Book Title: Jain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Author(s): Manishsagar
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

View full book text
Previous | Next

Page 848
________________ सन्दर्भसूची 36 श्रीमद्राजचन्द्र, पत्रांक 40, पृ. 172 37 वही, पृ. 291 1 आचारांगसूत्र, 1/2/3/4 38 धर्मसंग्रहश्रावकाचार, पं.मेधावी, 2/8 2 समणसुत्त, 150 39 सागारधर्मामृतम्, आशाधर, 1/20 3 प्रशमरति, 39 40 अध्यात्मोपनिषद, 2/9 4 उत्तराध्ययनसूत्र, 32/7 41 व्याख्याप्रज्ञप्ति, 1/9/21/4 5 अध्यात्मवाद और विज्ञान, डॉ.सागरमलजैन, पृ. 1 42 नियमसारटीका, पद्मप्रभमल्लधारी, 25, पृ. 142 6 उत्तराध्ययनसूत्र, 9/48 43 समयसार, 16 7 वही, 9/48 44 आचारांगसूत्र, 1/6/5/1 8 पाणिनीयः अष्टाध्यायीसूत्रपाठः, 2/1/6 45 मोक्षप्राभृत, 5, 8, 10, 11 9 अभिधानराजेन्द्रकोष, 1/227 46 वही, 5,9 10 अध्यात्मोपनिषद्, 1/2 47 वही, 5, 6, 12 11 अध्यात्मसार, 2/2 48 दर्शन और चिंतन, पं.सुखलाल संघवी, खं. 2, 12 बृहद्रव्यसंग्रहः, 57, पृ. 187 पृ. 260-277 13 समयसार, तात्पर्यवृत्ति, पृ. 526 49 जैन, बौद्ध और गीता, डॉ.सागरमलजैन, 2/448 14 अप्पा कत्ता विकत्ता य, दुहाण य सुहाण य। 50 वही, 2/447 अप्पा मित्तममित्तं च, दुप्पठ्ठिय - सुपट्ठियो।। 51 तत्त्वार्थसूत्र, 8/1 - उत्तराध्ययनसूत्र, 20/37 52 तत्त्वार्थसूत्र, रामजीभाई दोशी, 8/1, पृ. 514 15 भगवतीआराधना, 81 53 तत्त्वार्थसूत्र, 7/1 16 स्थानांगसूत्रवृत्ति, अभयदेवसूरि, 1 54 सर्वार्थसिद्धि, 8/1/732 17 न्यायविवरण, 1/115, पृ. 428-429 55 तत्त्वार्थसूत्र, रामजीभाई दोशी, 8/1, पृ. 514 18 आलापपद्धति, 15 56 वही, 7/13, पृ. 478-479 19 तत्त्वार्थवृत्ति, श्रुतसागरसूरि, 5/38 57 सर्वार्थसिद्धि, 8/1/730 20 नियमसार, 28 58 गोम्मटसार (जीवकाण्ड), 34 21 षोडशकप्रकरण, 15/13-16 59 तत्त्वार्थसूत्र, रामजीभाई दोशी, 8/1, पृ. 514 22 समयसार, 3 60 वही, पृ. 515 23 वही, मंगलाचरण, आ.अमृतचन्द्र, 1 61 वही, पृ. 515 24 वही, कलश, आ.अमृतचन्द्र, 12 62 षट्खण्डागम (धवला), 10/4/2/4/175/437/8 25 उपाध्याय यशोविजयजी का अध्यात्मवाद, 63 (क) समवायांगसूत्र, 26 सा.प्रीतिदर्शनाश्री, पृ. 136 (ख) ऋषिभाषितसूत्र, 9/5 26 तत्त्वार्थसूत्र, 1/1 (ग) तत्त्वार्थसूत्र, 8/1 27 उत्तराध्ययनसूत्र, 28/3 64 सर्वार्थसिद्धि, 8/9/751 28 श्रावकधर्मप्रकाश (पद्मनन्दिपंचविंशति), एकत्व सप्तति 65 तत्त्वार्थसूत्र, रामजीभाई दोशी, 8/9, पृ. 525 अधिकार, 14 (825, 146) 66 सर्वार्थसिद्धि, 8/9/751 29 उत्तराध्ययनसूत्र, 28/35 67 वही, 8/9/751 30 योगशास्त्र, 4/1 68 वही, 8/9/751 31 समयसार, 7-8 69 (क) आचारांगनियुक्ति, 22-23 32 उत्तराध्ययनसूत्र, 28/30 (ख) तत्त्वार्थसूत्र, 9/47 33 वही, 28/29 (ग) षट्खण्डागम (धवला), कृतिअनुयोगद्वार, वेदनाखण्ड, 34 उपाध्याय यशोविजयजी का अध्यात्मवाद, चूलिका, 7-8 सा. प्रीतिदर्शनाश्री, पृ. 131 70 कषाय, सा.हेमप्रज्ञाश्री, पृ. 67 35 अध्यात्मोपनिषद्, 1/5 71 कर्मग्रंथवृत्ति, 2/2, पृ. 7 जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व 46 742 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900