Book Title: Jain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Author(s): Manishsagar
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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61 वही, पृ. 2 62 उच्चतर सामान्य मनोविज्ञान, अरुणसिंह, पृ. 755 63 श्रमणपत्रिका, जनवरी-मार्च, 1997, पृ. 2 64 तत्त्वार्थसूत्र, 5/29 65 श्रमणपत्रिका, जनवरी-मार्च, 1997, पृ. 8 66 उत्तराध्ययनसूत्र, 23/58 67 भक्तपरिज्ञा, 84 68 आनन्दघन चौबीसी, 17/2 69 व्यवहारभाष्य, 1028 70 तत्त्वार्थसूत्र, 2/1 71 उत्तराध्ययनसूत्र, 32/7 72 ऋषिभाषित, 4/4 73 दशवैकालिकसूत्र, 8/36 74 इच्छा पसत्थमपसत्थिगा, य मयणमि वेयउवओगो। तेणहिगारो तस्स उ, वयंति धीरा निरुत्तमिणं ।।
- दशवैकालिकनियुक्ति, 163 75 श्रीमद्देवचन्द्र चौबीसी, 22/5 76 उच्चतर सामान्य मनोविज्ञान, अरुणसिंह, पृ. 755 77 वही, पृ. 754 78 तत्त्वार्थराजवार्त्तिक, 9/35 79 तत्त्वार्थसूत्र, 9/36 80 उत्तराध्ययनसूत्र, 14/13 81 सार्थ पोसहसज्झायसूत्र, 29, (प्राकृतसूक्तिकोश, महो.
चन्द्रप्रभसागर, पृ. 140 से उद्धृत) 82 तत्त्वार्थराजवार्त्तिक, 9/33 83 तत्त्वार्थसूत्र, 9/31-34 84 स्व-प्रबन्धन में जीवनविज्ञान (एम.ए.पुस्तक), पृ. 166 85 सूत्रकृतांगसूत्रचूर्णि, 1/2/2 86 स्व-प्रबन्धन में जीवनविज्ञान (एम.ए.पुस्तक), पृ. 161 87 भक्तपरिज्ञा, 134 88 भगवतीआराधना, 1177 89 गुरुदेवश्रीमहेन्द्रसागरजी म.सा. से चर्चा के आधार पर . 90 स्थानांगसूत्र, 3/2/188 91 वही, 3/2/188 92 आचारांगसूत्र, 1/1/6/4 93 शान्तसुधारस, 15/1 94 आचारांगसूत्र, 1/3/2/7 95 भावप्राभृत, 88 96 विशेषावश्यकभाष्य, 199 97 आचारांगसूत्र, 1/3/2/7
98 उच्चतर सामान्य मनोविज्ञान, अरुणसिंह, पृ. 783 99 Understanding Psychology, Robert S. Feldmen
p.305 100 आचारांगसूत्र (सटीक), 1/1/8/242, पृ. 296 101 विशेषावश्यकभाष्य, 2978 102 तत्त्वार्थराजवार्त्तिक, 6/4 103 गोम्मटसार (जीवकाण्ड). 11/282 104 प्रशमरति, 31 105 वही, 18-19 106 उत्तराध्ययनसूत्र, 32/7 107 मरणसमाधि, 198 (जिनवाणी के मोती, दुलीचन्दजैन, पृ. 60
से उद्धृत) 108 उत्तराध्ययनसुत्र, 31/2 109 जैन, बौद्ध और गीता, डॉ.सागरमलजैन, 1/500 110 वही, 1/500 111 योगशास्त्र, 4/9 112 कषाय, सा.हेमप्रज्ञाश्री, पृ. 15 113 स्थानांगसूत्र, 4/1/76 114 कषाय, सा.हेमप्रज्ञाश्री, पृ. 23 115 स्थानांगसूत्र, 4/1/77 116 अनगारधर्मामृत, 6/19 117 कषाय, सा.हेमप्रज्ञाश्री, पृ. 30 118 स्थानांगसूत्र, 4/1/78 119 योगशास्त्र, 4/18 120 स्थानांगसूत्र, 4/1/79 121 जैनविद्या (बी.ए.1), 2/83-84 122 योगशास्त्र, 1/47-56 123 आवश्यकनियुक्ति, 120 124 आधुनिक असामान्य मनोविज्ञान, अरुणसिंह,
पृ. 245-246 125 वही, पृ. 246 126 वही, पृ. 247-248 127 तनावमुक्त कैसे रहें?, एम.के. गुप्ता, पृ. 44 128 आधुनिक असामान्य मनोविज्ञान, अरुणसिंह,
पृ. 55-58 129 व्यवहारभाष्य, 1078-1086 130 वही, 1123-1125 131 वही, 1153 132 वही, 1079 133 वही, 1125-1131
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अध्याय 7: तनाव एवं मानसिक विकारों का प्रबन्धन
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