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को और तनाव ही मनोविकारों को जन्म देता है।
बाह्य उद्दीपक (External Stimulents)
संज्ञाओं या इच्छाओं का अभिप्रेरण (Motivation by Instincts)
आत्मप्रदेशों की चंचलता Vibration of Spatial units of Soul)
मन-वचन-काया की प्रवृत्ति (Activity of Mind, Speech and Body)
क्रोधादि भाव (Anger and other passions)
आकुलता-व्याकुलता (Mental Disturbances)
वैयक्तिक विघटन (Personal Disintegration)
सामाजिक विघटन (Social Disintegration)
इच्छाओं से तनाव, तनाव से मनोविकार 7.4.1 मानसिक विकारों के विविध रूप
व्यक्ति की प्रत्येक प्रवृत्ति (Action) का सम्बन्ध अंतरंग वृत्तियों से होता है। जब अंतरंग वृत्तियाँ विकृत हो जाती हैं, तो बाह्य प्रवृत्तियाँ भी उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहती। सामान्यतया इन विकृत-वृत्तियों को ही मानसिक-विकार कहा जाता है। इनके विविध रूप होते हैं, जैसे - चिन्ता, कुण्ठा , भय, शोक, ईर्ष्या आदि।
आधुनिक मनोविज्ञान में इन वृत्तियों को संवेग (Emotions) कहा जाता है। 'Emotion' लैटिन शब्द 'Emovere' से बना है, जिसका अर्थ है – उत्तेजित करना (To excite)। अतः कहा जा सकता है कि संवेग व्यक्ति को उत्तेजित करते हैं।98 आधुनिक मनोवैज्ञानिकों ने संवेगों का वर्गीकरण इस प्रकार से किया है। 389 अध्याय 7 : तनाव एवं मानसिक विकारों का प्रबन्धन
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