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Nose
-Pharynx
Larynx Cricoid cartilage
(ख) श्वसन-तन्त्र (Respiratory System) – यह तन्त्र | शरीर एवं बाह्य वातावरण के मध्य वायु का आदान-प्रदान करता है, इस तन्त्र के माध्यम से ऑक्सीजन का ग्रहण तथा कार्बन-डाई-ऑक्साइड का उत्सर्जन निरन्तर होता रहता है। | Trachea सर्वप्रथम नाकछिद्र के माध्यम से वातावरण की वायु (O- 21%, N. - 78% एवं शेष वायु - 1%) शरीर के भीतर
. Lungs प्रवेश करती है, फिर श्वासनली के माध्यम से दोनों फेफड़ों तक पहुंचती है। ये फेफड़े शुद्ध-वायु को ग्रहण करके अशुद्ध-वायु का इसी मार्ग से उत्सर्जन करते हैं। शरीर–प्रबन्धन के लिए शुद्ध-वायु का विशिष्ट महत्त्व
Bronchi
tongue
tooth
pharynx
oesophagus
liver
(ग) पाचन-तन्त्र (Digestive System) – यह तन्त्र भोजन के पाचन एवं शोषण (Digestion & Absorption) तथा अवशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन (Excretion) से सम्बन्धित है। इसके अन्तर्गत सबसे
पहले मुँह के माध्यम से भोजन-ग्रहण होता है। वह भोजन दाँतों से चबकर, लार से सम्मिश्रित होकर ग्रासनली (Pharynx & Oesophagus) से होता हुआ आमाशय (Stomach) तक पहुँचता है। आमाशय में मौजूद गैस्ट्रिक रस (Water, Mineral salt, Mucus, HCI, Pepsinogen & Rennin etc.) के माध्यम से पचता है। फिर छोटी आंत में उपयोगी पोषक-तत्त्वों का शोषण होकर पतली विष्टा का निर्माण हो जाता है। बड़ी आँत में पहुँचने पर पानी तथा आवश्यक लवणों का अवशोषण होकर
यह ठोस विष्टा में परिवर्तित हो जाता है। यह विष्टा मलाशय (Rectum) में एकत्र होती है, जो समय-समय पर गुदा-द्वार (Anal Orifice) के द्वारा बाहर निकाल दी जाती है। इसी तन्त्र के तीन सहायक अंग हैं - यकृत, जो चय-अपचय (Metabolism) करता है, पित्ताशय (Gall bladder), जो पाचन-योग्य पित्त का निर्माण करता है एवं अग्न्याशय (Pancreas), जो आवश्यक इन्सुलीन (Insulin) हार्मोन तथा ग्लुकागोन (Glucagon) हार्मोन का निर्माण करता है।
gall-bladder tranverse colon
stomach pancreas (tail) duodenum
ascending colon
small intestine descending color sigmoid
cecum appendix
anus
reclum
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जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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