Book Title: Jain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Author(s): Manishsagar
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 849
________________ 72 गोम्मटसार (जीवकाण्ड) 3. 8 73 कर्मग्रंथ, 2/2 74 कषाय, सा. हेमप्रज्ञाश्री, पृ. 67-68 75 रयणसार, 40 76 कर्मग्रंथ, गुनि मिश्रीमल 2/2, पृ. 16 77 वही, पृ. 20-21 78 कषाय, सा. हेमप्रज्ञाश्री, 79 वही, पृ. 72 80 वही, पृ. 72 81 कर्मग्रंथ, मुनि मिश्रीमल 2/2, पृ. 27-31 82 कषाय, सा. हेमप्रज्ञाश्री, पृ. 73 83 वही, पृ. 73 84 वही, पृ. 73 85 समवायांगसूत्र 96 86 गोम्मटसार ( जीवकाण्ड), 8 87 मोक्षमार्गप्रकाशक, अधिकार 3. पृ. 76 पृ. 72 88 उत्तराध्ययनसूत्र, 28 / 14 89 मोक्षमार्गप्रकाशक, अधिकार 4, पृ. 80-82 90 तत्वार्थसूत्र 6 / 3-4 91 मोक्षमार्गप्रकाशक, अधिकार 7, पृ. 255-256 92 तत्त्वार्थसूत्र, 9/1 93 वही, 9/3 94 बृहद्रव्यसंग्रह, 41, पृ. 132-133 95 मोक्षमार्गप्रकाशक, अधिकार 4, पृ. 85 96 तत्त्वार्थसूत्र, रामजीभाई दोशी, 1/6, पृ. 30 97 (क) तत्त्वार्थसूत्र, रामजीभाई दोशी, 1/6, पृ. 31 (ख) मोक्षमार्गप्रकाशक, अधिकार ? (व्यवहाराभासी) (ग) श्रीमद्राजचन्द्र, पत्रांक 718, आत्मसिद्धि 3-5. पू. 534-535 98 तत्त्वार्थसूत्र 1/33 99 (क) सर्वार्थसिद्धि 1/32/230-239 (ख) तत्त्वार्थसूत्र, रामजीभाई दोशी, 1/32, पृ. 88-90 100 उत्तराध्ययनसूत्र, 32 / 100-101 101 देखें, मोक्षमार्गप्रकाशक, अधिकार 4, पृ. 88-93 102 श्रीमद्राजचन्द्र पत्रांक 204, पृ. 200 103 वही, पत्रांक 718, आत्मसिद्धि 24 26, पृ. 543-544 104 वही, पत्रांक 264, पृ. 298-300 105 वही, पत्रांक 718, आत्मसिद्धि 7, पृ. 535 743 106 समयसार, कलश, आ. अमृतचन्द्र, 142 107 आतम अनुभव ... .. सीझे काज समासी ।। आनंदघनपदसंग्रह, 1, पद 6 Jain Education International ...नवि आवे ।। चिदानंदकृतपदसंग्रह 1 पद 11 108 जोग जुगति... 109 श्रीमद्देवचन्द्र, 2, पृ. 578 110 श्रीमद्राजचन्द्र, पत्रांक 265, 300-301 111 आनंदघन चौबीसी, मुनि सहजानंदघन, 11 112 देखें, ज्ञानार्णवः, 6/1 113 तत्त्वार्थसूत्र 10/3 114 नियमसार, 176 115 वही, 179 116 उत्तराध्ययनसूत्र, 23 / 83 117 आप्तमीमांसापदवृति वसुनन्दी सैद्धांतिक चक्रवर्ती 40 118 ज्ञानार्णवः, 3/6-8 119 तत्त्वार्थसूत्र, रामजीभाई दोशी, 10 / 4, पृ. 629 120 प्रशमरति, 148 121 (क) ग्रंथराज श्रीपंचाध्यायी, 1013 (ख) प्रवचनसार, 76 (ग) सर्वार्थसिद्धि 7/10 (घ) दुःखरहित सुख, कन्हैयालाल लोढ़ा पू. 6358 122 श्रीमद्रराजचन्द्र, पत्रांक 718 आत्मसिद्धि 101, पृ. 560 123 वहीं, पत्रांक 718, आत्मसिद्धि 100, पृ. 560 124 वही, आत्मसिद्धि 103, पृ. 560 125 तत्त्वार्थसूत्र 1/1 126 उत्तराध्ययनसूत्र, 28/30 127 तत्त्वार्थसूत्र श्रीमती पूजा-प्रकाश छाबड़ा, 1/1 128 तत्त्वार्थसूत्र, रामजीभाई दोशी, अ. 1 परिशिष्ट 4, पृ. 162-163 129 तत्त्वार्थसूत्र, पं. सुखलाल संघवी, 1/1, पृ. 2 130 उत्तराध्ययनसूत्र 28/7 131 वही, 28/6 132 तत्त्वार्थसूत्र 5/29 133 आलापपद्धति, 9 134 जिनधर्मप्रवेशिका, ब्र. यशपाल जैन, पृ. 18 135 तत्त्वार्थसूत्र, 5/16 136 स्थानांगसूत्रवृत्ति, अभयदेवसूरि 51 137 जिनधर्मप्रवेशिका, ब्र. यशपाल जैन, पृ. 18 138 तत्त्वार्थसूत्र 5 / 25 139 पंचास्तिकाय 84-85 140 वही, 86 141 वही, 90-91 142 वही, 143 देखें, जिनधर्मप्रवेशिका, ब्र. यशपाल जैन, पृ. 28-40 144 वही, पृ. 4-42 अध्याय 13: आध्यात्मिक-विकास-प्रबन्धन 100-101 For Personal & Private Use Only 47 www.jainelibrary.org

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