Book Title: Jain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Author(s): Manishsagar
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 891
________________ पंचाचार पक्षाग्रह पदार्थाश्रित परमसाध्य परमार्थ 779 परम्पर- साध्य परवर्ती परस्पर-आश्रयता पराङ्मुख परार्थ परावर्तना परिग्रह परिचायक परिज्ञान परिणत परिणति परिणामी - नित्य परित्याग | परिदृश्य परिधि परिप्रेक्ष्य | परिमित परिलक्षि परिवेश परिशोधन | परिष्कृत परिसीमन परिस्पन्दन पर्णरन्ध्र पर्यवेक्षण पर्याय पर्यालोचन पल्लवन पार्थिव शरीर पावक Jain Education International पाँच करने योग्य आचार वीर्याचार अपने मत / पक्ष का हठ | आत्मा को छोड़कर अन्य वस्तुओं पर आश्रित अंतिम उद्देश्य, मोक्ष, दुःख - निवृत्ति सत्य, मोक्ष, यथार्थ तत्त्व, आत्मा के हित के लिए किया गया कार्य अन्तिम या चरम लक्ष्य बाद में होने वाला एक-दूसरे के ऊपर आश्रित होना (Interdependent) विमुख, विपरीत, विरूद्ध, उदासीन दूसरों के हित के लिए किया गया कार्य | दोहराना, पुनरावर्तन करना, आम्नाय (Revision) | एकत्रित करना; मिथ्यात्व, कषाय आदि अंतरंग परिग्रह तथा धन, सम्पत्ति आदि बाह्य परिग्रह होते हैं जान-पहचान कराने वाला जानकारी होना, परिचित होना, पहचानना, निश्चय करना परिवर्तित, बदला हुआ परिणाम, पर्याय | वस्तु के द्वारा परिणमन अर्थात् परिवर्तन करते हुए भी अपने मूल स्वरुप को बनाए रखना पूरी तरह से छोड़ना चारों ओर से देखने योग्य ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार एवं घेरा, वृत्त की परिधि (Circumference) सन्दर्भ, विषय, वस्तु, स्थिति, मत आदि का यथार्थ चित्रण करने वाला दृश्य सीमित दृष्टिगत होना, अच्छी तरह से सिद्ध होना परिधि, घेरा, वातावरण | पूर्णतया शुद्ध करने की क्रिया शुद्ध सीमा, मर्यादा निर्धारित करना | कम्पन ( Vibration) पत्तों के छिद्र निगरानी (Supervision) द्रव्य के आश्रित रहने वाले गुणों की अवस्था, स्थिति या दशा (Modification) समीक्षा, गुण-दोष ज्ञात करना नये पत्तों का निकलना, विकसित होना, बढ़ना मृत शरीर, कलेवर शुद्ध या पवित्र करने वाला, अग्नि संक्षिप्त शब्दकोष For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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