________________
जीवाश्म ईन्धन को जलाने, कृषि में प्रयुक्त कीटनाशक का छिड़काव करने, पेंट या वार्निश आदि का प्रयोग करने, रेडियोधर्मी विकिरण पैदा करने वाले यूरेनियम आदि का प्रयोग करने, अपशिष्ट पदार्थों का समुचित निस्तार न करने, वृक्षों को नष्ट करने एवं व्यक्तिगत आदतों, जैसे - धूम्रपान, इत्र, विलेपन आदि के कारण से आज वायु प्रदूषण की समस्या पूरे विश्व की एक विकराल समस्या बनती जा रही है।
वायु प्रदूषण मानव, कीट, वनस्पति एवं अन्य प्राणियों को प्रभावित करता है। इसके परिणामस्वरूप वायुमण्डल में धुंध-निर्माण (Smog), अम्ल-वर्षा (Acid rain), ओजोन छिद्र (Ozone hole) और वैश्विक-तपन (Global Warming) जैसी घटनाएँ पैदा हो रही हैं, जो जलवायु एवं मौसम को प्रभावित कर सम्पूर्ण सृष्टि के लिए खतरा बन चुकी हैं।
___जैनाचार्यों की जीवनोपयोगी शिक्षाओं की उपेक्षा कर वायु रूप प्राकृतिक उपहार को प्राणवायु नहीं, बल्कि प्राणघातक वायु बनाने का जो दुस्साहस किया जा रहा है, उससे निम्नलिखित समस्याएँ उभर रही हैं -- (1) धुंध (Smog)49 – धुएँ (कार्बन, राख, तेल के कणों का मिश्रण) एवं कोहरे के संयोग से धुंध बनता है। इस धुंध का प्रभाव देखने की क्षमता पर पड़ता है। अनेक दुर्घटनाएँ भी इससे होती हैं। इससे दमा, ब्रोंकाइटिस जैसे श्वसन रोग उत्पन्न होते हैं। फसलों का उत्पादन भी गम्भीर रूप से प्रभावित होता है। (2) अम्ल-वर्षा (Acid rain)50 – वाहनों एवं विद्युत तापगृहों की चिमनियों से निकले धुएँ में मौजूद नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा उद्योगों की चिमनियों से निकले कोयले के धुएँ में मौजूद सल्फर-डाई-ऑक्साइड जैसी गैसें वाष्पकणों के साथ क्रिया कर, जल के साथ अम्ल-वर्षा के रूप में बरसती हैं। वर्षा में अम्लता होने से जल का pH मूल्य (Value), जो सामान्यतः 5.65 (प्राकृतिक CO, मिश्रित जल) होना चाहिए, से कम हो जाता है। कभी-कभी यह वर्षा नींबू के रस के समान अम्लीय होती है।
अम्ल-वर्षा का जमीन, पौधों, भवनों के साथ जलचरों एवं मानवों पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यह मृदा की उर्वरकता को कम कर उसे विषैली बना देती है। पेड़-पौधों में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया मन्द कर देती है, जिससे पत्तियाँ सूखने लगती हैं और पौधों की अभिवृद्धि रुक जाती है। अम्ल-वर्षा से ऐतिहासिक इमारतों में भी छिद्र हो जाते हैं एवं संगमरमर की चमक में कमी आ जाती है। उल्लेखनीय है कि मथुरा के तेल कारखानों (Oil Refinaries) के कारण आगरा के ताजमहल की परत पर छोटे-छोटे छिद्र हो रहे हैं। अम्ल वर्षा से जलीय जीवों का जीवन भी प्रभावित होता है। नार्वे में पाँच हजार (5000) तालाबों में से 1750 में और स्वीडन में एक लाख (100000) तालाबों में से 20,000 तालाबों में मछलियाँ समाप्त हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त पेय-जल के प्रदूषित
अध्याय 8 : पर्यावरण-प्रबन्धन
437
3
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org