________________
14) कबूतर, चिड़िया आदि पक्षियों के अण्डों को स्पर्श भी न करें। 15) जूठन आदि न छोड़ें, जिससे सम्मूर्छिम मनुष्यों एवं अन्य त्रस जीवों की हिंसा न हो। 16) 'असतीजनपोषणकर्म' अर्थात् चूहे आदि को मारने के लिए कुत्ते आदि को पालने अथवा व्यभिचार ___ आदि के लिए वेश्याओं को रखने से सम्बन्धित कर्म न करें। 17) पशुओं को नपुंसक बनाने से सम्बद्ध व्यवसाय अर्थात् 'निल्लंछणकर्म' न करें। 18) मल-मूत्र विसर्जन, दातौन, स्नान आदि के लिए पूर्वकाल में व्यक्ति जंगल जाता था, जिससे न
केवल जल का अपव्यय अल्प होता था, वरन् अपशिष्ट मल एवं जल भी जंगल के छोटे पौधों के लिए खाद एवं पानी के रूप में उपयोगी होते थे, इस नियम का यथासम्भव पालन करें।
इससे अनेक त्रस जीवों की हिंसा से बचाव होगा। 19) कुड़ा-कर्कट आदि अपशिष्ट पदार्थों का विसर्जन विवेकपूर्वक करें अन्यथा इनमें कई त्रस जीवों
की उत्पत्ति एवं हिंसा होती है। 20) कीड़ों से निर्मित रेशम एवं कोसे के वस्त्र नहीं पहनें, क्योंकि इनकी एक साड़ी बनाने में लगभग __ चार हजार कीड़ों की हत्या की जाती है। 21) गृहस्थ उपासक के लिए 'केशवाणिज्य' अर्थात् केश एवं केशवाले प्राणियों को बेचने आदि का ___ व्यवसाय निषिद्ध है, अतः इस नियम का पालन करें। 22) अनाज, जल आदि का भण्डारण आवश्यकतानुसार एवं मर्यादित कालावधि के लिए ही करें, __ अन्यथा इसमें कई त्रस जीवों की हिंसा होती है। 23) 'दन्तवाणिज्य' अर्थात हाथी के दाँत. चमडे, हड्डी आदि का व्यवसाय न करें। 24) खनन उद्योग में वर्षाकाल में बड़े-बड़े तालाबों का निर्माण होना स्वाभाविक है। वर्षा के उपरान्त
जब पुनः कार्य प्रारम्भ करने के लिए इन जलाशयों को सुखाया जाता है, तब कई मत्स्य आदि
जलचर प्राणी मर जाते हैं, अतः ऐसा व्यवसाय न करें। 25) रात में वाहनों का प्रयोग कम से कम करें, जिससे अनेकानेक त्रस जीवों की हिंसा से बचा जा
सकें। 26) मैथुन के सेवन का पूर्ण अथवा आंशिक त्याग करें, क्योंकि इससे हर बार असंख्य जीवों की
हिंसा होती है। 27) अनावश्यक घूमना-फिरना बन्द करें अथवा कम करें। 28) आर्द्रा नक्षत्र के बाद आम का सेवन न करें, क्योंकि इनमें अनेक बार कीड़े पाए जाते हैं। 29) सब्जी, फल आदि सुधारते हुए इल्ली, कीड़ों आदि की हिंसा से बचें। 30) परिवार नियोजन की चेतना विकसित करें। 31) भ्रूणहत्या कदापि न करें।
=====<
>=====
481
अध्याय 8: पयावरण-प्रबन्धन
57
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org