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उथल-पुथल का परिणाम माना है। 2) क्रोध एवं आक्रामकता (Anger & Aggression) - तनाव उत्पन्न करने वाली परिस्थिति के प्रति अंतरंग में कुण्ठाजन्य क्रोध का जन्म होता है और यह कभी तो उसी निमित्त पर व्यक्त हो जाता है और कभी लाचारीवश किसी निरपराध पर। 3) भावशून्यता तथा विषाद (Empathy & Depression) - जब तनाव उत्पन्न करने वाली परिस्थिति के प्रति व्यक्ति क्रोध एवं आक्रामकता नहीं दिखा पाता, तब उसके प्रति व्यक्ति में कुण्ठाजन्य उदासीनता उत्पन्न हो जाती है और वह अपने आपको निःसहाय (Helpless) महसूस करने लगता है।
शारीरिक विकृति उत्पन्न होने से व्यक्ति की दैहिक-क्रियाओं में असामान्यता आने लगती है, जैसे – सरदर्द, पेट की गड़बड़ी, हृदयगति की वृद्धि, श्वसन गति में उथल-पुथल इत्यादि ।125
जब मानसिक तनाव बढ़ता है, तो शरीर में भी लड़ो या भागो (Fight or Flight) की प्रतिक्रियाएँ प्रारम्भ हो जाती हैं, मानो शरीर में रेड एलर्ट (Red Alert) घोषित हो गया हो। सर्वप्रथम मस्तिष्क के एक भाग ‘हाइपोथैलेमस' (Hypothelemus) से आदेश प्रसारित होता है, जिसके परिणामस्वरूप निम्नलिखित अवांछनीय मनोदैहिक गतिविधियाँ (Psychosomatic Actions) प्रारम्भ हो जाती हैं127 - ★ पिट्युटरी ग्रन्थि से A.C.T.H. नामक हार्मोन्स का रिसाव होता है, जो एड्रीनल ग्रन्थि को
सक्रिय करता है। ★ एड्रीनल ग्रन्थि से कॉर्टीसोल (Cortisol) हार्मोन्स का रिसाव होता है, जो कलेजे
(Lever/यकृत) पर कार्य करता है। ★ अग्नाशय (Pancreas) में अतिरिक्त मात्रा में चीनी (Sugar) का उत्पादन होता है, जिससे
मांसपेशियों को तत्काल ऊर्जा मिल सके। ★ श्वसन क्रिया तीव्र हो जाती है, जिससे अधिक प्राणवायु मिल सके। ★ मानसिक तनाव का सामना करने के लिए एड्रेनलीन तथा नॉन-एड्रेनलीन जैसे रसायनों का
रिसाव होता है, जिससे शरीर में अतिरिक्त शक्ति का संचार हो सके। ★ रक्त प्रवाह बढ़ाने के लिए हृदयगति बढ़ जाती है। ★ बाह्य रक्त नलिकाएँ संकुचित हो जाती हैं, जिससे अकस्मात् चीर-फाड़ जैसी स्थिति निर्मित होने पर कम मात्रा में रक्त का रिसाव हो सके इत्यादि।
इस प्रकार, तनावग्रस्त व्यक्ति के शरीर में व्यापक स्तर पर रासायनिक परिवर्तन होते हैं।
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अध्याय 7 : तनाव एवं मानसिक विकारों का प्रबन्धन
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