Book Title: Jain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Author(s): Manishsagar
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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74 उपदेशमाला, 212
75 देवशास्त्रगुरूपूजा, युगलजी
76 नवभारत (समाचार पत्र, इंदौर) 12 मार्च, 2011, पृ. 1,
77 उत्तराध्ययनसूत्र, 20 / 37
78 भगवती आराधना, 1249
79 ज्ञानार्णवः, 10
80 उत्तराध्ययनसूत्र 32/20
81 साधक सतसई, चाँदमल सिरोहिया ठाकर, 58
82 इष्टोपदेश, 17
83 स्वयंभू स्तोत्र, 13
( सहजसुखसाधन, ब्र. सीतलप्रसाद पृ. 82 से उद्धृत)
84 मूलाचार, 724
85 सहजसुखसाधन, सीतलप्रसाद, पृ. 74
86 भगवती आराधना, 1242
87 सहजसुखसाधन, ब्र. सीतलप्रसाद, पृ. 72-73
88 ज्ञानसार, 7/7
89 उत्तराध्ययनसूत्र, 5 / 6
90 शीलप्राभृत, 27
91 भगवती आराधना, 1267
92 मूलाचार, 735
93 शीलप्राभूत, 23
94 उत्तराध्ययनसूत्र, 14 / 13
95 श्रीमद्राजचंद्र, निवृत्तिबोध, पृ. 50
96 दशवैकालिकसूत्र 4/39
97 ज्ञानस्य फलं विरतिः
प्रशमरति, 72
98 आवश्यकसूत्र, अ. 6, पृ. 111
99 अर्थशास्त्र के सिद्धांत, डॉ. एस.पी. दूबे, पृ. 1/9/107
100 प्रशमरति, 146
101 आचारांगसूत्र सटीक, 1/1/1/1
102 देवशास्त्रगुरूपूजा, युगलजी
103 समणसुत्त, 300
104 प्रबोधटीका, 2 / 188
105 साधकसतसई, चाँदमल सिरोहिया ठाकर, 381
106 देवशास्त्रगुरूपूजा, युगलजी
107 योगशास्त्र, 1/48
108 श्रीमददेवचन्द्र वर्तमान चौबीसी 2/1
109 जैन, बौद्ध और गीता, डॉ. सागरमलजैन, 2/157
110 उपासकदशांगसूत्र, 1/16
111 जैनआचार, देवेन्द्रमुनि, पृ. 321
112 वही,
पृ. 323
113 योगशास्त्र, 3 / 97
114 प्रबोधटीका, 1/44
40
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115 उपासकदशांगसूत्र, 1/48 116 तत्त्वार्थसूत्र 7/16
117 प्रबोधटीका, 2 / 219
118 आनंदस्वाध्यायसंग्रह, चारशरण, पृ. 91
119 प्रशमरति, 132
120 आनंदस्वाध्यायसंग्रह, श्रमण अतिचार, 121 तत्त्वार्थसूत्र 9/9
122 श्रीमद्देवचन्द्र वर्तमान चौबीसी 4/8
जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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पृ. 108
652
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