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1 घण्टा = 1/12 कार्य-दिन,
360 घण्टे = 1 / 12 x 360 = 30 कार्य-दिन,
30 कार्य-दिन = 1 माह
यदि जीवन में 60 वर्ष तक वह टी.वी. देखता है, तो कुल नुकसान 1 x 60 = 60 माह = 5 वर्ष
विश्लेषण करने पर हमारे सामने परिणाम आता है कि सिर्फ 1 घण्टे का सस्ता मनोरंजन भी राहुल के जीवन के 5 महत्त्वपूर्ण वर्षों का लम्बा समय बर्बाद कर देता है। इतना ही नहीं, इस मनोरंजन से उसके संस्कार बिगड़ते हैं, जिसका प्रभाव उसके स्वयं के व्यक्तित्व पर पड़ता है और साथ ही उसके परिवार पर भी । इसके अतिरिक्त उसकी मस्तिष्कीय शक्ति का अपव्यय भी होता है, उसकी स्मरण शक्ति, सृजनात्मक शक्ति आदि निष्क्रिय होती हैं इत्यादि । यदि वह इस एक घण्टे का प्रयोग 'सत्संग' और 'ध्यान' के लिए करे, तो निम्न लाभ प्राप्त होंगे -
★ मानसिक विश्राम (Mental relaxation)
★ एकाग्रता (Concentration)
★ सकारात्मक सोच (Positive attitude)
★ नैतिक जीवन-मूल्यों का विकास ( Development of ethical values of life) ★ जीवन-मुक्ति का मार्ग (The way of salvation)
जब राहुल ने इस प्रकार का विश्लेषण किया, कमजोरी को स्वीकार किया और आत्म-सुधार का संकल्प किया, तब सचमुच सफलता उसके कदम चूमने लगी। बारहवीं कक्षा में एकाग्रता आदि मानसिक ऊर्जा में अभिवृद्धि होने से उसका परिणाम बहुत अच्छा रहा। इतना ही नहीं, लौकिक और आध्यात्मिक दोनों ही क्षेत्रों में उसका सन्तुलित विकास होता रहा और वह जीवन में एक अच्छा साधक
बन गया।
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अध्याय 4: समय-प्रबन्धन
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