Book Title: Jain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Author(s): Manishsagar
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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सन्दर्भसूची
38 धर्म का मर्म, डॉ.सागरमलजैन, पृ. 3
39 तत्त्वार्थसूत्र, 5/21 1 भावसंग्रह, 373
40 डॉ.सागरमलजैन से व्यक्तिगत चर्चा के आधार पर 2 पाइयसद्दमहण्णवो, पं.हरगोविन्ददास त्रिकमचन्द सेठ,
41 धर्म का मर्म, डॉ.सागरमलजैन, पृ. 16.17 पृ. 485
42 स्थानांगसूत्र, 4/4/627 3 कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 478
43 उपासकदशांगसूत्र, 7/227 4 भक्तपरिज्ञा, 91
44 लोकतंत्र : नया व्यक्ति नया समाज, आ.महाप्रज्ञ, पृ. 21 5 आचारांगसूत्र, 1/6/2/4
45 स्थानांगसूत्र, 10/135 6 पाइयसद्दमहण्णवो, पं.हरगोविन्ददास त्रिकमचन्द सेठ,
46 डॉ. सागरमलजैन अभिनन्दनग्रन्थ, पृ. 187 पृ. 485
47 धर्म का मर्म, डॉ.सागरमलजैन, पृ. 57 से उद्धृत 7 प्रवचनसार, 1/7
48 भारतीयजीवनमूल्य, डॉ.सुरेन्द्रवर्मा, पृ. 25 8 आचारांगसूत्र, 1/8/3/1
49 वही, पृ. 50-56 9 कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 478
50 धर्मबिन्दु, 1/50-51 10 वही, 478
51 परमात्मप्रकाश, 2/3 11 पुरुषार्थसिद्धयुपाय, 216
52 भारतीयजीवनमूल्य, डॉ.सुरेन्द्रवर्मा, पृ. 127-128 12 दशवैकालिकचूर्णि, जिनदासगणि, पृ. 14
53 धर्म का मर्म, डॉ.सागरमलजैन, पृ. 3 13 रत्नकरण्डश्रावकाचार, 2
54 श्रीमद्राजचन्द्र, पत्रांक 40, पृ. 173 14 सर्वार्थसिद्धि, 9/2/789
55 आनंदघन चौबीसी, 14/2 15 प्रवचनसार, 7
56 सुक्तिमुक्तावली, 82 16 ग्रन्थराजश्रीपंचाध्यायी, 1483
(कषाय, सा.हेमप्रज्ञाश्री, पृ. 132 से उद्धृत) 17 डॉ.सागरमलजैन से व्यक्तिगत चर्चा के आधार पर
57 धर्म : जीवन जीने की कला, सत्यनारायण गोयनका, पृ. 7 18 भारतीयजीवनमूल्य, डॉ.सुरेन्द्रवर्मा, पृ. 56, 70
58 धणेण किं धम्म धुराहिगारे 19 दशवैकालिकसूत्र, 1/1
- उत्तराध्ययनसूत्र, 14/17 20 तंदूलवैचारिकप्रकीर्णक सटीक, 12
59 बूँद-बूँद से घट भरे; आ.तुलसी, पृ. 57 21 वही, 13
60 जैनधर्म : जीवन और जगत्, सा.कनकश्री. पृ. 129 22 वही, 14
61 श्रीमद्राजचन्द्र, पत्रांक 718, आत्मसिद्धि 3-5, पृ. 534 23 वही, 15
62 स्थानांगसूत्र, 2/1/109 24 उत्तराध्ययनसूत्र, 12/46
63 कल्पसूत्र, आ.आनंदसागरजी म.सा., पाँचवी वाँचना, 25 ज्ञानार्णवः, 2/10/11
पृ. 264-265 26 वही, 2/10/4
64 प्रवचनसार, 238 27 धम्मसमो नत्थि निही
65 आवश्यकनियुक्ति, 102 - वज्जालग्गं, नीइवज्जा 1, पृ. 85
66 दशवैकालिकसूत्र, 4/33 28 आत्मानुशासनम्, 18
67 उत्तराध्ययनसूत्र, 14/24.25 29 वही, 19
68 दशवैकालिकसूत्र, 8/35 30 वही, 20
69 उत्तराध्ययनसूत्र, 14/15 31 वही, 22
70 धर्म का मर्म, डॉ.सागरमलजैन, पृ. 18 32 कर लो जिनवर की पूजन, देवेन्द्रकुमार जैन, पृ. 423
71 वही, पृ. 19 33 आत्मानुशासनम्, 24
72 उत्तराध्ययनसूत्र, 7/14.16 34 धर्मबिन्दु, 7/2.6
73 जैनधर्म : जीवन और जगत्, सा.कनकश्री, पृ. 129 35 प्रवचनसार, 71
74 उत्तराध्ययनसूत्र, 31/2 36 अत्थो मूलं अणत्थाणं - मरणसमाधि, 603
75 श्रीमद्देवचन्द्र, वर्तमान चौबीसी, 1/5 37 आचारांगसूत्र, 1/4/1/1
76 प्रवचनसार, 7 अध्याय 12 : धार्मिक-व्यवहार-प्रबन्धन
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