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लाइनर, लिप बाम आदि की मर्यादा करें अथवा त्याग करें।
8) दैनिक आवश्यकता की सामग्रियों को सीमित करें, जैसे घड़ी, पेन, पेन्सिल, मोबाईल, टेबल,
कुर्सी, फर्नीचर, पॉलीथिन आदि ।
9) वाहनों की संख्या एवं प्रकार को मर्यादित करें।
10) भूमिस्फोटककर्म, जैसे
खदान (Mine ), कुएँ - तालाब, हैण्ड पम्प आदि (Borewell etc), सड़क निर्माण, नहर-निर्माण, पुल निर्माण, भवन-निर्माण ( Building Construction) आदि अत्यावश्यक होने पर ही करना अन्यथा उनका त्याग करें ।
11) औद्योगिक एवं व्यावसायिक अपशिष्ट पदार्थों का अधिकतम प्रयोग करके निर्जीव स्थान पर
डालें ।
12) विषैले पदार्थों को निर्जीव भूमि पर मिट्टी के भीतर डालें, जिससे इनका प्रभाव दूसरे जीवों पर न
पड़े।
कोयला,
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13 ) जैन आचार के अनुसार, सौर किरणें अचित्त होती हैं, अतः अन्य संसाधनों, जैसे घासलेट, पेट्रोल, डीजल, विद्युत की तुलना में सौर ऊर्जा को प्राथमिकता दें। 14) घरेलु उपकरणों, जैसे बर्तन, क्रॉकरी, फ्रिज, अलमारी, पंखा, मिक्सर, ब्लेंडर, कुकर, वॉशिंग मशीन, माइक्रोवेव ओवन, रोटी मेकर, रोस्टर, वेक्युम क्लीनर, मोटर पम्प, कम्प्यूटर, प्रिन्टर, स्कैनर, फोटो कॉपीयर, वॉटर प्युरीफायर, वॉटर गीजर आदि की संख्या एवं प्रकार को सीमित करें।
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15) मकान आदि के मलबे को निरवद्य भूमि पर डालें ।
16) अन्धविश्वासों से प्रेरित होकर पूर्वनिर्मित भवनों में अनावश्यक तोड़-फोड़ न कराएँ ।
17) अन्धविश्वासों से प्रेरित होकर विघ्न टालने एवं लाभ प्राप्ति हेतु अनेक प्रकार की माला, अंगूठी आदि नहीं पहनें।
18) भवन आदि के रंग-रोगन आवश्यकता होने पर ही कराएँ ।
8.6.2 जल - संरक्षण
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जल प्रकृति का अनमोल उपहार है, किन्तु आज जल का भयंकर अपव्यय और अनियन्त्रित प्रदूषण हो रहा है। जैनआचारमीमांसा में ऐसे अनेक निर्देश उपलब्ध हैं, जिनसे जल को प्रदूषण से मुक्त रखा जा सके एवं उसका सीमित उपयोग किया जा सके।
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जैनाचार्यों ने न केवल जल के आश्रित विविध त्रस एवं स्थावर जीवों (दृश्य और अदृश्य दोनों) के अस्तित्व को स्वीकार किया, अपितु स्वयं जल की एक बून्द में असंख्यात जलकायिक जीवों की सत्ता को भी उद्घाटित किया । इसका वर्णन हमें प्राचीन जैन आगमों, जैसे आचारांग, जीवाजीवाभिगम, उत्तराध्ययन, दशवैकालिक 170 आदि में स्पष्ट रूप से मिलता है । प्रसिद्ध वैज्ञानिक कैप्टन स्कवेसिवी ने एक बूँद जल में यन्त्र के द्वारा 36,450 जीव गिनाएँ हैं, जो जैनाचार्यों की इस
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अध्याय 8 : पर्यावरण-प्रबन्धन
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