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इस प्रकार, वर्तमान युग में मनुष्य ने भले ही विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं आर्थिक क्षेत्र में बड़ी सफलताएँ क्यों न प्राप्त कर ली हों, किन्तु पारिवारिक, सामुदायिक एवं सामाजिक जीवन में उसके सामने अनेक गम्भीर चुनौतियाँ खड़ी हैं। यदि इन चुनौतियों या अव्यवस्थाओं का सम्यक् प्रबन्धन नहीं खोजा गया, तो निश्चित ही वैज्ञानिक एवं भौतिक सफलताएँ मानव जीवन को प्रगतिशील बनाने के बजाय विघटन और विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर देगी।
आगे, जैनआचारमीमांसा के आधार पर इन समस्याओं के समाधान सम्बन्धी प्रबन्धन-सूत्रों की चर्चा की जा रही है।
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अध्याय 9: समाज-प्रबन्धन
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