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अतिदेव
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अतिनिज्झायितत्त अतिदेवपत्तोति देवानं अतिदेवभावं ब्रह्मानं अतिब्रह्मभावं पत्तो, नानत्तनयस्सपि गहणेन तत्थ तत्थेव धावन्ति, इतिवु. अट्ठ. स. नि. अट्ठ. 1.182; - भाव पु., देवों से अधिक उत्तम 155; - न्तो वर्त. कृ., पु.. प्र. वि., ए. व. - अभिधम्मे अवस्था - ... देवानं अतिदेवभावं ..., स. नि. अट्ठ. 1.182. दुप्पटिपन्नो धम्मचिन्तं अतिधावन्तो अचिन्तेय्यानिपि चिन्तेति, अतिदेव' पु.. रेवत नामक बुद्ध के समय में ब्राह्मणकुलोत्पन्न ध. स. अट्ठ. 26; - वेय्य विधि., प्र. पु., ए. व. - समझें बोधिसत्त्व का नाम - तदा बोधिसत्तो अतिदेवो नाम ब्राह्मणो नातिधावेय्य, म. नि. 3.279; - वि अद्य., प्र. पु.. ए. व. - हुत्वा .... जा. अट्ठ. 1.45.
यो नाच्चसारीति यो नातिधावि, सु. नि. अट्ठ. 1.19; - वित्वा अतिदेस पु.. [अतिदेश], 1. हस्तान्तरण, समर्पण, सुपुर्दगी, पू. का. कृ. - चित्तुप्पादमत्तेनेव कुसलं होतीति अतिधावित्वा एक वस्तु के धर्म का दूसरी वस्तु पर आरोपण, 2. व्याकरण । दानादीनि अकरोन्तो .... म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).301; शास्त्र में एक स्थान पर निर्दिष्ट नियम का अपने स्थल के - वितब्ब सं. कृ. - इधेकच्चो मोघपुरिसो अविद्वा अतिरिक्त अन्यत्र भी लागू होने वाली प्रक्रिया - अञदीय- अविज्जागतो तण्हाधिपतेय्येन चेतसा सत्थुसासनं अतिधावितब्ब धम्मानं अञ्जत्थ पापनं अतिदेसो, क. व्या. 272 पर रू. सि. मजेय्य, स. नि. 2(1).95.. 120.
अतिधुति स्त्री., [अतिधृति], छन्दों के एक वर्ग का नाम, अतिदोस पु., [अतिद्वेष], अत्यधिक दृढ़ द्वेषभाव - अतिदोसेन जिसके अन्त. मेघ-विप्फुज्जिता तथा सर्दूलविक्कीळित जैसे वज्झो होति, मि. प. 258.
अनेक छन्द आते हैं, वुत्तो. 101-102. अतिधञ त्रि०, [अतिधन्य], अत्यधिक कृतकृत्य, अत्यन्त अतिधोनचारी त्रि., बुद्धि का अतिक्रमण कर, स्वच्छन्द धन्य - अतिधा वत धरणी .... या ते अलत्थ ..... अथवा उच्छृङ्खल होकर काम करने वाला - एवं पादतलसम्फस्सं. म. बो. वं. 16(रो.).
अतिधोनचारिनं, सानि कम्मानि नयन्ति दुग्गति, ध. प. 240%; अतिधन्त नपुं., अति + Vधम का भू. क. कृ., [अतिध्मात]. अतिधोनचारिनन्ति धोना वुच्चति चत्तारो पच्चये "इदमत्थं भेरी (ढोल) पर लगातार की जा रही बहुत जोरदार एतेति पच्चवेक्खित्वा परिभुञ्जनपञआ, तं अतिक्कमित्वा थपथपाहट, ढोल पर जोरदार प्रहार - अतिधन्तहि पापक चरन्तो अतिधोनचारी नाम, ध. प. अट्ठ. 2.199. .
जा. अट्ठ. 1.273; अतिधन्तहि ... निरन्तरं भेरिवादनं..., तदे... अतिनट्ठ त्रि., [अतिनष्ट], अत्यधिक क्षति को प्राप्त, बहुत अतिधमे अति + vधम का विधि., प्र. पु., ए. व., अत्यधिक अधिक हानि को प्राप्त - अनस्ससन्ति नट्ठो, पनस्ससन्ति प्रहार कर बजाए, अत्यधिक फूंक मार कर बजाए - अतिनट्ठो, स. नि. अट्ट. 3.16. नातिधमेति अतिक्कमित्वा पन निरन्तरमेव कत्वा न वादेय्य अतिनामेति अति + vनम का प्रेर., वर्त., प्र. पु., ए. व. [बौ. .... जा. अट्ठ. 1.273.
सं. अतिनामयति], 1. शा. अ. समय व्यतीत करा देता है, अतिधम्मभार पु., धर्म का अत्यधिक प्रभाव, धर्म की प्रबल बिता देता है, पार करा देता है - सो तेन अभिज्झासहगतेन
शक्ति - अतिधम्मभारेन पथवी चलति, मि. प. 224. चेतसा दिवसं अतिनामेति, अ. नि. 1(1).235; न च अतिधात त्रि., अत्यधिक तृप्त, बहुत अधिक सन्तुष्ट - अनुमोदनस्स कालमतिनामेति, म. नि. 2.347; - मि वर्त.. अतिधातोस्मीति कम्म न करोति, दी. नि. 3.139; - ता उ. पु., ए. व. - नमस्समानोव रत्तिं अतिनामेमि, सु. नि. स्त्री. भाव., अत्यधिक तृप्तिभाव, बहुत अधिक भोजन ले लेने अट्ठ. 2.297; - न्ति वर्तः, प्र. पु., ब. व. - अतिनामेन्ति ते की स्थिति - ... अतिधातताय किलन्तकायो निद्दायाभिभूतो खणं, अ. नि. 3(1).61; - मयि अद्य., प्र. पु.. ब. व. - .... जा. अट्ठ. 2.243, विलो. अतिछात.
अब्भोकासेतिनामयि, थेरगा. 366; 2. ला. अ. क. भोजन अतिधावन्ति अति + Vधाव का वर्त. प्र. पु., ब. व. को गले के नीचे पहुंचाता है - न च ब्यञ्जनेन आलोपं [अतिधावन्ति, शा. अ. अतिक्रमण करते हैं, उल्लंघन अतिनामेति, म.नि. 2.347; 2. ख. किसी को ले जाता करते हैं, अत्यधिक दूर चले जाते हैं, बहुत तेजी से दौड़कर है - मेत्वा पू. का. कृ. - सम्बुद्ध ... अस्सम अतिनामेत्वा आगे निकल जाते हैं, ला. अ. निरर्थक कल्पनाओं में भागते ...... अप. 1.273; तुल. अतिनेति. दौड़ते हैं - ब. व. - ओलीयन्ति एके अतिधावन्ति एके..... अतिनिज्झायितत्त नपुं. भाव. [अतिनिध्यायितत्व], इतिवु. 31; अतिधावन्तीति परमत्थतो भिन्नसभावानम्पि अत्यधिक सूक्ष्मता अथवा ध्यान के साथ सोचने विचारने की सभावधम्मानं वायं हेतुफलभावेन सम्बन्धो, तं अग्गहेत्वा अवस्था - न अतिनिज्झायितत्तं रूपानन्ति, म. नि. 3.199%;
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