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Adremal Gland -Kidney -Medulla
Cortex Renal Pelvis Renal Vein Renal Artery
(घ) उत्सर्जन-तन्त्र (Excretory System) - इसका
सम्बन्ध मूत्र के उत्सर्जन से है। इसमें सर्वप्रथम धमनियों से प्राप्त शुद्ध-रक्त में से यूरिया (Urea), क्रिएटीनीन (Creatinine) आदि पदार्थों का अवशोषण होता है। यह कार्य गुर्दो में स्थित ग्लोमेरुलस (Glomerulus) तथा नेफ्रान (Nephron) तत्त्वों के माध्यम से होता है। जो openpg of अतिरिक्त यूरिया, क्रिएटीनीन आदि होते हैं, वे मूत्र के रूप में मूत्रवाहिनी नली से प्रवाहित होकर मूत्राशय में पहुँचते हैं, जो समय-समय पर मूत्रद्वार नली के द्वारा बाहर निकाल दिए जाते हैं।
Nephron Alferent Efferent
Arteriole Arteriole Bowman's Capsule
Glomerulus
Ureter
Urinary. Bladder
T.S.Kidney
Pelvis Medulla Cortex
Capillary Network
Henle's Loon
Pineal gland
(ङ) अन्तःस्रावीग्रन्थि-तन्त्र (Endocrine Gland System)30 – यह तन्त्र विशिष्ट प्रकार के रसायन (हॉर्मोन्स/Hormones) बनाने वाली ग्रन्थियों से बनता है। शरीर में होने वाली जैविक एवं चयापचय क्रियाओं के साथ-साथ शारीरिक-वृद्धि एवं विकास का नियंत्रण भी इसी तन्त्र के द्वारा किया जाता है।
शरीर की प्रमुख अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ हैं - Hypothalamus Pituitary gland
★ पीनियल
★ पेराथायरॉइड ★ पिट्युटरी
★ थायमस Thyroid gland Parathyroid glands
★ थायरॉइड ★ एड्रीनल Thymus
चूँकि इन ग्रन्थियों में बनने वाले हॉर्मोन्स बिना Adrenal glands (atop kidneys)
किसी नलिका के सीधे ही रक्त के माध्यम से निर्धारित अंग तक पहुँचते हैं, अतः इन्हें नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ
(Ductless Glands) भी कहा जाता है। मूलतः स्नायु-तन्त्र एवं अन्तःस्रावी ग्रन्थि-तन्त्र दोनों मिलकर ही नियंत्रण और समन्वय का कार्य करते हुए शरीर में समावस्था (Homeostasis) बनाए रखते हैं। शरीर-प्रबन्धन के लिए इस समावस्था का बना रहना अनिवार्य पहलू है।"
Pancreas
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अध्याय 5 : शरीर-प्रबन्धन
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