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सहायक हैं। अपशिष्ट पदार्थों का अपघटन विशिष्ट जीवाणु (Bacteria) करते हैं। केंचुएँ तो मिट्टी को उर्वरक बनाने में विशिष्ट योगदान देते हैं। वैसे केंचुओं को प्राकृतिक ट्रेक्टर, खाद कारखाना और बाँध तीनों कहा जाता है।
मानव भी एक त्रसजीव है। किसी मानव के जीवन-अस्तित्व और जीवन-विकास में मानवीय पर्यावरण की अहम भूमिका होती है। मानव को मानव से ही जीवन के सांस्कृतिक, आर्थिक राजनीतिक, आध्यात्मिक, धार्मिक आदि पक्षों में उन्नति की अभिप्रेरणा, निर्देश और सहकारिता मिलती है, इसीलिए मानव समाज एवं परिवार में जीने को प्राथमिकता देता रहा है।
भगवान् महावीर ने विकास-सोपान पर आरूढ़ इन त्रस जीवों की हिंसा न करने का स्पष्ट निर्देश दिया है। जैन-परम्परा में एक चींटी की भी हिंसा नहीं करने की शुभ प्रेरणा दी जाती है, जो त्रस जीवों के वैविध्य का संरक्षण करने के लिए तत्पर जैनाचार्यों की सजगता का उदाहरण है।
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अध्याय 8 : पर्यावरण-प्रबन्धन
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