________________
9) विडियो गेम्स खेलना। 10) मैच देखने की अतिरुचि होना। 11) अनावश्यक उपन्यास तथा मैग्जीन पढ़ना। 12) विविध व्यंजन बनाना, सजाना, खाना और खिलाना। 13) वर्ष में अनेक बार पार्टी आयोजित करना, जैसे - जन्मदिन, विवाह, मुण्डन, नववर्ष,
वेलेन्टाईन-डे, लिव इन रिलेशन आदि। 14) सौन्दर्य प्रसाधनों (Cosmetics) आदि का प्रयोग करना। 15) विविध परिधान पहनना, बार-बार बदलना एवं मेचिंग के लिए विविध वस्तुओं का प्रयोग करना। 16) घर, गाड़ी, दुकान ऑफिस आदि की अनावश्यक साज-सज्जा करना। 17) मॉल्स, शोरुम्स, सुपर मार्केट्स, सामान्य बाजारों आदि में अनावश्यक खरीददारी हेतु जाना। 18) महँगे उपहार एवं ग्रीटिंग कार्ड्स भेंट करना इत्यादि। ___चूँकि व्यक्ति की पसन्द, रुचि, फैशन सतत बदलती रहती है, अतः वह जल्दी-जल्दी भोग एवं उपभोग की वस्तुओं में भी बदलाव करता जाता है, साथ ही विक्रेता वर्ग भी उसे इस हेतु सुविधाएँ एवं प्रलोभन देता रहता है, जैसे - 0% ब्याज पर आधारित ऋण सुविधा, ऋण चुकाने की आसान किश्तें, क्रेडिट कार्ड सुविधा, हाउस लोन सुविधा, सस्ती स्कीम, छूट आदि। इसके अतिरिक्त झूठे लेकिन मन-लुभावने विज्ञापन भी व्यक्ति की कृत्रिम माँगों का सृजन करने में अहम भूमिका अदा करते हैं।
इन सबसे प्रभावित होकर व्यक्ति अनावश्यक भोगोपभोग करता रहता है, जिसकी जीवन में कोई वास्तविक आवश्यकता तो नहीं होती, किन्तु इनसे व्यक्ति का समय एवं सामर्थ्य सृजनात्मक एवं रचनात्मक कार्यों के बजाय निरर्थक कार्यों में व्यतीत हो जाता है। उत्तराध्ययनसूत्र में भी इसीलिए कहा गया है कि इस विश्व में अनेक लोग ऐसे हैं, जो इन्द्रिय-विषयों के भोगों में आसक्त होकर अपने मनुष्य-जीवन को प्रमाद में ही बिता देते हैं।52 (9) अनुकूलन (Adaptation) की क्षमता का ह्रास – उपभोक्ता संस्कृति से प्रभावित होकर व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा सुख-सुविधाओं एवं विलासिताओं का आदी होता जा रहा है, जैसे - वातानुकूलित यन्त्र (A.C.), वॉटर कूलर्स, गीजर, स्वचालित यन्त्र, रिमोट कन्ट्रोल यन्त्र, मिक्सर, ज्यूसर, परिवहन के साधनों आदि का उपयोग दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इस पर भी नए-नए मॉडलों के प्रयोग की अभिरुचि भी विशेष रूप से बढ़ रही है। व्यक्ति पुराने के बदले नई वस्तुएँ खरीदने के लिए सदैव लालायित रहता है।
भले ही व्यक्ति इसे अपना स्टेटस-सिम्बल (Status Symbol) और प्रगति का सूचक माने, लेकिन इसके दुष्परिणामों से वह बच नहीं सकता। उदाहरणार्थ - ___1) व्यक्ति का जीवन परवश होता जा रहा है, जैसे – गाड़ी खराब हो या ड्रायवर न हो, तो आधा
14
जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
626
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org