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अट्ठट्ठान
अद्वान त्रि.. [अष्टस्थान] आठ विषयों अथवा वस्तुओं से सम्बन्धित नाय स्त्री०, ष. वि., ए. व. चेतोखिलानञ्च अद्वानाय कङ्क्षाय च अभावा अको सु. नि. अड. 2.124. अट्ठतिंस / अट्ठतिंसा संख्यावाचक विशे. [अष्टत्रिंशत्], अड़तीस ( 38 ) स नपुं. द्वि. वि. ब. व. अट्ठतिंस महामङ्गलानि कथेत्वा सु. पा. अड्ड. 124 सा स्त्री.. प्र./ वि.वि., ब.व. अद्वतिंसा च राजपरिसा, मि. प. 323; - य नपुं., सप्त. वि., ब. व. - अट्ठतिंसाय आरम्मणेसु, ध. प. अट्ठ. 2.241.
अट्ठत्थम्भ त्रि. ब. स. [अष्टस्तम्भ ], आठ खम्भों वाला अद्वत्थम्भो क. व्या. 385.
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अदन्तक त्रि., ब० स० [ अष्टदन्तक], आठ दांतों वाला / वाली
केन तृ. वि. ए. व. थलवप्ये विसमपतितानं वा बीजानं समकरणत्थाय पुन अद्वदन्तकेन समीकतं पारा, अह 2123. अट्ठदसिक त्रि, अट्ठ + दस से व्यु, संभवतः अठारह वर्ष वाला को पु. प्र. वि. ए. व सङ्ख्याने ति किमत्थं? अट्टादसिको, क. व्या. 384, पाठा. अड्डादसिको. अद्वदोण त्रि.. ब. स. [अष्टद्रोण]. आठ
द्रोणों की माप-तौल वाला ण नपुं. प्र. वि. ए. व. अट्ठदोणं चक्खुमतो अट्ठदोणं चक्खुमतो सरीरं, सत्तदोणं जम्बुदीपे महेन्ति, दी. नि. 2.126. अट्ठदोससमाकिण्ण त्रि. [अष्टदोषसमाकीर्ण]. आठ प्रकार के दोषों से भरपूर अट्ठदोससमाकिण्णं पजहिं पण्णसालक बु. वं. 2.31. अधम्मसमोधान नपुं, आठ प्रकार के धर्मों का संग्रह या समुच्चय - अट्ठधम्मसमोधाना, अभिनीहारो समिज्झति, जा. अट्ठ. 1.18; बु. वं. (पू.) 298; दीपङ्गरस्स हि भगवतो पादमूले अदुधम्मसमोधानेन अभिनीहारसमिद्धितो पभुति म. नि. अड. (म.प.) 1(1).120.
अया प्रकारार्थक निपा. [ अष्टधा ]. आठ भागों या प्रकारों में. आठ तरह से त्वज्ञेव भगवतो सरीरानि अद्वधा सम सुविभत्तं विभजाही ति, दी. नि. 2.125. अट्ठनखत्रि, ब. स. [अष्टनख] आठ खुरोंवाला, प्रत्येक पैर में दो-दो खुरों वाला - मेण्डो अट्ठनखो अदिस्समानो, जा० अ. 6.182; अनखोति एकेकस्मिं पादे द्विन्नं द्विन्नं खुरान वसेनेतं वृत्तं, तदे..
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अट्ठनवुति / अद्वानवृति त्रि. संख्यावाचक विशे, अंठानवे की संख्या तयो रोगा अद्वानवृतिमागमुं सु. नि. 313:
इमे अडनवृति रोगा कार्य निब्बत्तन्तृति मि. प. 111.
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पञ्चन्नं अखिलो
अट्ठपना / आठपना
अट्ठनिपात पु. क. थेरगा. के एक निपात का शीर्षक जिसमें प्रत्येक स्थविर की आठ-आठ गाथाएं निहित हैं, थेरगा. 494-517; ख. थेरीगा के एक खण्ड का शीर्षक, थेरीगा. 196-203; ग. जा. अट्ठ के एक खण्ड का शीर्षक जिसके अन्त, दस जातक ( 417426) और पंचानवे गाथाएं हैं। अट्ठपञ्ञासा स्त्री० [अष्टपञ्चाशत् ], अट्ठावन रतनानद्वपञ्ञासं, उग्गतोव महामुनि, अप. 2.243 - क्खत्तुं अट्ठावन बार अट्ठपञ्ञासक्खत्तुञ्च, देवरज्जमकारयिं,
अप. 2.13.
अट्ठपद नपुं [ अष्टापद]. शा. अ. प्रत्येक पंक्ति में आठ-आठ खानों वाला, ला. अ. चौपड़ का खेल या इसे खेली जाने वाली पट्टिका अथवा शतरंज का खेल अद्वपदं दसपदं आकासं परिहारपथ, दी. नि. 1.6; एकेकाय पन्तिया अट्ट अट्ट पदानि अस्साति अनुपद, दी. नि. अड. 1.78; दाकारेन पु.. तू. वि. ए. व. क्रि. वि. के रूप में प्रयुक्त, आड़े तिरछे रूप में, चौसर (चौपड़) की खेलपट्टिका की आड़ी तिरछी पंक्तियों के अनुरूप अनुपदाकारेन राजियो छिन्दित्वा न्हानतित्थे निखणन्ति चूळव, अनु. 45; तुल अद्वपाद, अट्ठापद
अट्ठपदक नपुं०, अट्ठपद से व्यु [ अष्टापदक ], चौसर की खेपट्टिका के समान विधि अनुजानामि, भिक्खवे, अट्ठपदकं कातुन्ति, महाव, 389; च्छन्न त्रि, चौसर की खेल पट्टी के समान आड़े-तिरछे रूप वाली विधि द्वारा आच्छादित अद्वपदकच्छन्नेन पत्तमुखं सिब्बितुं महाव. अट्ठ. 386.
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अट्ठपदपन नपुं, तत्पु. स. [ अष्टापदस्थापन ], केशालंकरण की एक विशेष पद्धति, केशों को संवारने की विधि जिसमें केशों को आठ पंक्तियों में रखकर सजाया जाता है। मस्सुकरणकेससण्ठपन अट्ठपदद्वपनादीनि सब्बकिच्चानि करोति जा. अड्ड. 2.5.
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अट्ठपदफलक नपुं., [अष्टापदफलक], चौसर अथवा शतरंज की खेलपट्टिका अनुपदेपि कीळन्तीति अट्ठपदफलके जूत कीळन्ति, पारा. अट्ठ. 2.185.
अट्ठपना / आठपना स्त्री० [आस्थापना], विन्यसन, व्यवस्थापन, व्यवस्थित रूप में रखना पापिच्छस्स इच्छापकतस्स इरियापथस्स वा अट्ठपना उपना
विभ. 404; यो एवरूपो उपनाहो.. अनुपना उपना सण्ठपना
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दऴहीकम्मं कोधस्स, विभ. 412; अट्ठपना ति पठममुप्पन्नस्स अनन्तरट्टपना मरियादनुपना वा विभ. अड. 464.
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