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★ काला ★ हरा
लाल ★ पीला
★ सफेद (5) शब्द सम्बन्धी भोगोपभोग – व्यक्ति कान के द्वारा विविध शब्दों को सुनकर प्रिय शब्दों से राग और अप्रिय शब्दों से द्वेष करता है। ये शब्द तीन प्रकार के होते हैं - ★ जीव शब्द * अजीव शब्द
★ मिश्र शब्द (6) भाव सम्बन्धी भोगोपभोग – व्यक्ति केवल उपस्थित पदार्थ ही नहीं, अपितु अनुपस्थित एवं काल्पनिक पदार्थों का भोगोपभोग भी करता है। वह मन के माध्यम से स्पर्शादि पंच विषयों को अनुभूत करता है और प्रिय भावों से राग तथा अप्रिय भावों से द्वेष करता है। इन मनोभावों के मूलतः तीन भेद होते हैं - ★ अतीतकालीन भाव में वर्तमानकालीन भाव * अनागतकालीन भाव
इस प्रकार, मनुष्य इन स्पर्शादि छहों विषयों के भोगोपभोग में हमेशा संलग्न रहता है। पशु-पक्षी आदि भी भोगोपभोग तो करते हैं, किन्तु सामर्थ्य कम होने से वे लाचार होते हैं और अपेक्षाकृत अल्प भोगोपभोग में भी जीवन-यापन कर लेते हैं। चूँकि मनुष्य के पास सामर्थ्य अधिक होता है, अतः उसकी भोगोपभोग की क्रियाएँ भी अधिक होती हैं। वह जितना-जितना भौतिक विकास करता जाता है, उतना-उतना अधिक भोगी होता जाता है और इससे वह भोगोपभोग की उचित मर्यादाओं का उल्लंघन भी कर देता है। इसी कारण से जैनाचार्यों ने भोगोपभोग को नियंत्रित एवं संयमित करने की प्रेरणा दी है, जो भोगोपभोग-प्रबन्धन के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। 11.1.4 भोगोपभोग की मूल विचारधारा एवं उपभोक्ता संस्कृति
भोगोपभोग से सम्बन्धित मुख्यतया दो विचारधाराएँ हैं – भोगप्रधान एवं अध्यात्मप्रधान। प्रथम विचारधारा को एक आम आदमी से लेकर आधुनिक अर्थशास्त्री एवं अन्य भौतिकवादी विचारक स्वीकार करते हैं। ये केवल भोगप्रधान जीवनशैली को ही जीवन का परम-लक्ष्य मानते हैं। उनका मत है कि भोग ही सुख का साधन है और इसीलिए जीवन में भोग के साधनों को जुटाकर उनका अधिक से अधिक उपभोग करना चाहिए। यद्यपि इनमें से कुछ लोग यह भी मानते हैं कि भोगोपभोग की सीमा होनी चाहिए, फिर भी उनके अनुसार, जब तक कोई शारीरिक, आर्थिक या राजनीतिक मजबूरी उत्पन्न न हो, तब तक तो भोगोपभोग किया ही जा सकता है और करना भी चाहिए।
इस विचारधारा में भोगोपभोग की वस्तुओं के तीन विभाग किए गए हैं और इन्हें जीवन-स्तर के उत्तरोत्तर विकास का मापदण्ड भी माना गया है। ये इस प्रकार हैं -
★ अनिवार्य वस्तुओं का भोगोपभोग (Necessaries) ★ सुविधापरक या आरामदायक वस्तुओं का भोगोपभोग (Comforts) ★ विलासितापरक वस्तुओं का भोगोपभोग (Luxeries)
जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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