Book Title: Jain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Author(s): Manishsagar
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 897
________________ समायोजन समारम्भ समास समीचीन | समुच्चय सम्मिलन सम्यक सम्यकचारित्र सम्यग्ज्ञान सम्यग्दर्शन सर्जक सर्वव्यापक सहिष्णुता साक्षीभाव स्रोत सादि-अनन्त साधक साधन साधना साध्य सान्निध्य सापेक्षवाद सापेक्षिक सामायिक आवश्यक सामग्री जुटाना, इकट्ठा करना हिंसा आदि कार्यों सम्बन्धी साधनों को एकत्र करना | संग्रह, संक्षेप, मेल, दो या अधिक पदों को मिलाकर एकरूप करना उचित, संगत, ठीक, यथार्थ | समूह, ढेर मिलना, एकत्र होना सही, उचित, सच्चा सही ढंग से जीना, आत्म-स्थिरता, आत्म-रमणता | सही ज्ञान, सात तत्त्वों का यथार्थ ज्ञान, स्व-पर का यथार्थ ज्ञान | सही मान्यता, देव-गुरू-धर्म की सच्ची श्रद्धा, सात तत्त्वों की यथार्थ श्रद्धा, आत्म-श्रद्धान | सर्जन करने वाला, रचना करने वाला, सृष्टा सार्वभौमिक, सभी जगह व्याप्त सहनशीलता | गवाह होने का भाव, ज्ञाता-दृष्टाभाव, जुड़े बिना मात्र जानने का भाव उद्गम (Source), जल-प्रवाह, झरना, आधार जिसका प्रारम्भ हो, लेकिन अन्त न हो साधना करने वाला | साध्य की सिद्धि का माध्यम, कारण या उपाय (Means) | कार्य पूरा करने की क्रिया, आराधना, उपासना | उद्देश्य, साधने योग्य, ध्येय, लक्ष्य (Objective) समीपता, करीबी | किसी एक की अपेक्षा से दूसरे को जानने/समझने का सिद्धान्त । जो दूसरों पर आलंबित हो, जिसमें किसी की अपेक्षा हो | एक निश्चित समय (48 मिनिट) तक समता भाव में स्थिर रहना, समत्वयोग, प्रतिकूल परिस्थितियों में भी स्वयं को उनसे अप्रभावित रखना अंधी धार्मिकता समानता समानता आधारित अर्थ-व्यवस्था, वर्गहीन समाज की रचना का सिद्धांत (Communism) जो सभी काल में हो सर्व साधारण का जो सम्पूर्ण विश्व में फैला हो, विश्वव्यापी जिसने सिद्धि पाई हो, अशरीरी परमात्मा, कर्मरहित आत्मा, परम शुद्ध आत्मा | साधना के पूरा होने पर मिलने वाला फल, लक्ष्य की प्राप्ति सीमा का निर्धारण करना साम्प्रदायिकता साम्य साम्यवाद सार्वकालिक सार्वजनिक सार्वभौमिक सिद्ध | सिद्धि सीमांकन सेतु ! सैद्धांतिक पक्ष पूल सिद्धांतों से संबंधित पक्ष, दर्शन विभाग (Theoretical Aspect) 785 संक्षिप्त शब्दकोष Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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