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शुभ-अशुभ लेश्या वालों का व्यक्तित्व क्र. लेश्या
का
विवरण 1) कृष्ण तीव्र क्रोधी, क्लेश-कलहकारी, दया-धर्मरहित, सन्तापक, हिंसक, क्रूर, असन्तोषी, तीव्र वैरी,
मन-वचन-काया से असंयमी इत्यादि। 2) नील विषयासक्त, मानी, विवेकबुद्धिरहित, आलसी, कायर, मायावी, निद्रालु, लोभान्ध, सुखशील, चंचल,
निर्लज्ज, स्वादलोलुपी, पौद्गलिक-सुख का इच्छुक, कार्य के प्रति अनिष्ठावान् इत्यादि। 3) कापोत कार्य एवं वाणी में वक्रता, परपीडाकारी, निन्दक, आत्म-प्रशंसक, नैराश्यजीवी, कृत्याकृत्य में
विवेकरहित इत्यादि। 4) पीत कृत्याकृत्य में विवेकी, समदर्शी, दया-दान में रत, मृदु स्वभावी, ज्ञानी, सत्यवादी, स्वकार्यदक्ष, सर्वधर्म
समन्वयक, दृढ़, निर्मम, दयालु, धर्मरुचि इत्यादि। 5) पदम त्यागी, भद्र, सत्यनिष्ठ, उत्तम कार्यशील, क्षमाशील, साधुओं के प्रति पूज्यभावधारक, क्रोधरहित,
मितभाषी, सरल हृदयी, जितेन्द्रिय इत्यादि। 6) शुक्ल निष्पक्ष व्यवहारी, अनिन्दक, पापकार्यों से परे, श्रेयमार्ग में रुचि रखने वाला, आत्मलीन, शत्रु के दोषों
पर भी ध्यान नहीं देने वाला, वीतराग, वीतद्वेष इत्यादि।
7.4.2 मानसिक-विकारों के दुष्परिणाम (1) दुष्परिणामों की प्रथम अवस्था
मानसिक विकार जब लम्बे समय तक चलते रहते हैं, तब वे व्यक्ति के जीवन का एक अंग बन जाते हैं एवं उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन इन मनोविकारों के आधार पर होता है। इस स्थिति में व्यक्ति का जीवन अनेक अवांछित विसंगतियों से युक्त हो जाता है, जैसे - ★ अनीतिपूर्ण अर्थोपार्जन ★ अतिनिद्रा या अनिद्रा
★ एकाग्रता की कमी ★ अमर्यादित कामभोग ★ पापभीरुता का अभाव ★ मादक द्रव्यों का सेवन ★ स्वार्थ एवं मौकापरस्ती ★ भोगाकांक्षा की तीव्रता ★ एकाकीपन ★ आय से अधिक व्यय ★ कलह एवं क्लेश
★ अन्यमनस्कता * कार्यों में अनियमितता ★ अमर्यादित वेशभूषा * देशाचार का उल्लंघन ★ छिद्रान्वेषण ★ अधीरता
★ दुर्जनों की संगति ★ असौम्यता
★ बात-बात में आत्मप्रशंसा ★ निन्दनीय आचरण ★ विषयों की पराधीनता ★ लज्जाहीनता
★ धर्म-कर्त्तव्य से विमुखता ★ चिड़चिड़ाहट ★ कृतघ्नता
★ आग्रहपूर्ण व्यवहार ★ अत्यधिक/ अत्यल्प ★ अस्थिरता
★ अदूरदर्शिता भोजन-वृत्ति
★ अतिप्रमाद एवं समय की ★ असंवेदनशीलता/कठोरता ★ असभ्य व्यवहार
बरबादी
★ करुणाहीनता 395
अध्याय 7 : तनाव एवं मानसिक विकारों का प्रबन्धन
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