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अतिबहु
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अतिभेरवत्त अतिबहु त्रि., [अतिबहु], आवश्यकता से अधिक - महाराज, अतिमरित त्रि., [अतिभरित], परिपूर्ण, अत्यधिक परिपूर्ण,
अतिबहुभोजनं एवं दुक्खं होती ति वत्वा .... ध. प. अट्ठ. ऊपर तक छलकता हुआ - अयमिति कप्पटो कप्पटकुरो, 2.290; - क त्रि., ब. स., बहुसङ्ख्यक, अत्यधिक संख्यावाला अच्छाय अतिभरिताय, थेरगा. 199; यथा च अतिभरिता - तत्थ सुबहूपीति अतिबहुकेपि, जा. अट्ठ. 3.457; - भण्ड उदकभाजना उदकं अकामताय निक्खमति, दी. नि. अट्ठ. त्रि.. ब. स.[अतिबहुभाण्ड], अत्यधिक सामग्री या सामानों 1.164. वाला - भन्ते, अयं भिक्खु अतिबहभण्डोति आरोचेसुंध. प. अतिभायति अति + vभी का वर्तः, प्र. पु., ए. व., अधिक अट्ठ.2.41.
डरता है, अधिक भयभीत होता है - यिस्सति भवि., प्र. पु., अतिबाहेति अति + Vबह का प्रेर., वर्त., प्र. पु., ए. व., मार्ग ए. व. - थेरो बहूसु दिद्वेसु अतिभायिस्सतीति सो, म. वं. प्रदर्शन करता है, मार्ग रक्षण करता है, रक्षार्थ साथ जाता 14.6. है - न्ति ब. व. - सत्थे चोराटविं अतिबाहेन्ति, जा. अट्ठ. अतिभार पु., [अतिभार], बहुत भारी बोझ, अपेक्षा से अधिक 4.329.
बोझ- आजओ ... मथितो अतिभारेन संयुगं नातिवत्तति, अतिबाळ्हं निपा., [अतिवाढ], अत्यधिक, तीव्रता के साथ, थेरगा. 659; - ता स्त्री. भाव., अधिक बोझिलपन - दृढ़ता के साथ, प्रचुर मात्रा में - अतिबाळ्हं खो अयं यक्खो अतिभारताय किलन्तकायो निद्दायाभिभूतो, जा. अट्ठ 2.243; पमत्तो विहरति, म. नि. 1.322; अतिबाळ्हं खो अयं अम्बट्टो सिनेरु अतिभारताय अचलो, मि. प. 258; - भरित त्रि., माणवो सक्येसु इब्भवादेन निम्मादेति, दी. नि. 1.80. अधिक भार से लदा हुआ - सकटस्स अतिभारभरितस्स अतिबुद्धि त्रि., ब. स. [अतिबुद्धि], कुशाग्र बुद्धिवाला, तीक्ष्ण नाभियो च नेमियो च फलन्ति अक्खो भिज्जति, मि. प. 123. बुद्धिवाला - भस्सप्पवादो वेतण्डी, अतिबद्धि विचक्षणो, मि. अतिभारिय त्रि., [अतिभार्य], अत्यन्त गंभीर पापकर्म - प. 101.
भातिको मे अतिभारियं कम्मं करोती ति चिन्तेति, ध. प. अट्ठ. अतिब्रहा त्रि., [अतिवृहत्], अत्यन्त विशाल आकार वाला - 1.42. दहरो युवा नातिब्रहा, जा. अट्ठ. 6.102.
अतिभिंसन त्रि., [अतिभीषण], अत्यधिक भयंकर - अभिद्दवन्तं अतिब्रह्मभाव पु., [अतिब्रह्मभाव, ब्रह्मा से अधिक उत्तम अतिभिंसनेन दमेसि यो आलवकम्पि यक्खं दा. वं. 3.47. अवस्था - अतिदेवपत्तोति देवानं अतिदेवभावं ब्रह्मानं अतिभीत त्रि., [अतिभीत], अत्यधिक भयग्रस्त - अतिभीतो अतिब्रह्मभावं पत्तो, स. नि. अठ्ठ. 1.182.
अहू राजा, तं अस्सासेतुमागमा, म. वं. 4.39. अतिब्रह्मा पु., [अतिब्रह्मन्], भगवान् बुद्ध की एक उपाधि, अतिभीरुक त्रि., [अतिभीरुक], बहुत अधिक डरपोक - ब्रह्मा से अधिक बढ़ा-चढ़ा हुआ, ब्रह्मा से भी अधिक श्रेष्ठ - किम्पुरिसा नाम अतिभीरुका होन्ति, जा. अट्ठ. 6.94. ब्रह्मानं अतिब्रह्मा भवेय्य, मि. प. 258; अहम्हि ब्रह्मनापि अतिभुञ्जति अति + ।भुज का प्र. पु., ए. व., अधिक भोजन अतिब्रह्मा ति, ध. प. अट्ठ. 1.283; देवो सो अतिदेवोति करता है, अधिक खाता है - जित्वा पू. का. कृ. -- एकच्चे वुच्चति, तथारूपो ब्रह्मापि अतिब्रह्माति वुच्चति,ध. स. अट्ट. 4. तं येव भोजनं अतिभुजित्वा विसूचिकाय मरन्तीति, मि. प. अतिब्राह्मण पु., [अतिब्राह्मण], सभी ब्राह्मणों के बीच अतीव 153.
श्रेष्ठ, बुद्ध - ब्राह्मणानं अतिब्राह्मणो भवेय्य, मि. प. 258. अतिभुत्त त्रि, अति + (भुज का भू. क. कृ. [अतिभुक्त], अतिब्रूहयि अति + ब्रह का अद्य., प्र. पु., ए. व., सुदृढ़ अत्यधिक खाया गया, निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा में किया, प्रोत्साहित किया, ध्वनि को बढ़ाया, जोर से चिल्लाया लिया गया - कुप्पमानो दसविधेन कुप्पति सीतेन उण्हेन - तमापतन्तं दिस्वान, सुमुखो अतिब्रूहयि, जा. अट्ठ. 5.356; ... अतिभुत्तेन .... मि. प. 138; अतिभुत्तेन भोजनं विसमं अतिबृहयीति अनन्तरगाथाय आगतं मा भायीति वचनं वदन्तो परिणमति, मि. प. 258. अतिब्रूहेसि महासदं निच्छारेसि, जा. अट्ट, 5.356. अतिभूमि सप्त. वि., प्रतिरू. निपा. [अतिभूमि], निर्धारित अतिभय नपुं., [अतिभय], अत्यधिक भय, अधिक डर - सीमा के बाहर - सो ... अतिभूमि गन्वा वेरम्भवातमुखं अतिलोभेन चोरग्गहणमुपगच्छति, अतिभयेन निरुज्झति, मि. पत्वा चुण्णविचुण्णभावं पापुणि, जा. अट्ठ. 3.427. प. 258; - ट्टित त्रि., अत्यधिक भयग्रस्त, अधिक भय से अतिभेरवत्त नपुं., भाव. [अतिभैरवत्व], अत्यधिक भयानक संत्रस्त - जिनो अभयदो आड यक्खे ते अतिभयट्टिते म. वं 125. होने की स्थिति - अतिभेरवत्ता कम्मट्ठानस्स, विसुद्धि. 1.179.
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