________________
4.3 वर्तमान युग में समय का महत्त्व
वर्तमान युग वैज्ञानिक प्रगति और औद्योगिक क्रान्ति का युग है। आजकल हर क्षेत्र का व्यावसायिकीकरण हो रहा है। प्रतिस्पर्धा की दौड़ में जीतने के लिए समय के विषय में सिर्फ वैयक्तिक चेतना नहीं, अपितु युगीन चेतना का विकास हो रहा है। फ्रेडरिक डब्ल्यू. टेलर ने प्रबन्धन के लिए Time and motion study' पर अत्यधिक जोर देते हुए कार्य को न्यूनतम समय में सम्पन्न करने के लाभों को स्पष्ट किया है। आज औद्योगिक जगत् में ही नहीं, बल्कि सर्वत्र यही नीति है कि किस प्रकार कम से कम समय में अधिक से अधिक कार्य किया जाए। कम्प्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का आविष्कार होने से एक सेकण्ड के सूक्ष्मातिसूक्ष्म हिस्से का महत्त्व भी प्रकट हो रहा है। समय के हर क्षण का महत्त्व समझने के लिए जे. मेसन (J. Mason) ने कहा भी है -
"As every thread of gold is valuable, so is every moment of time." आशय यह है कि जिस प्रकार स्वर्ण का प्रत्येक कण कीमती होता है, उसी प्रकार समय का प्रत्येक क्षण भी कीमती है।29
जो लोग सुख-सुविधाओं में ही जीवन नष्ट कर देते हैं, उन्हें शेक्सपीयर (Shakespere, 1564-1616) की यह पंक्ति हमेशा ही याद रखनी चाहिए -
"I wasted time & now doth time waste me." (मैंने समय को नष्ट किया और अब समय मुझे नष्ट कर रहा है)
इतना सब कुछ जान लेने पर भी विडम्बना यह है कि आज व्यक्ति समय का सम्यक् नियोजन नहीं कर पा रहा है। वह अधिक से अधिक नाम और धन कमाने की चाहत में अपनी व्यस्तता बढ़ा लेता है और समय की कमी का बहाना बनाता रहता है। आज समय की कमी के बहाने व्यक्ति ने सामान्य शिष्टाचार और सामाजिक कर्त्तव्यों से भी मुँह फेर लिया है। समय की कमी के कारण उसकी मानवता को गहरा आघात पहुँचा है और अनैतिक आचरण को बढ़ावा मिला है। व्यक्ति ने चंचलता, अधीरता और जल्दबाजी को ही “समय-प्रबन्धन' का आवश्यक अंग मानने का एक भ्रम पाल लिया है, अतः यह कहना उचित होगा कि व्यक्ति ने समय के महत्त्व को तो जान लिया है, लेकिन उसे समय का सम्यक् प्रबन्धन सीखना, अभी शेष है। विचारक एच.डी. थोरो (H.D. Thoreau, 1817-1862) ने व्यक्ति की बुद्धिमत्ता की कसौटी को इन शब्दों में स्पष्ट किया है -
“A man is wise with the wisdom of his time only & ignorant with its ignorance' अर्थात् वह बुद्धिमान् है, जिसे समय का ज्ञान है, किन्तु वह अज्ञ है, जो समय से अनभिज्ञ
है।
=====4.>====
189
अध्याय 4: समय-प्रबन्धन
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org