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★ ताम्बूल विधि - इसमें मुख-शुद्धि के लिए पान आदि की मर्यादा की गई है, इससे बार-बार
कुल्ला करने की आवश्यकता कम हो जाती हैं।181 ★ विलेपन विधि - इसमें स्नान के पश्चात् शरीर पर चन्दन आदि से लेप करने वाली वस्तुओं
की मर्यादा की गई है, इससे पुनः स्नान करते समय अधिक पानी की आवश्यकता नहीं
पड़ती।182
★ वाहन विधि - जिन पर सवार होकर भ्रमण, सैर अथवा प्रवास किया जाता है, ऐसे वाहनों की मर्यादा की गई है। इसमें जलीय जहाज, नाव आदि का परिमाण करने से जल-प्रदूषण एवं जलीय जीवों, जैसे – मत्स्य आदि को भयभीत करने से अथवा इनकी हिंसा करने से बचा जा सकता है। 183
इसके अतिरिक्त जैनआचारमीमांसा में ‘सरोहृदतडाग शोषण' (सरोवर आदि सुखाने) सम्बन्धी व्यवसाय को निषिद्ध माना गया है।184 उपासकदशांगसूत्र में स्पष्ट कहा गया है कि गृहस्थ को तालाब, झील, सरोवर, नदी आदि जलाशयों को सुखाने का व्यवसाय नहीं करना चाहिए।185
इस प्रकार, उपर्युक्त उद्धरण इस बात को द्योतित करते हैं कि जलकायिक जीवों की हिंसा अर्थात् पानी का दुरुपयोग न करने के प्रति जैनाचार्यों की गहरी संवेदना रही है। यह अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि यदि आज के परिप्रेक्ष्य में जैनाचार का आंशिक परिपालन भी किया जाए, तो दुनिया में प्रतिदिन लाखों-करोड़ों गैलन पानी का दुरुपयोग रोका जा सकता है।
इसी सन्दर्भ में उदाहरणस्वरूप निम्न सूची प्रस्तुत की जा रही है, जिसका अनुकरण कर हम जल-संरक्षण के क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं - 1) नल खोलकर दन्त-मंजन करने में अधिक जल (लगभग 20-25 लीटर) ढोलने के बजाय शुद्ध
छने जल से भरे ग्लास या लोटे का उपयोग करें। 2) स्नान हेतु बाथ टब का प्रयोग करने में अधिक जल का अपव्यय करने के बजाय छोटी बाल्टी
एवं छोटे मग का प्रयोग कर अधिकतम 5-7 लीटर जल से स्नान करें। 3) स्नान में शेम्पु, साबुन आदि उद्वर्तनों की मर्यादा करें। एक माह में 3-4 बार से अधिक शेम्पु,
साबुन आदि का प्रयोग न करें। 4) शौचालय में फ्लॅश टेंक का उपयोग करने के बजाय छोटी बाल्टी या छोटा सिस्टर्न का प्रयोग
करें। 5) नल खोलकर शेव करने के बजाय मग में पानी लेकर शेव करें। 6) नल खोलकर बर्तन माँजने के बजाय बाल्टी, टब आदि का उपयोग करें। 7) नल खोलकर कपड़े धोने के बजाय बाल्टी, टब आदि का उपयोग करें। 8) भोजन, नाश्ते के पश्चात् थाली, कटोरी, ग्लास आदि को धोकर पी लें, जिससे न केवल अपशिष्ट पदार्थों से उत्पन्न होने वाला प्रदूषण रुकेगा, अपितु बर्तन माँजने में अल्प जल की ही
अध्याय 8 : पर्यावरण-प्रबन्धन
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