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अध्याय 2
जैनदर्शन एवं जैनआचारशास्त्र में जीवन-प्रबन्धन (Life Management in Jain Philosophical & Ethical Scriputures)
Page No. Chap. Cont.
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2.1 जैनदर्शन एवं आचारशास्त्र का सह-सम्बन्ध
191 2.2 जैनआचारमीमांसा का उद्देश्य
4 94 2.3 जैन दर्शनमीमांसा, आचारमीमांसा एवं जीवन-प्रबन्धन का सह-सम्बन्ध
696 2.3.1 जैनआचारमीमांसा एवं जीवन-प्रबन्धन के सह-सम्बन्ध को सुनिश्चित करने वाले कतिपय
बिन्दु (1) साध्य एवं उसके साधन का निर्देश (2) जीवन में उचित-अनुचित के प्रबन्धन का निर्देश (3) जीवन-व्यवहार के सम्यक मूल्यांकन एवं नैतिक प्रतिमानों (Ethical Standards) का।
निर्देश (4) सामाजिक नियमों अथवा रीति-रिवाजों का निर्देश (5) पद के अनुरूप अपने कर्तव्यों का पालन करने का निर्देश
100 (6) विभिन्न नैतिक मान्यताओं की सम्यक् समीक्षा करने का निर्देश
101 (7) जीवन के आध्यात्मिक विकास के उचित प्रबन्धन का निर्देश
101 2.4 जैनआचारमीमांसा में जीवन-प्रबन्धन के मुख्य तत्त्व
102 2.4.1 मानवीय जीवन की समस्याएँ
102 2.4.2 समस्याओं के समाधान के लिए एक उदाहरण
103 2.4.3 जैनआचारमीमांसा के मुख्य तत्त्व
105 (1) ज्ञानाचार (2) दर्शनाचार (3) चारित्राचार (4) तपाचार
(5) वीर्याचार 2.5 निष्कर्ष
सन्दर्भसूची
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