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(ख) महत्त्व के आधार पर - व्यक्ति के जीवन-स्तर, उसकी आवश्यकताओं की तीव्रता एवं सुखी-दुःखी करने की क्षमता के आधार पर भोगोपभोग के साधनों को पाँच श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है - 1) अनिवार्य वस्तुएँ (Necessaries)
4) विलासिताएँ (Luxuries) 2) सुविधादायी वस्तुएँ (Comforts) 5) अनुपयोगी वस्तुएँ (Useless) 3) प्रतिष्ठादायी वस्तुएँ (Prestigious) 1) अनिवार्य वस्तुएँ – ये वे वस्तुएँ हैं -
i) जो जीवन अस्तित्व को सुरक्षित रखती हैं। ii) जिनके मिलने पर कार्यक्षमता में वृद्धि होती है और न मिलने पर कमी। iii) जिनका उपभोग करने पर सामान्यतया थोड़ा सुख मिलता है और नहीं करने पर बहुत
अधिक दुःख होता है। iv) जैसे - भोजन, वस्त्र, मकान आदि जीवन-अस्तित्व सम्बन्धी एवं पौष्टिक दूध, फल
__ आदि कार्यक्षमता में वृद्धि सम्बन्धी वस्तुएँ। 2) सुविधादायी वस्तुएँ - ये वे वस्तुएँ हैं -
i) जिनकी जीवन-अस्तित्व के लिए कोई उपयोगिता नहीं होती। ii) जिनके मिलने पर कार्यक्षमता में विशेष वृद्धि होती है। iii) जिनका उपभोग करने पर कुछ अधिक सुख मिलता है और नहीं करने पर थोड़ा दुःख
होता है। iv) जैसे – विद्यार्थी के लिए मोबाईल, डॉक्टर के लिए कार आदि। 3) प्रतिष्ठादायी वस्तुएँ - ये वे वस्तुएँ हैं -
i) जिनसे सामाजिक मान-सम्मान, प्रतिष्ठा आदि की प्राप्ति होती है। ii) जो जीवन-अस्तित्व के लिए आवश्यक नहीं होती। ii) जिनके मिलने पर कार्यक्षमता में न वृद्धि होती है और न हानि। iv) जिनका उपभोग करने पर कृत्रिम सुख (अहं के पोषण से) मिलता है और न करने पर
कृत्रिम दुःख (अहं को ठेस लगने से)। v) जैसे - अतिथि सत्कार हेतु सुपारी-पान, बहुमूल्य वस्तुओं से सजा शो-केस, कृत्रिम
झरना, सजावट आदि। 4) विलासिताएँ - ये वे वस्तुएँ हैं - ___i) जिनमें से कुछ जीवन-अस्तित्व के लिए केवल अनावश्यक (Unnecessary) होती हैं,
जैसे – सोने की घड़ी, चेन आदि, जबकि कुछ तो अनावश्यक के साथ हानिकारक
(Harmful) भी, जैसे - शराब , तम्बाकू आदि। 26
जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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