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आगे, इसीलिए वे निर्देश दिए जा रहे हैं, जो जैनाचार पर आधारित हैं एवं जिनका पालन कर हम वायु-प्रदूषण से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। चूंकि अधिकांश ताप-प्रदूषण, प्रकाश-प्रदूषण, गैसीय प्रदूषण आदि से सम्बन्धित निर्देशों का अन्तर्भाव तो अग्नि-संरक्षण के निर्देशों में ही हो जाता है, अतः उनका पुनरावर्तन यहाँ नहीं किया जा रहा है - 1) कणीय-प्रदूषण पर रोक
i) अपशिष्ट पदार्थों , जैसे – जूठन, फल, सब्जी, खाद्यान्न आदि को नहीं सड़ाएँ। ii) घर, ऑफिस आदि की सफाई करके कचरे (धूल) को ऊपर से नहीं फेंकें। iii) घर का रंग-रोगन, फर्नीचर की पॉलिश, वस्त्रों में डाई, वाहनों में पेण्ट आदि
अनावश्यकरूप से न करें। iv) इत्र, सेंट , क्रीम, पाउडर आदि शृंगार प्रसाधनों का प्रयोग न करें। v) धुआँ विसर्जन करने वाले कार्यों पर उचित नियन्त्रण रखें एवं तकनीक सुधारने का प्रयत्न
इस प्रकार से करें कि धुएँ की मात्रा न्यूनतम हो, जैसे – चिमनी की ऊँचाई कम न
रखें, कार्बन फिल्टर का प्रयोग करें, ईन्धन की गुणवत्ता कमतर न हो इत्यादि। _vi) कीटनाशक दवाइयाँ न छिड़कें। 2) गैसीय प्रदूषण पर रोक
i) पेड़-पौधों की कटाई न करें अन्यथा ऑक्सीजन गैस की कमी होगी। ii) रासायनिक व्यवसायों पर उचित नियन्त्रण रखें। iii) वाहन, जनरेटर आदि यन्त्रों के प्रयोग पर नियन्त्रण करें। iv) भट्टियों, ओवन आदि के प्रयोग पर नियन्त्रण करें। v) रेफ्रीजरेटर के उत्पादन पर नियन्त्रण हो। vi) उचित गुणवत्तावान् ईंधनों का ही उपयोग करें, क्योंकि ईन्धन का अधूरा दहन अथवा
अल्प गुणवत्तावान् ईन्धनों का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, जैसे -
कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस के मुक्त होने से श्वास रोगियों को तकलीफ होती है। 3) ध्वनि प्रदूषण पर रोक
i) मौन का नियमित अभ्यास करें और उसे बढ़ाते जाएँ। ii) यदि बोलें, तो समितिपूर्वक बोलें अर्थात् हितकारी, मितकारी, प्रियकारी एवं निर्वद्य वचन
कहें।
iii) मोबाईल अथवा दूरभाष का प्रयोग कम से कम करें। iv) यात्रा, सैर, पिकनिक आदि फुरसत के क्षणों में वॉक-मेन, आई-पॉट , टेप-रिकॉर्डर, टी.
वी. आदि का प्रयोग टालते हुए आत्महित के कार्यों को प्राथमिकता दें। v) ध्वनि विस्तारक यन्त्रों (Loud Speakers) के प्रयोग एवं उनकी तीव्रता पर नियन्त्रण
रखें।
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अध्याय 8 : पर्यावरण-प्रबन्धन
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