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11) फ्रीज में अनावश्यक वस्तुओं का संचय न करें, जिससे बिजली की खपत न्यूनतम हो । 12) विद्युत उपकरणों, जैसे पंखे, कूलर, ट्यूब, CFL बल्ब आदि का उपयोग मर्यादित रखें। इनका अनावश्यक संचय एवं प्रयोग न करें।
13) अधिक से अधिक प्रकृति के अनुरूप ढलने का प्रयास करें। गर्मी, ठण्ड एवं बरसात में कृत्रिम सुविधाओं का उपयोग कम से कम करने का प्रयास करें ।
14) गर्मी में पंखे, कूलर, वातानुकूलक, फ्रीज आदि, शीत ऋतु में वातानुकूलक, हीटर, गीजर आदि एवं सामान्य रूप से सभी उपकरणों, जैसे - वॉशिंग मशीन, माइक्रोवेव ओवन, आयरन, ट्यूब लाइट्स, फ्रीज, वेक्यूम क्लीनर आदि का प्रयोग कम से कम करने का अभ्यास करें। इससे पराधीन वृत्ति में कमी आएगी।
15) आवश्यकता पूर्ण होने पर इन उपकरणों को तत्काल बन्द करना न भूलें ।
16) एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हुए पहले स्थान के पंखे आदि अवश्य बन्द करें ।
17 ) रात्रि में शयन के पूर्व अनावश्यक चल रहे लाइट्स, पंखे आदि अवश्य बन्द करें |
18) मनोरंजन हेतु अथवा निष्प्रयोजन टी.वी., टेप, रेडियो, कम्प्यूटर, लेप-टॉप, वीडियो गेम्स आदि का उपयोग नहीं करने का प्रयत्न करें ।
19 ) मच्छरों को मारने अथवा भगाने के लिए धुएँ, जेट, ऑल-आउट आदि का प्रयोग करने की अपेक्षा मच्छरदानी का प्रयोग कर लें।
20) जनरेटर, इन्वर्टर अथवा यू.पी.एस. (UPS ) का प्रयोग किसी विशिष्ट परिस्थिति में ही करें। 21 ) लिफ्ट का उपयोग करने की अपेक्षा सीढ़ी से चढ़ें ।
22) पटाखे का प्रयोग कदापि न करें । ज्ञातव्य है कि सन् 2008 के दीपावली त्यौहार में इन्दौर जैसे शहर में अनुमानतः 400 करोड़ रु. के पटाखे फोड़े गए, जो जीवन की मूल आवश्यकताओं से परे हैं।
23) होली न जलाएँ ।
24) रावण दहन करने की अपेक्षा भीतर के दोषों का दहन करें ।
25) दीपावली पर्व में कम से कम लाइटिंग करें।
26) नए वर्ष के आगमन में रात्रि में डिस्को पार्टियाँ करने के बजाय शुभ संकल्पों का निर्माण करें ।
27) विवाह आदि के कार्यक्रम रात्रि के बजाय दिन में आयोजित करें।
28) प्रायः अपशिष्ट पदार्थों, जैसे कागज, लकड़ी, रबर आदि को जलाएँ नहीं, बल्कि इनका यथासम्भव उपयोग करके किसी जरूरतमन्द को दें अथवा उचित स्थान देखकर डालें।
29) धूम्रोत्पादक व्यवसायों को न करें ।
30) यदि करते ही हैं, तो अग्नि- दहन से प्राप्त ऊर्जा व्यर्थ न हो, ऐसा प्रयास करें, जैसे चिमनी की ऊँचाई कम न हो, भट्टी के द्वार (Openings) से रिसाव (Leakage) न हो इत्यादि ।
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जीवन- प्रबन्धन के तत्त्व
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