Book Title: Jain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Author(s): Manishsagar
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 753
________________ अध्याय 12 धार्मिक-व्यवहार- प्रबन्धन (Religious Behaviour Management) 12.1 धर्म की अवधारणा 12.2 धर्म का जीवन में महत्त्व एवं स्थान 12.3 धर्म और जीवन मूल्य 12.4 अनियोजित धर्मनीति के दुष्परिणाम 12.5 जैनधर्म एवं जैनआचारमीमांसा के आधार पर धार्मिक-व्यवहार- प्रबन्धन 12.5.1 धार्मिक - व्यवहार - प्रबन्धन का सैद्धान्तिक पक्ष 12.5.2 धार्मिक - व्यवहार - प्रबन्धन क्या है? 12.5.3 धार्मिक-व्यवहार- प्रबन्धन, आखिर क्यों? 12.5.4 धार्मिक - व्यवहार - प्रबन्धन कैसे-कैसे किया जाता है ? 12.5.5 धार्मिक-व्यवहार - प्रबन्धन के लिए उपयुक्त स्थान क्या हो ? 12.5.6 धार्मिक-व्यवहार - प्रबन्धन के लिए उपयुक्त समय क्या हो ? 12.6 धार्मिक - व्यवहार - प्रबन्धन का प्रायोगिक पक्ष 12.6.1 धार्मिक - व्यवहार - प्रबन्धन का उद्देश्य निर्माण करना 1262 धार्मिक-व्यवहार- प्रबन्धन के सही लक्ष्यों एवं नीतियों का निर्माण करना 1263 उपासनात्मक साधनों का सम्यक् उपयोग करना 12.6.4 आचरणात्मक धर्म का सम्यक् निर्वाह करना 1265 धार्मिक व्यवहार- प्रबन्धन के पाँच स्तर 12.7 निष्कर्ष 12.8 स्वमूल्यांकन एवं प्रश्नसूची (Self Assessment A questionnaire ) सन्दर्भसूची Jain Education International For Personal & Private Use Only Page No. Chap. Cont. 1 4 9 12 17 17 17 18 20 27 28 2222 22 29 29 29 31 34 38 41 42 43 653 656 661 664 669 669 669 670 672 679 680 681 681 681 683 686 690 693 694 695 www.jainelibrary.org

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