रक्षित - एवं मयं अत्तगुत्ता अत्तरक्खिता ... दस्सेस्साम, स. अत्तविपत्तिं पच्चवेक्खिता होति, अ. नि. 3(1).10; विलो. नि. 3(1).244.
परविपत्ति. अत्तरूप' त्रि., [आत्मरूप], अपने लिये अनुरूप, अपने लिये अत्तवेतनभत त्रि., [आत्मवेतनभृत]. अपनी आजीविका स्वयं शुभ, अपने लिए मङ्गलकारी अथवा हितकारी, अपना हितकामी ___ अर्जित करने वाला, आत्मनिर्भर, दूसरे की सेवा में नहीं - चतूसु, भिक्खवे, ठानेसु अत्तरूपेन अप्पमादो सति, चेतसो लगा हुआ - अत्तवेतनभतोहमस्मि, सु. नि. 24; अत्तवेतनभतोति आरक्खो करणीयो, अ. नि. 1(2).137; अत्तरूपेनाति अत्तनो अत्तनियेनेव घासच्छादनेन भतो, अत्तनोयेव कम्म कत्वा अनुरूपेन, अनुच्छविकेन, हितकामेनाति अत्थो, अ. नि. अट्ठ. जीवामि, सु. नि. अट्ठ. 1.32. 2.325.
अत्तसञ्चेतना स्त्री., तत्पु. स. [आत्मसञ्चेतना], अपने अत्तरूप त्रि., [आप्तरूप], पूर्ण स्वरूप वाला, किसी धर्म- प्रति अपनी चेतना, अपनी स्वयं की चेतना, अपने द्वारा विशेष से समन्वित स्वरूप वाला - अत्तरूपाय परिभासाय, प्रकल्पित चेतना - अत्थि, भिक्खवे, अत्तभावपटिलाभो, यस्मि परिपुण्णाय, दी. नि. 3.59.
अत्तभावपटिलाभे अत्तसञ्चेतना कमति नो परसञ्चेतना, अ. अत्तलाभ पु., तत्पु. स. [आत्मलाभ], जन्म, जन्म की प्राप्ति, । नि. 1(2).184; दी. नि. 3.184. पुनर्जन्म में प्राप्त नवीन अस्तित्व अथवा शरीर - अत्तसञत त्रि., [आत्मसंयत], अपने ऊपर संयम अथवा उद्धजमवियोगत्तलाभतित्तिसमिद्धिसु पातुभा- वच्चयाभाव, अभि. नियन्त्रण रखने वाला - सेय्यो सो मनि अत्तसञतो. स. प. 1168; सरूपकथने चेव अत्तलाभे च सत्तियं, सद्द. 3.881; नि. 1(1).126; तुल. सञतत्त.
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