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अतिसल्लेखति
अतिसूर वाली स्थिति, प्रबल त्यागभाव की अवस्था - ... अतिसल्लेखवुत्तिया अतिसीघं अ., क्रि. वि., [अतिशीघ्र], अत्यधिक शीघ्रतापूर्वक, जीविते अनपेक्खो .... उदा. अट्ठ. 65.
बहुत तेजी से - सो नातिसीघं गच्छति, म. नि. 2.346; अतिसल्लेखति अतिसल्लेख का ना. धा., वर्त., प्र. पु., ए. नातिसीघं पक्कमति, उदा. अट्ठ. 335,अतिसीत त्रि., कर्म. व. - अत्यधिक उग्र तप करता है, दृढ़ अनासक्तिभाव से स. [अतिशीत], अत्यधिक शीतल, बहुत अधिक ठण्डा - युक्त है, कठोर प्रयास करता है - अयं समणो .... अतिसीतन्ति कम्मं न करोति, दी. नि. 3.139; अतिसीतं अतिसल्लेखति, अतिवायामं करोति, म. नि. अट्ठ. (म.प.) अतिउण्ह, अतिसायमिदं अह, थेरगा. 231; दी. नि. 3.140; 2.118; तुल. अधिसल्लिखतेति अतिविय सल्लिखति, अ. - ता स्त्री., अतिसीत का भाव., [अतिशीतता], अत्यधिक नि. अट्ठ. 2.212; सद्द. 2.330.
शीतलता अथवा ठण्डक - उदकं अतिसीतताय निब्बापेति, अतिसहसा निपा., [अतिसहसा], अकस्मात् रूप में, बहुत मि. प. 258, विलो. अतिउण्ह अथवा अच्चुण्ह. तेजी के साथ, शीघ्रता के साथ, अचानक - अतिसहसा पि अतिसीतल त्रि०, कर्म. स. [अतिशीतल], उपरिवत् - तया पविसन्ति, चूळव. 358..
कतो अग्गि अतिसीतलो, जा. अट्ठ. 3.47. अतिसायं अ., [अतिसायं], बहुत देर से, बहुत विलम्ब अतिसीमचर त्रि., सीमा अथवा निर्धारित क्षेत्र के बाहर करके - अतिसायन्ति कम्मं न करोति, दी. नि. 3.139; विचरण करने वाला, सीमा का उल्लंघन करने वाला - अतिसायमिदं अहु, दी. नि. 3.140; अज्ज अतिसायं अतिसीमचरो दित्तो, जा. अट्ठ. 3.224. आगतासीति ..., जा. अट्ठ. 5.89.
अतिसीलवन्तता स्त्री., भाव. [अतिशीलवत्ता], अच्छे आचरण अतिसायन्ह पु., सायंकाल, ढलती हुई शाम - अज्ज से युक्त अथवा उत्तम शील से सम्पन्न रहने की स्थिति,
अतिसायन्हो, जा. अट्ठ. 7.309; द्रष्ट. अह के अन्त., पाठा. सदाचार-परायणता - भिक्ख अतिसीलवन्तताय ... अतिसायन.
नमस्सनीयो, मि. प. 259. अतिसार/अतीसार पु., [अतिसार], 1. पेचिश, तरल रूप अतिसुक्ख त्रि., कर्म स. [अतिशुष्क], अत्यधिक सूखा - में मल का अत्यधिक निकलना - सोको ... कुच्छिडाहं आमकमत्तेति आमके नातिसुक्खे भाजने, म. नि. अट्ठ.(उप.प.) उप्पादेत्वा अतिसारं जनेसि, ध. प. अट्ठ. 1.1063; 2. अतिक्रमण, 3.122. दिशान्तरण - समाय च अतिसारो, म. नि. 3.283; 3. अतिसुखुम त्रि., कर्म. स. [अतिसूक्ष्म], अत्यधिक सूक्ष्म, निर्धारित मापदण्डों या नियमों का उल्लंघन, पापमय आचरण बहुत अधिक सूक्ष्म - अतिसुखुमतिरोहित - विदूरदेसेसुपि - अतिसारं न बुज्झन्ति, स. नि. 1(1).90; अत्थि मे तं रूपधम्मेसु, उदा. अट्ठ. 107; - मोदक त्रि., ब. स. अतिसार, जा. अट्ठ. 5.376.
[अतिसूक्ष्मोदक], अत्यधिक तेज प्रवाहयुक्त जल वाला/वाली अतिसाहस त्रि., ब. स., [अतिसाहस], अत्यधिक साहस - सा हि अतिसुखुमोदका, सुखुमत्ता उदकस्स अन्तमसो वाला, दुस्साहसी, अधिक उग्र - तं एतं अतिसाहसं अतिबलं । मोरपिञ्छमत्तम्पि तत्थ पतितं नं सण्ठाति, जा. अट्ठ. 6.121. ..., म. वं. 20.58.
अतिसुण पु.. कर्म. स. [अतिश्वन], पागल कुत्ता - अतिसिगण पु.. ऋषियों का बहुत बड़ा समूह - अति उन्मत्तादितमापन्नो अळक्को तिसणो मतो. अभि. प. इसिगणो, अतिसिगणो, क. व्या. 47; ति वुत्तरूपो न होति । 519. वा अतिसिगणो, सद्द. 3.619.
अतिसुन्दर त्रि., ब. स. [अतिसुन्दर], अत्यधिक सुन्दर अतिसिथिल त्रि., कर्म. स. [अतिशिथिल], बहुत अधिक स्वरूप वाला - अतिसुन्दरा इमे कम्बला, म. नि. अट्ठ. ढीला-ढाला, अत्यन्त दुर्बल अथवा शिथिल - वीणाय तन्तियो (उप.प.) 3.206; अभिक्कन्तन्ति ... अतिमनापं अतिसुन्दरन्ति अतिसिथिला, अ. नि. 2(2).86; महाव. 254; अतिसिथिलाति वुत्तं होति, सु. नि. अट्ठ. 1.122. मन्दमुच्छना, अ. नि. अट्ठ. 3.126; - विरियता स्त्री., कर्म. अतिसूर त्रि., कर्म. स. [अतिशूर], अत्यधिक वीर, प्रबल स., अत्यन्त दुर्बल प्रयास वाली मनःस्थिति, क्षीण संकल्प साहसी; (पोरिसाद नामक व्यक्ति विशेष के लिये प्रयुक्त का भाव - यस्मिं समये अतिसिथिलवीरियतादीहि लीनं चित्तं विशे.) - पोरिसादो ... अतिसूरो अहोसि, जा. अट्ठ. 5.469; होति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).308, विलो. अच्चारद्ध- - ता स्त्री॰, भाव॰ [अतिशूरता], अत्यधिक वीरता, अनुपम विरियता.
बहादुरी - विक्कमो त्वतिसूरता, अभि. प. 398.
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